सब रंगों से सजी है थाली, सब रंगों से लहलाना सजन, होली में घर को आना सजन। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	नववर्ष पर कविता- दीवारों  पर लगेंगे। नए कैलेंडर। पुराने हटाएं जाएंगे। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	New Year 2020 Poem- स्वागत को तैयार रहो तुम। मै जल्द ही आने वाला हूं। बारह महीने साथ रहूंगा। खुशियां भी लाने वाला हूं। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	निकल दिवाला गया पहिले से,अब आएगी दिवाली। चिंता से मन व्याकुल हो गया, खाली पड़ी है थाली। फरमाइश कैसे पूरी होगी, 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	छुट्टी के दिन गजब के बीते हैं, सौ मीटर की रेस हमीं तो जीते हैं। 
खेलकूद और शेर के चक्कर में, 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मैं हूं तेरा दीवाना, तू नहीं करीब मेरे, मैं तेरे आसपास हूं। तेरी तस्वीर को,
ले के घूमता हूं... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मधुर-मधुर बहती हवाएं, छेड़ रहीं संवाद। प्रकृति छटा बिखेर रही, आया है मधुमास। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	क्यों आंखों में बसे हो तुम, छाई हुई तन्हाई। अभी दूर रहो मुझसे, करने दो हमें पढ़ाई। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	इस अज्ञानी के गागर में, शब्दों का खजाना है। शब्दों को लिखते-लिखते, जीवन को संवारा है। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	हम भारत देश के, प्यारे बच्चे। सारे जग से, न्यारे बच्चे। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	प्यार के धोखे कैसे डसते हैं, शायद तुमको मालूम होगा। नींद तो मेरी टूट गई है, तेरी नींद का क्या होगा। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी, सीमा की रक्षा करता हूं। जो आके टकराता है, अहं चूर भी करता हूं। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मैं प्यासा एक प्रेमी हूं, जो इधर-उधर भटकता हूं। अपनी प्यारी प्रिया के गम में, बिन बरसात तड़पता हूं। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	थोड़ी शराब पी है, समझता नहीं है इतना।, आशिकी की क्या सजा है, सपनों में आज उसने... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	महकै लाग बा उपवन फिर से, चहकै लाग बा माली। मधुमास आगमन सुन के अब तो, हंसय लाग बा क्यारी। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	दिल टूट जाता है, बड़ी तकलीफ होती है,जब बंधन छूट जाता है। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	आने वाला नया साल है, अवगुण को हम छोड़ेंगे। संस्कार भरपूर सुज्जित, सदगुणों से नाता जोड़ेंगे। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	प्रात:काल उठ पढ़ते हैं बच्चे, फ्रेश होने के बाद नहाते हैं। नित्य नाश्ता करने के बाद, तब स्कूल को आते हैं। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	किताबी कीड़ा बन करके, हमने शब्दों को तौला था। महासभा के बीच में, सुन्दर शब्दों को बोला था। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	यौवन के पहले पखवाड़े में, कुछ अजब शरारत सूझ रही। मेरे मन की अभिलाषा खुद, मुझसे प्रश्न यूं पूछ रही।