घनाक्षरी विधा लुप्त होती जा रही है, लेकिन हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है यह विधा और क्या है इसका महत्व।
कुछ छंदों में मात्राएं गिनी जाती हैं और कुछ में वर्ण। साथ ही हर छन्द की एक विशिष्ठ लय भी होती है। किसी भी छन्द को लिखने से पहले हम अगर उसकी लय याद कर लें, तो उसकी रचना आसान हो जाती है।
वार्णिक छन्द घनाक्षरी काफी प्रचलित है ये कई प्रकार की होती हैं। आइए इसका विधान समझते हैं।
विधान:-
-इसमें कुल 4 पंक्तियां होती हैं
-प्रत्येक पंक्ति में ज़्यादातर 31 वर्ण (शब्द) होते हैं। पर 30 से लेकर 33 तक के भी शब्द या वर्ण हो सकते हैं।
-घनक्षरियों में आधे अक्षर नहीं गिने जाते केवल पूरे अक्षरों की ही गिनती की जाती है।
-एक पंक्ति में ज़्यादातर 31 मात्रा में, प्रथम चरण में 16 वर्णों पर यति होती है फिर अगले चरण में 15 वर्ण होते हैं। इसे अगर और सहूलियत से बांटें तो एक पंक्ति में 8,8,8,7 वर्ण होंगे। पर अगर लय में एक-आध मात्रा उपर-नीचे करना हो तो किया जा सकता है क्योंकि इसमें लय की ही प्रमुखता है।
-चारों पंक्तियां एक समान वर्ण की हों आवश्यक नही है, किसी पंक्ति में 31 तो किसी में 30 या 32 वर्ण लय के अनुसार हो सकते हैं।
-चारों पंक्तियों के अंत तुकांत होना आवश्यक है।
-प्रत्येक चरण का अंत गुरु से होता है।
विधान यही कहता है पर चूंकि यह एक वार्णिक छन्द है और इसमें लय की प्राथमिकता है तो लय के अनुसार प्रत्येक चरण में फेरबदल हो सकता है आइये एक घनाक्षरी के माध्यम से विधान समझते हैं। इस घनाक्षरी के प्रत्येक चरण को ध्यान से पढ़ें।
नीचे दी हुई घनाक्षरी में हम शब्द गिनेंगे मात्रा नहीं। घर को है चहकाती आंगन है महकाती 11 1 1 1111 111 1 1111 16
बन के वे कोयल सी गाती रानी बेटियां 11 1 1 111 1 11 11 111 15
रंगती नए रंगों से नए नए से ढंगों से 111 11 11 1 11 11 1 11 1 16
कोना कोना घर का सजाती रानी बेटियां 11 11 11 1 111 11 111 15
इसके बाद साहित्यकार लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की एक अप्रतिम घनाक्षरी को देखते हैं, जिसमें एक ऐतिहासिक घटनाक्रम को घनाक्षरी छन्द में पिरो दिया गया। आज़ादी की लड़ाई में, जब अंग्रेजों ने भारत में के वीरों को तोपों के मुंह से बांध दिया तो उन सपूतों ने कहा हमें पीठ नहीं मुंह की तरफ से छातियों को बांधा जाए और तब तोपों को दागा जाए।
तोपों के मुंहों से बांधा गया नामधारियों को,
पूछा गया, है जो कोई ख़्वाहिश बताइए।
सिर्फ एक ख़्वाहिश है, कहा नामधारियों ने, विनती है आपसे,करम फर्माइए..
पीठ की तरफ से जो बांधा हमें आपने है,
ये हैं अपमान हमें इससे बचाइए..!
तोपों के मुंहों पे सिर्फ सीने कर दें हमारे, फिर हमें बेहिचक, तोपों से उड़ाइए (लक्ष्मी शंकर वाजपेयी)
अन्य उदाहरण
1)बूझती हैं ये पहेली करती ये अठखेली
बन जाती मां की ये सहेली रानी बेटियां
मां का हैं ये बचपन इनके ये रंग ढंग
मां की प्रतिछाया ये बनाती रानी बेटियां
मां को कोने में बैठाएं खुद ये रोटी बनाएं
मां को गरम रोटियां खिलाती रानी बेटियां
दुलारे कभी बेटी सा लाड़ करें ये सखी सा
रानी बेटी मां को ही बना दें रानी बेटियां
2) दादा की ये हैं दुलारी दादी की भी हैं प्यारी
करती हैं न्यारी न्यारी बातें रानी बेटियां
ऐनक ये हैं लगाती टीचर ये बन जाती
दादा को भी लिखाती पढ़ाती रानी बेटियां
दादी को हैं ये हंसाती कार्टून फिल्में ये दिखातीं
दादी की भी नानी ये बन जाती रानी बेटियां
कभी दादा को गवायें कभी दादी को नचायें
जीवनसंध्या उनकी महकाती रानी बेटियां
(साहित्यकार लक्ष्मीशंकर वाजपेयी द्वारा डिजिटल प्लेटफार्म पर आयोजित कविता की पाठशाला में अर्जित ज्ञान पर आधारित)
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया का इससे कोई संबंध नहीं है।)