अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अयोध्या के हिन्दू और मुस्लिम दोनों ने ही स्वागत किया है। वहां लोगों का मानना है कि फैसले के लेकर वर्षों से स्थानीय लोगों में जो तनाव था, वह अब खत्म हो जाएगा। दोनों ही पक्ष इस फैसले से खुश हैं। इतना ही नहीं अयोध्या मामले के मुस्लिम पक्षकार इक़बाल अंसारी और करपात्री महाराज ने अयोध्या की सड़कों पर निकलकर भाईचारे का संदेश दिया। ...और शायद अयोध्या की असली पहचान भी यही है।
रामलला मंदिर के पास अपनी पुश्तैनी चाय की दुकान चला रहे राजकिशोर ने कहा कि फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन यहां मंदिर के साथ मस्जिद भी बननी चाहिए। यहां हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग सभी कार्यक्रमों में मिलकर शामिल होते हैं। अत: हार और जीत का प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि फैसला बहुत अच्छा है। अयोध्यावासी तो कभी विवाद चाहते थे ही नहीं थे।
मंदिर के पास ही वर्षों से फूल बेचने का काम कर रहे मेहमूद इकबाल ने कहा कि हमारी रोजी-रोटी तो मंदिर से चलती हैं। हम कई पीढ़ियों से यहां फूलों का कारोबार कर रहे हैं। मस्जिद बनाने के आदेश से प्रसन्न इकबाल ने कहा कि ज्यादा अच्छा होता यह फैसला आपसी सहमति के आधार पर अदालत के बाहर ही हो जाता। यदि ऐसा होता तो ज्यादा अच्छा होता, लेकिन जो हुआ अच्छा हुआ।
मिठाई व्यवसायी तारिक अंसारी ने कहा कि अयोध्या के लोगों में तो पहले से ही आपसी प्रेम था। मंदिर और मस्जिद बनने से यहां लोगों का कारोबार और व्यवसाय बढ़ेगा। पहले हमारे रिश्तेदार यहां आने से डरते थे, लेकिन अब डर खत्म हो गया है।
अंसारी ने मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी की टिप्पणी पर कहा कि वे क्या कहते हैं इससे हमें कोई लेना-देना नहीं, मगर अयध्या में सब खुश हैं, हम भी खुश हैं। उन्होंने फैसले के बाद मिठाई भी बांटी।