बीते चार दिनों ने कोरोना वायरस महामारी के ख़िलाफ़ देश की राजधानी दिल्ली का 'औसत' काफ़ी ख़राब हो गया है। पिछले सप्ताह की शुरुआत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या कम होती दिखी और कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हुए लोगों की संख्या बढ़ी, तो समझा गया कि दिल्ली में स्थिति नियंत्रित हो रही है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी शुक्रवार को अपने बयान में ऐसे संकेत दिये थे, मगर रविवार को सामने आये कोविड-19 के 293 नए मामलों ने दिल्ली की चिंता बढ़ा दी। सोमवार को भी दिल्ली में कोविड-19 के 190 नए मामले सामने आये जिन्हें मिलाकर दिल्ली में संक्रमित लोगों की संख्या अब तीन हज़ार से अधिक हो गई है।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 'लॉकडाउन के 5 हफ़्ते पूरे हो जाने के बाद दिल्ली में कोविड-19 के मरीज़ों की संख्या में आया ये दूसरा उछाल ज़ाहिर तौर पर चिंता का विषय है, पर स्थिति की समीक्षा की जा रही है।'
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 28,300 मामलों की आधिकारिक पुष्टि की गई है जिनमें से 886 लोगों की मौत हो चुकी है और 21,000 से ज़्यादा लोगों का डॉक्टरों की निगरानी में इलाज चल रहा है।
दिल्ली इस समय देश के टॉप-3 सबसे प्रभावित स्थानों में से एक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार महाराष्ट्र और गुजरात के बाद कोविड-19 के सबसे ज़्यादा मामले दिल्ली में ही हैं।
ऐसी स्थिति में गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस को मानते हुए कुछ दुकानें खोली जाएं या नहीं, और लॉकडाउन हटाने की तरफ धीरे-धीरे बढ़ा जाये या नहीं, इसे लेकर लोग कशमकश में हैं।
दिल्ली में अब-तक: दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार अब तक 38,000 से ज़्यादा लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है जिनमें 3,100 से ज़्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं। संक्रमित पाये गए लोगों में से 54 लोगों की मौत हो चुकी है और क़रीब 900 लोग पूरी तरह ठीक हो गए हैं।
दिल्ली में रिकवरी रेट यानी कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हुए लोगों की दर 32-34% के बीच बताई गई है। जबकि केंद्र सरकार के अनुसार भारत में कोविड-19 का औसत रिकवरी रेट 22.17% है।
दिल्ली कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित केंद्र शासित प्रदेश है। यहाँ के 11 ज़िलों में अब तक 99 कंटेनमेंट ज़ोन निर्धारित किये गए हैं।
दिल्ली में जिन 54 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 10 लोग 50 वर्ष से कम, 15 लोग 50-59 वर्ष के बीच और 29 लोग 60 वर्ष से अधिक आयु के थे।
दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित तब्लीग़ी जमात के मरकज़ का मामला सामने आने के बाद 13 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमण के 356 नए मामलों की पुष्टि हुई थी। कोविड-19 के मामले में दिल्ली का यह सबसे बड़ा उछाल था, जब संक्रमण के इतने सारे नए मामले सिर्फ़ 24 घंटे में सामने आये थे।
हेल्थ वर्करों की चिंता : दिल्ली पुलिस का कहना है कि अब तक तीस से ज़्यादा पुलिसकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गए हैं। इसे देखते हुए पुलिस विभाग ने अपने और अधिक कर्मियों को कोरोना वायरस से बचाव की ट्रेनिंग देने का फ़ैसला किया है।
उत्तरी दिल्ली के बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल के 60 से ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है।
