शहज़ाद मलिक और शहीद असलम, बीबीसी संवाददाता, इस्लामाबाद
"मैं यह जानना चाहता हूँ कि इस होटल में कितने नेटो और अमेरिकी सैनिक और अधिकारी ठहरे हुए हैं? क्या तालिबान के काबुल पर क़ब्ज़ा करने के बाद से आपके होटल में विदेशियों की आमद बढ़ी है?" इन सवालों से इस्लामाबाद के एक बड़े होटल के सिक्योरिटी इंचार्ज के चेहरे पर नाराज़गी झलक रही थी।
उन्होंने बुरा सा मुँह बनाया और सवाल करने वाले पत्रकार से कहा, "आप जितनी भी जानकारी जानना चाहते हैं, उससे पहले मैं आपके सभी डेटा की जाँच करूँगा कि आप यह सब क्यों जानना चाहते हैं। हम नहीं जानते कि आप पत्रकार हैं या कोई और।"
जब हम सोमवार को इस्लामाबाद के सेरेना होटल पहुँचे, तो होटल प्रबंधन ने इन शब्दों के साथ अभिवादन किया। काबुल धमाकों के बाद, इस्लामाबाद के ज़िला प्रशासन ने सभी निजी होटलों को बुकिंग करने से रोक दिया था, ताकि अफगानिस्तान से निकासी के दौरान लाए गए विदेशियों को वहाँ ठहराया जा सके।
विदेशी सैनिकों के होटल में रुकने की वजह से सुरक्षा पहले के मुक़़ाबले कड़ी कर दी गई है, और कुछ अनजान लोग भी लॉबी और कॉरिडोर में सोफ़े पर बैठे नज़र आ रहे हैं जो कुछ देर बाद बदलते रहते हैं।
'एक भी अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान नहीं आया'
हालाँकि गृह मंत्री शेख़ रशीद अहमद ने कहा कि उनकी जानकारी के मुताबिक़ अफगानिस्तान से एक भी अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान नहीं आया।
लेकिन, उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि इस्लामाबाद में क़रीब साढ़े तीन हज़ार विदेशियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।
उनके मुताबिक, 100से ज़्यादा लोग नूर ख़ान एयरबेस पर उतरे हैं, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वे सिविलियन हैं या सैनिक।
— Iftikhar Ahmad (@jawabdeyh) August 29, 2021
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याद रहे है कि पिछले कुछ दिनों से इस्लामाबाद एयरपोर्ट और होटल में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी की तस्वीरें पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
हालाँकि, कुछ अन्य यूज़र्स ने कहा है कि इन सैनिकों की वर्दी अमेरिकी सैनिकों की वर्दी से अलग है, इसलिए यह ज़रूरी नहीं है कि ये सैनिक अमेरिकी ही हों।
संघीय गृह मंत्री के अनुसार इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर एफ़आईए के इमिग्रेशन रिकॉर्ड के अनुसार, अब तक 1627 लोग अफगानिस्तान से पाकिस्तान आ चुके हैं, जबकि क़रीब 700 विदेशी इस समय इस्लामाबाद एयरपोर्ट के अंदर ही मौजूद हैं और उन्होंने अपना इमिग्रेशन नहीं कराया है।
उन्होंने कहा, "अगर अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान आते, तो अमेरिकी दूतावास के अधिकारी विदेश मंत्रालय से ज़रूर संपर्क करते और विदेश मंत्रालय के अधिकारी सुरक्षा प्रक्रियाओं के बारे में गृह मंत्रालय को जानकारी देते।"
'हर जगह विदेशी सैनिक थे'
इसके विपरीत, जब आप सेरेना होटल के मुख्य प्रवेश द्वार से अंदर दाख़िल होते हैं, तो लॉबी में भीड़-भाड़ महसूस होती है, और वर्दीधारी विदेशी सैन्यकर्मी (पुरुष और महिला) बातचीत करते हुए दिखाई देते हैं।
