पेट की कोई भी बीमारी आज किसी को भी होना आम बात है, इसका प्रमुख कारण है अनियमित खान-पान और दिनचर्या। यहाँ हम आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी के अंतर्गत पेट रोगों की दवाएँ बता रहे हैं, ये आयुर्वेदिक दवाएँ लेने से पूर्व हो सके तो कृपया किसी वैद्य से सलाह करके लें।
शूल एवं परिणाम शूल (तीव्र चुभन वाला दर्द जो कि पीठ व गुप्तांगों की तरफ बढ़ता है, उल्टी होना, खाली पेट होने के समय दर्द अधिक हो, दस्त काला आता हो : महाशंखवटी, शंख भस्म, शतावरी घृत, हिंग्वाष्टक चूर्ण, रसोनवटी, अभ्रक भस्म।
यकृत (लीवर) व प्लीहा के रोगों में (पीलिया, खून की कमी, जिगर बढ़ना, पेट दर्द, जी मिचलाना आदि) : लिवकेयर, सीरप, आरोग्यवर्द्धिनी, लोहासव, पुनर्नवारिष्ट, यकृतप्लीहारी लौह, कांतिसार, पिपल्यासव, चन्द्रकलारस, स्वर्णसूतशेखर, पुनर्नवामंडूर।
पेट के कृमि रोगों पर : विडंगासव, विडंगारिष्ट, कृमिकुठार रस।
वायु अधिक बनना व उससे उत्पन्न विकार : हिंग्वाष्टक चूर्ण, रसोनवटी, कुमारी असाव।