रोमांस कविता : छाई हुई तन्हाई

क्यों आंखों में बसे हो तुम,
छाई हुई तन्हाई।
अभी दूर रहो मुझसे,
करने दो हमें पढ़ाई।
 
बेकार की बातें मन में,
उफनाने लगती हैं।
तुझे देख के मेरी आंखें,
मचलाने लगती हैं।
 
नजदीक न मेरे आओ,
कर लो मुझसे लड़ाई।
अभी दूर रहो मुझसे,
करने दो हमें पढ़ाई।
 
आशाएं बंधी हैं मुझसे,
जो मां ने सजाया है।
बाप ने फुरसत में,
संस्कार सिखाया है।
 
छू लूं शिखा को मैं,
इसी में मेरी भलाई।
अभी दूर रहो मुझसे,
करने दो हमें पढ़ाई।

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