महाराष्ट्र में कोल्हापुर जिले के घोसरवाड गांव में 75 साल के बाबूराव पाटिल और 70 साल की अनुसुइया शिंदे ने शादी करने का फैसला किया है। दोनों कोल्हापुर के जानकी वृद्धाश्रम में रहते हैं, जो पिछले 17 सालों से चल रहा है।
मूल रूप से पुणे की रहने वाली अनुसुइया शिंदे सबसे पहले अपने पति श्रीरंग शिंदे के साथ जानकी वृद्धाश्रम आईं थीं। दोनों ने निजी कारणों से पांच साल पहले अपना घर छोड़ दिया था। वृद्धाश्रम में रहते हुए दोनों ने एक दूसरे का साथ दिया। हालांकि चार महीने पहले अनुसुइया के पति का निधन हो गया जिसके बाद वे अकेली हो गईं। ऐसा ही कुछ हाल बाबूराव का था। पत्नी की मौत के बाद बाबूराव अपना घर छोड़कर वृद्धाश्रम आ गए थे।
बाबूराव पाटिल की कहानी
बाबूराव पाटिल ने डेढ़ साल पहले जानकी वृद्धाश्रम में कदम रखा था। वृद्धाश्रम तक का उनका सफर भी काफी मुश्किल भरा रहा है। पत्नी की मौत के बाद बच्चों के साथ बाबूराव का रिश्ता टूट गया। इस बीच कोरोना ने उनका कारोबार भी बिठा दिया।
ऐसे में उन्हें किसी सहारे की जरूरत थी, इसलिए कुछ समय के लिए वे अपने बड़े भाई के पास रहे, लेकिन आखिर में उन्हें वृद्धाश्रम आना ही पड़ा।
वेलेंटाइन डे के दिन आया शादी का आइडिया
चार महीने पहले पत्नी की मौत के बाद अनुसुइया अकेला महसूस कर रहीं थीं और ऐसा ही हाल बाबूराव पाटिल का भी था।
14 फरवरी यानी वेलेंटाइन डे के दिन वृद्धाश्रम के जरिए एक कॉलेज में कार्यक्रम किया गया। वहां का माहौल देखकर बाबूराव पाटिल ने दोबारा शादी करने की सोची।
कार्यक्रम खत्म करने के लिए जब बाबूराव वापिस वृद्धाश्रम पहुंचे तो उन्होंने एक युवक की तरह अनुसुइया शिंदे के सामने अपने प्यार का इजहार किया। बाबूराव ने प्रपोज करते हुए अनुसुइया को गुलाब का फूल भी दिया, लेकिन उस वक्त अनुसुइया उनके प्रस्ताव से सहमत नहीं हुईं।
चार महीने पहले ही उन्होंने अपना पति खोया था। वे अभी भी उस दुख से बाहर नहीं आईं थीं, लेकिन उन्होंने बाबूराव से सोचने के लिए कुछ समय मांगा।
एक-दूजे के हुए बाबूराव और अनुसुइया
इसी बीच वृद्धाश्रम में ड्राइवर का काम करने वाले बाबासाहेब पुजारी को शक हुआ कि बाबूराव पाटिल और अनुसुइया शिंदे के बीच कुछ चल रहा है। तब पुजारी ने अनुसुइया शिंदे से पूछा कि क्या वे बाबूराव पाटिल से शादी करने जा रही हैं। इसके बाद वृद्धाश्रम में दोनों को लेकर चर्चा काफी तेज हो गई।
अनुसुइया शिंदे ने अपना डर पुजारी को बताया कि अगर वे शादी करती हैं तो समाज क्या कहेगा, संस्था पर इसका क्या असर पड़ेगा? इस डर के चलते अनुसुइया शिंदे ने फिलहाल कोई फैसला नहीं किया।
ड्राइवर की मदद से हुई शादी
आखिर में पुजारी ने दोनों को विश्वास में लिया और उनकी शादी करवाने के लिए बीच में आए। आखिर में अनुसुइया शिंदे की बाबूराव के प्रेम के सामने एक न चली और उन्होंने हां कर दी।
वृद्धाश्रम के जरिए दोनों की शादी एक नए जोड़े की शादी की तरह की बहुत औपचारिक और कानूनी तरीके से संपन्न हुई। शादी के बाद भी यह कपल वृद्धाश्रम में ही रह रहा है। दोनों का कहना है कि वे अपना बचा हुआ जीवन वृद्धाश्रम में ही बिताएंगे।
बाबूराव कहते हैं, "शादी का मतलब सिर्फ शारीरिक सुख या संतान की प्राप्ति करना नहीं है। यह तो एक दूसरे का साथ देना है। इसलिए हमने वृद्धाश्रम में रहने के बावजूद इस उम्र में शादी करने का फैसला किया है।" उन्होंने कहा, "जितना जीवन अब हमारे पास है, हमने सुख दुख में एक दूसरे के साथ रहने का फैसला किया है।"