इससे पहले हिन्दू राव अस्पताल, बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल और दिल्ली केंसर इंस्टीट्यूट के कुछ कर्मचारियों को भी संक्रमित पाया गया था।
बाबू जगजीवन राम अस्पताल की घटना पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने प्रेस से कहा कि 'दिल्ली में 80-90 हेल्थ वर्कर कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गए हैं और इनमें से अधिकांश नॉन-कोविड अस्पतालों के कर्मचारी हैं।'
उन्होंने कहा कि 'नॉन-कोविड अस्पतालों में लोगों के इलाज में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को भी यह समझने की ज़रूरत है कि अस्पताल में आ रहा कोई भी मरीज़ कोरोना से संक्रमित हो सकता है, इसलिए एहतियात बरतनी बहुत ज़रूरी है।'
लेकिन सोमवार को कोविड-19 के मरीज़ों का इलाज कर रहे दिल्ली के एक निजी अस्पताल के भी 33 हेल्थ वर्कर कोरोना पॉज़ीटिव पाये गए।
मैक्स पटपड़गंज नाम के इस अस्पताल के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया कि 'हेल्थ वर्करों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने 581 स्वास्थ्यकर्मियों का कोरोना टेस्ट किया था जिसमें से दो डॉक्टरों समेत 33 लोग कोरोना संक्रमित पाये गए। सभी की हेल्थ नॉर्मल है, पर एहतियात के तौर पर इन्हें अस्पताल में भर्ती रखा गया है।'
'कंटेनमेंट ज़ोन की रणनीति बदलनी पड़ी'
कोविड-19 महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को 'कोरोना वॉरियर्स' की उपाधि दी गई है और पूरी दुनिया में इसी तबके पर कोरोना वायरस का सबसे ज़्यादा असर देखने को मिला है। दक्षिण दिल्ली के ज़िलाधिकारी बीएम मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 'उनके क्षेत्र में दर्ज किये गए कोरोना संक्रमण के मामलों में से 30 फ़ीसद मामले सिर्फ़ स्वास्थ्यकर्मियों के हैं।'
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि 'आने वाले दिनों में शहर के कुछ बड़े अस्पतालों का 'सेफ़्टी ऑडिट' कराया जा सकता है जिसके तहत यह पता किया जाएगा कि संचालन की मानक प्रक्रियाओं और गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है या नहीं, ताकि स्वास्थ्यकर्मियों में इस महामारी को फैलने से रोका जा सके।'
लेकिन कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामलों को देखकर क्या 'कंटेनमेंट ज़ोन' के भीतर की रणनीति में भी कुछ बदलाव किये गए हैं? इसे समझने के लिए हमने उत्तरी दिल्ली के ज़िलाधिकारी दीपक शिंदे से बात की।
दिल्ली का जहाँगीर पुरी इलाक़ा उन्हीं के अंतर्गत आता है जिसे फ़िलहाल दिल्ली का 'सबसे गंभीर हॉटस्पाट' कहा जा रहा है क्योंकि उत्तरी दिल्ली के आठ में से छह कंटेनमेंट ज़ोन सिर्फ़ जहाँगीर पुरी इलाक़े में निर्धारित किये गए हैं।
दीपक शिंदे ने बीबीसी को बताया, "लॉकडाउन के दौरान कंटेनमेंट ज़ोन से संबंधित शर्ते तो वही हैं, पर हमने पाया कि लोग लापरवाही कर रहे थे, इसलिए अब रणनीति ने थोड़ा बदलाव करना पड़ा है।"
उन्होंने कहा कि 'पहले की तुलना में सीलिंग ज़्यादा की जा रही है। कंटेनमेंट ज़ोन के पास पुलिस बल की संख्या बढ़ाई गई है। लाउडस्पीकर से घोषणाएं की जा रही हैं। इलाक़े को लगातार सेनेटाइज़ किया जा रहा है। और जहाँगीर पुरी में थर्मल स्क्रीनिग के अलावा ब्लॉक-वार कोरोना टेस्टिंग की जा रही है।'
