लगने लगता है
तुम्हें नहीं पसंद है
गियरलेस गाड़ी चलाना
तुम्हारे लिए तो
गियरलेस गाड़ियां बस
औरतों के लिए बनी हैं
मर्द तो गियर वाली
गाडियां चलाया...
अलसुबह से देर रात
मशीन सी भागती हूं
मरे अस्तित्व के साथ
आधी रात जागती हूं
सज गए बाजार
चीनी पिचकारी से
केमिकल से भरी हुई
रंगीन सी क्यारी से
पर इनमें टेसू वाली
चमक कहां से लाऊं मैं
खो गयी कहीं है कोयलिया
क्या तुमको है ये भास हुआ
सूखे पोखर और पनघट
नाचती अट्टालिकाएँ हैं
सड़क को मुँह चिढ़ाती
चादरें हैं ओस की
फुटपाथ अब सिकुड़े पड़े हैं
इस विरासत को तो उन्हें
लेना ही पड़ता है
इसी के अनुरूप सर्वस्व
गढ़ना ही पड़ता है
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इबादत और दुआओं के न जाने
न जाने कितने लफ्ज़ मिलते हैं
दुनिया भर के फूल अब रोज़
मेरे फ़ोन में खिलते हैं
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