सेहबा जाफ़री
सेहबा जाफ़री स्वतंत्र लेखिका है।
धूप का छोर : जैसे सुहानी भोर, जैसे बीता हुआ वह दौर
रचनाकार एवं कवि सीमा पांडे मिश्रा “सुशी” द्वारा रचित पुस्तक “धूप का छोर” लगभग 500 दोहों का ऐसा सुंदर...
इतिहास गवाह है, आदमी को ठोंक-पीट कर आदमी बनाने की घटना कबीर के काल में, कबीर के ही हाथों हुई। कबीर ने समाज की दुखती रग को पहचान लिया था। वे जान गए थे कि...
काले हिजाब में से झांकती दो चमकती आंखें बहुत सवाल करती हैं, हंसती हैं, बोलती हैं, नम होती हैं, गुनगुनाती हैं और देख लेती हैं पूरा आसमान जिस पर कहीं कोई...
दिन रात आजकल यह एक शब्द फिटनेस हर कहीं सुनाई देता है.... फिर कोई खबर आती है किसी युवा की ... और सब सकते में कि आखिर....आखिर जिम जाने वाले फिट लोगों को...
ओ हरीश-चन्द्र! मेरे बच्चोँ के साथ खेलेंगे तेरे बच्चे! अभी ही नया झूला लगाया है अम्मा की छत पे। और तू तो मेरी देवरानी को खून देने जा रही है कौनसा सराफे...
फादर्स डे पर सहबा जाफरी की मर्मस्पर्शी कविता-
पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी
आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी
तुमने ही तो...
world bicycle day इस दिन को मनाने का श्रेय अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर लेज़ेक सिबिल्स्की को जाता है जिसने अपने एक अभियान के...
मैं खुद को फिलिप्स का अपना रेडियो सेट बाहों में भरे फर्स्ट ईयर की अभी अभी जवान हुई लड़की सा महसूस करने लगी, कानों में उनका गाया वह गीत गूंजने लगा जो मैंने...
गूगल के सर्वे के अनुसार ईसा दुनिया भर की दस असरंदाज़ शख्सियतों मे से एक हैं जिनका होना लोगों के दिलों को बदलने के लिए पर्याप्त था। दुनिया की एक बडी आबादी...
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम जीवन साज पे संगत देते
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम, भाव नदी का अमृत पीते
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुमने बचपन खेला और बढ़े
हूं...
कबीर वाकई अपने आने वाले समय की अमिट वाणी थे। कबीर का जन्म इतिहास के उन पलों की घटना है जब सत्य चूक गया था और लोगों को असत्य पर चलना आसान मालूम पड़ता था।...
हर एक लफ्ज जो अपने लहू से धोते हैं
हर एक हर्फ को खुशबू में फिर भिगोते हैं
न हो मुश्क तो मुअत्तर(भीगा) है ये पसीने से
इन्हीं के दम से जमाने जमाने...
पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी
आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी
तुमने ही तो सिखलाया था, ये संसार तो छोटा है
तेरे पंखों में...
हाँ! रखी हूँ आज स्टोर रूम में। नहीं बची कोई जगह तुम्हारे घर में मेरे लिए। जालों ने घेर लिया है मुझे। और छिपकलियां रोज़ ब रोज़ मेरे इर्द गिर्द ऐसे नाचती हैं...
आयशा
क़ुदरत् ने औरत को बड़ी मजबूती दी होती है। दुनिया में आने की जद्दोज़हद में अक्सर मर्द दम तोड़ जाते हैं, और बेटियां न केवल आ जाती हैं बल्कि मां बन कर...
बहुत सुन्दर त्योहारों की मनोहर धरा का नाम है भारत। सकारात्मकता एवं सहज अनुभूतियों को समेट कर जीने वाले भोलेभाले लोग एवं उनकी रग रग में बसी रंग बिरंगी परम्पराएं।...
ऐ परमेश्वर की रूह! वक्त तुम्हारी आमद का है, और बच्चे- बूढ़े सभी तुम्हारे मुन्तजिर हैं तो आते वक्त अपने पमेश्वर से उस दुखिया की फरियाद करते आना जो गली के...
राहत ! अदबी दुनिया की राहत, ज़िंदगी के दर्द से थके उम्र के मारों की राहत, गुस्से मे उबलते और सिस्टम से नाराज़ ज़हनों की राहत, मोहब्बत से बग़ावत तक के सफ़र में...
poem on father - पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी, आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी
मां को चाय बिलकुल पसंद नहीं, पापा सुबह चाय की जगह छाछ पीते हैं, अक्सर जब हम भाई बहन चाय पीतें हैं, दोनों नाक भौंह सिकोड़ते हुए कहते हैं, "नशीले! हमारे...