क्या लिख रहे हैं अलेप्पो के 'मरते हुए लोग'

बुधवार, 14 दिसंबर 2016 (10:10 IST)
सीरिया के अलेप्पो में राष्ट्रपति बशर अल असद की सेनाओं ने शहर के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया है। अलेप्पो के पूर्वी हिस्से में विद्रोहियों के कब्जे वाले छोटे से इलाक़े में फंसे लोगों ने भावुक अंतिम संदेश भेजे हैं। सीरियाई सेना की तेज बमबारी के बीच इन लोगों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की।
बीती रात ट्वीट कर रहीं कार्यकर्ता लीना ने लिखा, 'पूरी दुनिया के लोगों, सोना मत। आप कुछ कर सकते हो, प्रदर्शन करो। इस नरसंहार को रोको।'
अपने वीडियो संदेश में लीना ने कहा, 'हर कोई जो मुझे सुन सकता हो। घेराबंदी में फंसे अलेप्पो में नरसंहार हो रहा है। ये मेरा अंतिम वीडियो हो सकता है। तानाशाह असद के खिलाफ विद्रोह करने वाले 50 हजार से अधिक लोगों पर नरसंहार का खतरा है। लोग बमबारी में मारे जा रहे हैं। हम जिस इलाके में फंसे हैं ये दो वर्गमील से भी छोटा है। यहां गिरता हर बम एक नरसंहार है। अलेप्पो को बचाओ, इंसानियत को बचाओ।'
 
अलेप्पो से आ रहे बाकी संदेशों में उम्मीद खत्म होती दिखती है। इस वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है, 'हम बातचीत से थक गए हैं, भाषणों से थक गए हैं। कोई हमारी नहीं सुन रहा है। कोई जवाब नहीं दे रहा है। वो देखो बैरल बम गिर रहा है।' ये वीडियो बम गिरने की आवाज के साथ खत्म होता है।
मंगलवार की सुबह जिंदा उठे मांथर ईताकी लिखते हैं, 'मैं अभी जिंदा हूं, अपने खास दोस्तों के साथ नरसंहार का सामना करने के लिए। दुनिया कुछ नहीं कहेगी। उम्मीद करता हूं कि अपनी मौत तुम्हारे लिए लाइव ब्रॉडकास्ट कर सकूं।'
 
अलेप्पो से अपनी मां की मदद से ट्वीट कर रही सात साल की बच्ची बाना अल आबेद ने मंगलवार सुबह दिल को झकझोरने वाला संदेश ट्वीट किया।
उसने लिखा, 'मैं पूर्वी अलेप्पो से दुनिया से लाइव बात कर रही हूं। ये मेरे अंतिम पल हैं या तो मैं जिदा बचूं या मर जाऊं।' इससे पिछले ट्वीट में बाना ने लिखा, 'अंतिम संदेश। बीती रात से लोग मारे जा रहे हैं। मैं बहुत चकित हूं कि मैं जिंदा हूं और ट्वीट कर पा रही हूं।' इसके कुछ घंटे बाद बाना ने लिखा, 'मेरे पिता घायल हो गए हैं। मैं रो रही हूं।'
अलेप्पो से आ रहे संदेशों से ये साफ है कि वहां अब तक की सबसे भीषण बमबारी हो रही है। पूर्वी अलेप्पो में काम कर रहे सीरियाई राहत समूह व्हाइट हेलमेट्स ने लिखा, 'ये नर्क जैसा है। सभी सड़के और धराशाई इमारतें लाशों से भरी हैं।'
 
पूर्वी अलेप्पो से ट्वीट कर रहे शिक्षक अब्दुल काफी अलहमदो ने इसे कयामत का दिन बताया है। उन्होंने बीबीसी न्यूज से कहा, 'हर तरफ बम गिर रहे हैं। लोग भाग रहे हैं। उन्हें पता नहीं कि कहां जा रहे हैं, बस भाग रहे हैं। सड़कों पर घायल पड़े हुए हैं। कोई उनकी मदद के लिए नहीं जा पा रहा है।' उन्होंने बताया, 'कुछ लोग मलबे में दबे हैं। कोई उनकी मदद नहीं कर पा रहा है। उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया है। ये घर ही उनकी कब्र हैं।'
एक लाइव वीडियो में अलहमदो ने लिखा, 'अब संयुक्त राष्ट्र पर भरोसा मत करो। अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर भरोसा मत करो। ये न सोचो कि उन्हें नहीं पता है कि यहां क्या हो रहा है। वो जानते हैं कि हम मारे जा रहे हैं। वो जानते हैं कि हम नव इतिहास के सबसे भीषण नरसंहार का सामना कर रहे हैं।
 
मंगलवार शाम किए एक ट्वीट में अलहमदो ने लिखा, 'मैं बस ये चाहता था कि मेरी बेटी केला चख पाए। उसे अच्छा खाना पसंद है। उसने कभी ऐसा खाना नहीं खाया। मैं शायद उसे कभी अच्छा खाना ना खिला पाऊं।'
कुछ लोग अलेप्पो के भीतर से बीबीसी को संदेश भेज पाए। एक पिता ने लिखा, 'ये अंतिम संदेश है। उन सबका शुक्रिया जिन्होंने हमारा साथ दिया और हमारे लिए दुआ की। अब सब खत्म हो गया है। कुछ ही घंटों बाद वो हम सबको मार देंगे।'
 
एक और पिता जो बीते साल के दौरान बीबीसी से बात करते रहे हैं, उन्होंने ट्वीट किया, 'अंतिम संदेश। आपने जो किया उसके लिए शुक्रिया। हमने बहुत से पल साझा किए। ये एक भावुक पिता के अंतिम ट्वीट है। अलेप्पो को अलविदा।'

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