कनक भवन की महिमा : राम नगरी अयोध्या का कनक भवन वह भवन है, जिसे चक्रवर्ती महाराजा दशरथ ने रानी कैकेयी के स्वप्न के बाद बनवाया था। कैकेई को इस तरह का महल स्वप्न में दिखाई दिया था। उन्होंने उसी तरह का महल बनवाने की इच्छा प्रकट की थी। दशरथ ने महारानी के सपने को साकार करने के लिए देवशिल्पी विश्वकर्मा को बुलाकर सपने के अनुसार महल के निर्माण की बात कही थी। देवशिल्पी ने ही इस महल का निर्माण किया था।
कृष्ण से भी है संबंध : कनक भवन के बारे में कहा जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अपनी पत्नी रुक्मणि के साथ अयोध्या नगरी के दर्शन करने आए थे। वे तब कनक भवन भी गए। उसकी जर्जर हालत देखकर भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य दृष्टि से जान लिया कि यह स्थान कनक भवन है। उन्होंने न सिर्फ भवन का जीर्णोद्धार कराया बल्कि वहां पर सीताराम की मूर्ति की स्थापना भी की।
कई बार हुआ जीर्णोद्धार : कनक भवन जो कि समय के बीतने के साथ जर्जर भी हुआ किन्तु समय-समय पर जीर्णोद्धार होता रहा। सबसे पहले श्रीराम के पुत्र कुश ने कनक भवन का जीर्णोद्धार कराया था। कृष्ण के बाद सम्राट विक्रमदित्य व समुद्र गुप्त ने भी इस भवन का जीर्णोद्धार कराया था। कनक भवन के वर्तमान स्वरूप का वर्ष 1891 में ओरछा के राजा सवाई महेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी महारानी वृषभानु के द्वारा निर्माण कराया था।
सीताराम करते हैं विचरण : ऐसी मन्यता है की कलयुग में भी साधु-संतों व श्रीराम के अनन्य भक्तों को ऐसा होता है कि श्रीराम व माता सीता यहां विचरण कर रहे हैं। राम भक्तों के लिए यह मंदिर काफी महत्व रखता है। कनक भवन अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर राम कोट के उत्तर-पूर्व में स्थित है। कनक भवन के गर्भगृह में श्रीराम माता सीता एवं तीनों भाइयों सहित विराजमान हैं।
कैकेई का एक और नाम भी था : कनक भवन की महिमा का बखान दशरथ महल के महंत देवेन्द्र प्रसादचार्य ने अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करते हुए कहा की कनक भवन बहुत सुन्दर है, जिसे महराज दशरथ ने बनवाया था। कैकेई परम सुंदरी थीं, उनका एक और नाम था रूप मालिनी। उन्हीं के लिए महराज दशरथ ने कनक महल बनवाया था।
जब सीताजी का रामजी के साथ विवाह हुआ और विवाह के बाद अयोध्या आईं तो कैकेयी ने सीताजी को मुंह दिखाई में यह भवन दिया था। कनक भवन में ऊपर सीताराम जी का शयन कक्ष भी है, जो पहले भक्तों के लिए भी खुला रहता था, लेकिन बाद में उसे बंद कर दिया गया।