वेदों में नागदेव के पूजन का वर्णन किया गया है एवं उनके वंश का भी वर्णन किया गया है त्रेतायुग में लक्ष्मणजी व द्वापर युग में बलरामजी शेषनाग के ही अवतार थे। हमारे धर्म ग्रंथों में 12 प्रकार के नागों का वर्णन आता है, हमारी कुंडली में कालसर्प दोष होने से हम परेशान रहते हैं या कोई कार्य नहीं होता है तो राशि अनुसार नाग की आराधना करने से यह दोष खत्म हो जाता है।