होटल सूत्रों के मुताबिक़, विभिन्न दूतावासों ने सैन्य कर्मियों के लिए कुल 150 के लगभग कमरे बुक कराए थे और विदेशी सैनिकों को एयरपोर्ट से होटल तक लाने, ले जाने के लिए कम से कम तीन बुलेट प्रूफ़ गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनकी व्यवस्था ख़ुद अलग-अलग देशों के दूतावासों ने की है।
होटल में मौजूद पत्रकार के मुताबिक़ रविवार रात को होटल प्रबंधन ने उन्हें बताया कि उनका कमरा बदला जा रहा है, क्योंकि सोमवार को एक विदेशी प्रतिनिधिमंडल आ रहा है, जिनके लिए होटल का पूरा फ़्लोर बुक किया गया है।
होटल सूत्रों के मुताबिक़, कुछ विदेशी सैन्यकर्मी ख़रीदारी के लिए होटल से बाहर भी जा रहे हैं और कुछ होटल में मसाज सेंटर और स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं का भी लुत्फ़ उठा रहे थे।
होटल में हर दिन रात के खाने के समय बैठने की जगह नहीं मिलती है, और पूरा हॉल विदेशी सैनिकों से भरा होता है, और लॉबी में दाख़िल होने से पहले ही, उनके चम्मच और प्लेटों की आवाज़ आना शुरू हो जाती है।
कोई बिरयानी के मज़े ले रहा होता है तो किसी को फ़िश फ़्राई पसंद है। उसी तरह सुबह और दोपहर के खाने के समय भी इन सैनिकों की एक भीड़ दिखाई देती है, जहाँ कोई मीठी लस्सी पी रहा है और कोई तरह-तरह के जूस पी रहा है। नाश्ते में कोई निहारी खा रहा है तो कोई सफेद चने, लेकिन आमलेट सभी को पसंद है।
होटल में विदेशी सैनिकों के ठहरने के दौरान बहुत कम स्थानीय लोग होटल में खाना खाते दिखे। इसी तरह, विदेशी सैनिकों को किसी आम नागरिक के साथ गपशप करते या सेल्फ़ी लेते नहीं देखा गया।
जब एक पत्रकार ने एक विदेशी सैनिक से सेल्फ़ी लेने के लिए कहा, तो शुरू में तो मान गए, लेकिन बाद में एक वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर सैनिकों ने सेल्फ़ी लेने से मना कर दिया।
ये सैनिक कौन हैं?
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने दावा किया है कि नेटो सेना के ब्रितानी, जापानी, अरब और कई यूरोपीय देशों के सैनिक तीन दिन पहले ही इस्लामाबाद पहुँचे हैं। उनके अलावा होटलों में विश्व बैंक के प्रतिनिधि भी रुके हुए हैं, जो अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद इस्लामाबाद पहुँचे हैं।
उनके मुताबिक़ पाकिस्तान आने वाले इन लोगों की संख्या क़रीब 400 है और सूत्रों ने बताया कि इन अधिकारियों के बारे में ज़िला प्रशासन को जानकारी नहीं दी गई थी।
उन्होंने कहा कि नेटो सैनिकों को पाकिस्तानी वीज़े जारी किए गए थे, जबकि उनके होटल में ठहरने, खाना, यात्रा और वीज़ा समेत यात्रा के सभी ख़र्च यहाँ तक कि विमान खड़ा करने का किराया भी वो ख़ुद अदा कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक़ रावलपिंडी के एक बड़े होटल की 50 से ज़्यादा बसें और 100 से ज़्यादा कमरे रावलपिंडी प्रशासन के इशारे पर अब भी ख़ाली हैं।
ज़िला प्रशासन के अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि उन्हें संबंधित अधिकारियों से जो निर्देश मिले थे, उनमें कहा गया था कि इन होटलों में केवल ट्रांज़िट वीज़ा और इमिग्रेशन वाले लोगों को ही ठहरने की अनुमति होगी।