दिल्ली में व्यापार की स्थिति : सोमवार को मीडिया से बात करते हुए दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि 'दिल्ली में लॉकडाउन 3 मई से आगे बढ़ेगा या नहीं, इसका निर्णय 1 या 2 मई तक की स्थिति का जायज़ा लेने के बाद ही किया जा सकता है।'
राजधानी के संभावित वित्तीय संकट का ज़िक्र करते हुए सिसोदिया ने कहा कि 'पिछले वर्ष (2019) अप्रैल में दिल्ली को क़रीब 3500 करोड़ रुपये टैक्स के तौर पर मिले थे, मगर इस साल अप्रैल में 27 तारीख़ तक 323 करोड़ रुपये ही टैक्स के तौर पर जमा हुए हैं।'
उन्होंने कहा कि 'दिल्ली सरकार भी चाहती है कि लोगों के काम-धंधे खुल सकें, दिल्ली में कुछ छोटे दुकानदारों ने जो ज़रूरत का सामान बेचते हैं, उन्होंने दुकानें खोली हैं, पर अभी लॉकडाउन की अवहेलना करना ख़तरनाक हो सकता है।'
सिसोदिया से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा था कि 'दुकानें खोलने के संबंध में गृह मंत्रालय ने जो गाइडलाइंस जारी की हैं, उससे ज़्यादा कोई भी छूट दे पाना फ़िलहाल असंभव है।'
लेकिन दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि गृह मंत्रालय का आदेश इतना गोलमोल है कि उसके आधार पर कुछ तय कर पाना ही मुश्किल है।
'गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण नहीं मिला : कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में लिखा है कि 'स्टैंड अलोन' और 'नेबरहुड शॉप' खुल सकती हैं। पर इनकी व्याख्या आदेश में नहीं दी गई जिसकी वजह से व्यापारी वर्ग भ्रमित है।"
उन्होंने दावा किया कि 'कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने गृह मंत्रालय के इस आदेश पर वरिष्ठ अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी माँगा था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।'
प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि सोमवार को दिल्ली के मयूर विहार, प्रीत विहार, रोहिणी, राजौरी गार्डन और पटेल नगर जैसे बड़े बाज़ारों के व्यापारियों की एक बैठक हुई थी जिसमें सभी व्यापारियों ने गृह मंत्रालय के इस आदेश की आलोचना की।
खंडेलवाल ने कहा, "सड़क पर खड़ा पुलिस वाला तो पेपर देखता है। आदेश से यह पता नहीं चलता कि कौनसी दुकान खुल सकती है, दुकानदार को पास लेना कैसे है-कहाँ से है, वो कब तक के लिए मिलेगा, अभी कुछ नहीं पता। केंद्र, दिल्ली सरकार, व्यापारी, पुलिस, सबकी व्याख्या अलग-अलग है।
गृह मंत्रालय के अनुसार दिल्ली में 75 हज़ार दुकानें इस आदेश के अनुसार खुल सकती हैं। मूल भावना इसके पीछे यह रही होगी कि ज़रूरी सामान के अलावा रोज़मर्रा में काम आने वाले सामान की कुछ दुकानें खोली जाएं, जैसे कंप्यूटर पार्ट, स्टेश्नरी आदि। पर जब तक गृह मंत्रालय आदेश पर स्पष्टीकरण नहीं देता, तब तक कुछ संभव नहीं।"
दिल्ली के यमुनापार क्षेत्र में क़रीब सवा सौ हाउसिंग सोसायटीज़ के अध्यक्ष सुरेश बिंदल ने बताया कि 'स्थानीय पुलिस से उनके यहाँ के कुछ दुकानदारों ने दुकानें खोलने के बारे में पूछा था, पर पुलिस ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उनके पास एलजी या सीएम ऑफ़िस से इस संबंध में कोई आदेश नहीं आया है।'
वहीं दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र के व्यापारियों की फ़ेडरेशन के अध्यक्ष विजय पाल ने बताया कि 'गृह मंत्रालय का आदेश आने के बाद 15-20 फ़ीसद दुकानदार अपनी दुकानों पर पहुंचे थे, लेकिन एक तो आदेश स्पष्ट नहीं है, दूसरा ये कि व्यापारियों में चर्चा हुई और एक आम राय यह बनी कि लॉकडाउन के दौरान बाज़ार खोलने का कोई औचित्य नहीं है, इसलिए सभी ने 3 मई तक दुकानें बंद रखने का निर्णय किया है।'