ऑटोमैटिक गियरबॉक्स वाली कारों की डिमांड आजकल बढ़ रही है। जिसे देखते हुए अब डैटसन ने भी अपनी गो और गो+ कार के साथ ऑटोमैटिक गियरबॉक्स देने का फैसला किया है। ऑटोमैटिक यूनिट के तौर पर दोनों कारों में सीवीटी गियरबॉक्स की पेशकश की जाएगी। डैटसन गो और गो+ के इन ऑटोमैटिक वेरिएंट को अक्टूबर 2019 में लांच किया जाएगा।
डैटसन गो और गो+ के मुकाबले वाली मारुति वैगनआर, हुंडई सैंट्रो और टाटा टियागो में पहले से ही एएमटी गियरबॉक्स का विकल्प मिलता है। हालांकि, डैटसन की इन दोनों कारों में एएमटी से बेहतर विकल्प के रूप में सीवीटी की पेशकश की जाएगी। साथ ही उम्मीद लगाई जा रही है कि कंपनी ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के साथ दोनों कारों के इंजन को भी बीएस6 उत्सर्जन नॉर्म्स पर अपग्रेड करेगी। वर्तमान में दोनों कारों में 1.2-लीटर, 3-सिलेंडर बीएस4 पेट्रोल इंजन, 5-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के साथ मिलता है जो 68पीएस की पावर और 104एनएम का टॉर्क जनरेट करता है।
डैटसन की इन कारों में निसान माइक्रा वाली ही सीवीटी यूनिट का उपयोग किया जाएगा। बता दें कि डैटसन, निसान की ही सब्सिडियरी कंपनी है। हम उम्मीद करते हैं कि सीवीटी के साथ दोनों कारों के माइलेज और परफॉरमेंस में वृद्धि होगी। साथ ही, एएमटी की तुलना में यह पावर का स्मूथ ट्रांसमिशन करेगा।
हालांकि अपने प्रतिद्वंद्वियों द्वारा उपयोग की जाने वाली एएमटी तकनीक की तुलना में सीवीटी की कीमत ज्यादा होती है। गो+ एक सब-4 एमपीवी है, जिसका भारतीय बाजार में मुकाबला रेनो ट्राइबर से माना जा सकता है। हालांकि, दोनों कारों की शुरुआती कीमत में काफी अंतर है। रेनो ट्राइबर फ़िलहाल केवल मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ ही उपलब्ध है। कंपनी भविष्य में इसे भी एएमटी गियरबॉक्स के साथ उतारेगी।
उम्मीद की जा रही है कि सीवीटी ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का विकल्प केवल गो और गो+ के टॉप वेरिएंट ही दिया जाएगा जिनकी वर्तमान में कीमत क्रमश: 5.17 लाख रुपये और 5.94 लाख रुपये (एक्स-शोरूम दिल्ली) है। सीवीटी गियरबॉक्स के साथ इन वेरिएंट की प्राइस लगभग 60,000 रुपये तक बढ़ सकती है। लेकिन इसके बावजूद भी यह सीवीटी गियरबॉक्स के साथ आने वाली सबसे सस्ती कारें होंगी।