वृश्चिक-चारित्रिक विशेषताएँ
चरित्र के प्रारंभिक लक्षण- स्वार्थपूर्ण उद्देश्यों के लिए दूसरों से अनैतिक रूप से चालाकी से काम निकालना, योजना बनाने वाला, दबंग, जबरदस्त रूप से निरंकुश, सामर्थ्यवादी, संवेदना का जिज्ञासु, स्वयं पर आसक्ति, कामुक, प्रतिशोधी, विद्वेषी, ईर्ष्यालु, अभिलाषी, युयुत्सु, संशयी, आंतरिक रूप से भयभीत, अत्यधिक भावप्रवण, मानसिक रूप से निर्दयी, असहिष्णु, स्वत्वबोधक, अन्य लोगों का शोषण करने वाला, दूसरों की क्षमता एवं आधिपत्य का शोषण करना, स्वार्थपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मनोवैज्ञानिक शक्तियों का प्रयोग करना, अचेतावस्था में अंतःकरण के साथ संघर्ष। चरित्र के उत्तरकालीन लक्षण- अदृश्य सामर्थ्य की चेतना की अनुभूति, स्वयं के रूपांतरण की आवश्यकता से भिज्ञ होना, अंतरात्मा के अस्तित्व से भिज्ञता होना, अज्ञानता से उत्पन्न विश्वास को प्राप्त करना, व्यक्तिगत समर्पण की भावना से उच्चतर कारणों की ओर उन्मुख होना, निःस्वार्थ उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत क्षमता का उपयोग करना, भौतिक तथा भावनात्मक विषयों पर मानसिक नियंत्रण करना सीखना, दानशील बनना, ईश्वरीय ज्योति (ज्ञान) के समक्ष व्यक्तिगत इच्छा का समर्पण, मनोवैज्ञानिक शक्तियों एवं उनके उचित प्रयोग के संबंध में जानकारी प्राप्त करना, स्वयं के संबंध में वस्तुपरक होना, भावनात्मक अनासक्ति होना, सभी संबद्ध व्यक्तियों की सर्वाधिक भलाई के लिए सामर्थ्य के आदान-प्रदान की इच्छा करना, चेतनावस्था में अंतःकरण के साथ संघर्ष, निम्न ऊर्जाओं का उच्च केंद्रों में तत्वांतरण करना। अंतःकरण के लक्षण- करिश्माई, अंतर्द्वंद्वों का रमणीयता में रूपांतरण करना, अंतरात्मा के अनुकूलता, उच्चतर आत्मा की इच्छा की चेतना का होना, संघर्षों को विकास के अवसरों के रूप में देखना, उच्चतर आत्मा के द्वारा प्रेषित 'टेस्टर' के रूप में विरोधी को देखना, एक रूपांतरकारक बनना जिसकी दूसरों को आवश्यकता है, सभी की सर्वाधिक भलाई के लिए उपयोग होने वाली उच्चतर ऊर्जाओं को मंद करना, भौतिक तथा भावनात्मक स्वभाव पर मानसिक नियंत्रण होना, ईश्वरीय ज्ञान के प्रसार में सहायता के लिए अदृश्य ऊर्जाओं के ज्ञान का उपयोग करना, दूसरों पर स्वतः ही सकारात्मक प्रभाव पड़ना, उन लोगों का प्रेममय उपचार करना जो इसके लिए सहमत हों, दूसरों के साथ प्रेम एवं ज्ञान की ऊर्जाओं का आदान-प्रदान, सार्वत्रिक भलाई के लिए उपचारकारी ऊर्जाओं का प्रसारक बनना।

राशि फलादेश