मैं प्यासा एक प्रेमी हूं,
जो इधर-उधर भटकता हूं।
अपनी प्यारी प्रिया के गम में,
बिन बरसात तड़पता हूं।
पढ़ते-पढ़ते इश्क लगाया,
अब आंखों से आंसू छिड़कता हूं।
कुछ दिन तक मौसम मूक बना था,
यही सोचकर बिलखता हूं।
शायद उसकी शादी हो गई,
या दे दी होगी कूद के जान।
मैं तो उसका आशिक बन बैठा,