अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी जंग यानी ट्रेड वॉर चल रही है। दोनों देशों की ये जंग टैरिफ़ यानी शुल्क लगाने तक सीमित है। दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियां, अमेरिका और चीन एक-दूसरे के उत्पादों पर टैक्स लगा रही हैं, जिस पर दोनों तरफ से फिलहाल कोई ढिलाई बरतने के संकेत नहीं मिल रहे।
ये सब कुछ उस समय हो रहा है जब अमेरिका, उत्तर कोरिया के साथ परमाणु मसलों पर बात कर रहा है। वो उत्तर कोरिया के मुख्य सहयोगी चीन पर इस तरह के टैक्स लगा रहा है। ये मामला एकतरफा नहीं है और न ही इसमें किसी का पलड़ा भारी है या फिर कहें कि कोई झुकने को तैयार है। लेकिन चीन के पास 4 ऐसे आर्थिक 'हथियार' हैं, जो अमरीका की आर्थिक व्यवस्था को 'चित' कर सकते हैं।
1. अमेरिकी कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ा करना
अगर कंपनियों की बात की जाए तो चीन अमेरिकी कंपनियों के सामने कई मुश्किलें खड़ा कर सकता है। जैसे कस्टम में बाधा, विनिमय के नियमों में बदलाव और निर्यात पर टैक्स बढ़ाया जाना।
अमेरिका के सायराक्यूस यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर मेरी लवली बताते हैं, "चीन के ऐसे क़दम उठाने का इतिहास रहा है और ये अमरीका के लिए चिंता का विषय हो सकता है। कुछ रिपोर्टों में अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधा खड़ी करने की बात कही गई है। पर अभी ये नहीं कहा जा सकता है कि चीन इसे बड़े पैमाने पर कर रहा है।"
अगर दोनों देश शुल्क बढ़ाए जाने से इतर कोई दूसरी कार्रवाई करते हैं तो घाटा दोनों को होगा। इस तरह के क़दम से अमेरिकी और चीनी कंपनियों में निवेश घटेगा। वो कहते हैं, "विदेशी निवेशकों को परेशान करने की जगह चीन यह कोशिश कर रहा है कि अमेरिका को अलग-थलग कर दिया जाए।"
2. अमेरिका को अलग-थलग करना
शी जिनपिंग के पास अभी वक़्त है। वो अभी सत्ता में बने रह सकते हैं। उन पर किसी तरह का दवाब भी नहीं है कि वो कोई क़दम जल्दबाज़ी में उठाएं। चीन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है और दूसरे व्यापारिक साझेदार ढूंढ रहा है। वो ऐसा करके अमेरिका को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि चीन यूरोप और एशिया के दूसरे देशों और लैटिन अमेरिका से संपर्क साध रहा है और व्यापारिक संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। चीन उस व्यापारिक देशों के समूह में शामिल हो सकता है जिससे अमरीका ने अपना नाता तोड़ लिया है। इनमें से एक है ट्रांस-पैसेफ़िक इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एग्रीमेंट। चूंकि अमेरिका का यूरोपीय यूनियन, कनाडा, मेक्सिको से व्यापारिक मतभेद बढ़ा है, ऐसे में चीन इनके साथ नए समझौते कर सकता है।
3. युआन की क़ीमत कम करना
अगर चीन कड़े क़दम उठाने की सोचता है तो वो अपनी मुद्रा युआन की क़ीमत कम कर सकता है। हालांकि यह फ़ैसला आसान नहीं है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि करेंसी वॉर ज़्यादा असरदार हो सकता है। हालांकि कुछ ये भी सोचते हैं कि ऐसा होता है तो ये दोधारी तलवार के जैसा होगा।
आर्थिक मामलों के जानकार ब्रेयन ब्रोज़ीक्वास्की कहते हैं, "चीन अपनी कंपनियों को मदद पहुँचाने और उसे मज़बूती देने के लिए ज़्यादा पैसा अर्थव्यवस्था में डाल सकता है या फिर ये हो सकता है कि वो अपनी मुद्रा की क़ीमत कम कर दे।"
वो कहते हैं, "मैं ये समझता हूँ कि चीन का आर्थिक हथियार अमरीका को ज़्यादा नुकसान पहुँचा सकता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या वो सचमुच में ऐसा करने जा रहा है?"... अगर युआन गिरता है तो लगाए गए शुल्क का असर कम होगा। उस स्थिति में अमरीका को लेवी बढ़ानी होगी और इस तरह कारोबारी जंग आगे बढ़ती ही रहेगी।
4. ट्रेजरी बॉन्ड पर रोक
ट्रेजरी बॉन्ड को सुरक्षित निवेश माना जाता है। अगर चीन पर दवाब ज़्यादा बनाया गया तो वो ट्रेजरी बॉन्ड बेच सकता है या फिर ख़रीदना बंद कर सकता है। अगर चीन ऐसा करता है तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को झटका पहुँच सकता है। हालांकि इसका असर बीजिंग पर भी पड़ेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर चीन ऐसे बॉन्ड बेचता है तो युआन गिरेगा और इसकी आर्थिक सुरक्षा भी प्रभावित होगी। कुछ विशेषज्ञ ये मानते हैं कि चीन इन आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा। वो सिर्फ़ शुल्क में बढ़ोतरी कर सकता है।
सेंटर फॉर बिज़नेस इन चाइना एंड पॉलिटिकल इकोनॉमी प्रोजेक्ट के डायरेक्टर स्कॉट केनेडी कहते हैं, "कारोबारी जंग में अमेरिका से ज़्यादा चीन प्रभावित है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था कहीं अधिक बड़ी है। चीन अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड बेचकर अधिक प्रभावित नहीं कर सकेगा। अगर चीन ऐसा कुछ करता है तो अमेरिका इस पर प्रतिक्रिया देगा और वो कुछ ज़्यादा बड़ा हो सकता है।"
केनेडी कहते हैं कि चीन कुछ अमेरिका कंपनियों पर दवाब बना सकता है, पर सभी पर बनाना संभव नहीं है। दूसरे नज़रिए से देखें तो नोबल पुरस्कार विजेता जोसेफ़ स्टिगलिट्ज़ कहते हैं कि चीन इस पूरे जंग में एक बेहतर स्थिति में है। वो कहते हैं, "चीन के पास ट्रेर वॉर के बचने के कई तरीके हैं। चीन के पास तीन ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हैं, जो ट्रेड वॉर से बचने के लिए पर्याप्त हैं।"