कोरोना वायरस: मुंबई क्यों बना कोविड-19 का हॉटस्पॉट?

BBC Hindi
मंगलवार, 7 अप्रैल 2020 (13:03 IST)
मयंक भागवत, बीबीसी मराठी के लिए
भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई तेज़ी से कोरोना वायरस के संक्रमण का केंद्र बनती जा रही है। अब तक महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 800 से ज़्यादा तक पहुँच चुके हैं। इनमें से 400 से ज़्यादा कोरोना के मरीज़ों का इलाज मुंबई में चल रहा है।

बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने अधिक जोख़िम वाले 5,443 लोगों को खोज निकाला है जो किसी न किसी तरह से कोरोना संक्रमित लोगों के संपर्क में आए थे। वे सब आइसोलेशन और क्वारंटाइन में भेजे जा चुके हैं।

ऑफ़िस के काम से कई विदेशी मुंबई आते हैं और लाखों भारतीय नागरिक मुंबई से बाहर के देशों में जाते हैं। इन यात्राओं की वजह से यह बीमारी सबसे पहले जनवरी में यहां पहुंची और फिर मार्च के महीने में एक मरीज़ मिला। अब ये राज्य के दूसरे हिस्सों में भी फैल गया है।

पिछले महीने अनजाने में ही बाहर से लौटे लोग अपने साथ कोरोना वायरस ले कर आए और अब यह आम आदमी तक पहुँच चुका है। यहां तक कि मुबंई के झुग्गी-बस्तियों में भी कुछ कोरोना संक्रमित मरीज़ मिले हैं।

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में लॉकडाउन की घोषणा की। वहाँ बड़ी संख्या में लोकल ट्रेन और बसों में सफर करने वाले लोग प्रशासन के लिए परेशानी के सबब हैं।

इसलिए मुंबई में 17 मार्च से ही आंशिक लॉकडाउन शुरू हो चुका था और 23 मार्च सभी जगहों पर शुरू हो गया। लेकिन सरकार के बार-बार अपील करने के बाद भी लोगों ने यात्रा करना नहीं रोका। फिर सरकार ने मजबूर होकर पूरी तरह से लोकल ट्रेन की आवाजाही बंद कर दी।

जैसे-जैसे स्क्रिनिंग और टेस्टिंग बढ़ने लगे, वैसे-वैसे कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या मुंबई में बढ़ती चली गई।

 लेकिन राज्य सरकार और बीएमसी के लिए असल चिंता की बात मुंबई के झुग्गियों में कोरोना के नए मामलों के सामने आना है। इसलिए सरकार ने मुंबई में कुछ नियंत्रण ज़ोन बनाने का फ़ैसला लिया है।

बीएमसी की ओर से बनाए गए नियंत्रण ज़ोन
पूर्वी उपनगर
चीता कैंप, मानखुर्द, चेंबूर, गोवंडी और शिवाजीनगर, घाटकोपर (पश्चिम), पवई, हीरानंदानी और चांदिवली, मुलुंड (पूर्व), नहूर, भांडुप के कुछ हिस्से।

पश्चिमी उपनगर
ओशिवारा, जोगेश्वरी (पूर्व और पश्चिम), अंधेरी, अंधेरी एमआईडीसी, वर्सोवा, विले पार्ले, कलिना, सांताक्रूज़ (पश्चिम), खार (पश्चिम), बांद्रा (पश्चिम), कुर्ला।

मध्य मुंबई
वर्ली, प्रभादेवी, एंटॉप हिल, लोअर परेल, शिवड़ी और कोट्टोंग्रीन के कुछ हिस्से।

दक्षिणी मुंबई
मालबार हिल, कंबाला हिल, ग्रांट रोड, नागपाड़ा, मस्जिद बंदर, गिरगांव।

बीएमसी की ओर से इकट्ठा की गई जानकारी के अनुसार इन सभी नियंत्रण ज़ोन के प्रत्येक डिवीजन में कोरोना के मरीज़ पाए गए हैं।

धारावी कैसे पहुँचा कोरोना?
सरकार ने उन क्षेत्रों को नियंत्रण जोन में शामिल किया है जहां कोरोना के मरीज़ मिले हैं। लेकिन इनमें भी वर्ली, प्रभादेवी, गोवंडी, चिता कैंप और कलिना हॉटस्पॉट हैं।

वर्ली कोलिवाड़ा में कोरोना के 11 मरीज़ मिले हैं तो वहीं बगल में प्रभादेवी के चॉल में 10 संक्रमित मिले हैं। प्रभादेवी के बगल में मौजूद आदर्शनगर में 65 साल के एक बुजुर्ग महिला की कोरोना से मौत हो चुकी है। मुंबई के सबसे बड़े झुग्गी धारावी में भी कोरोना के एक मरीज़ की मौत हो चुकी है।

ऐसी रिपोर्ट है कि विदेश से लौटे कुछ यात्री अनजाने में मुंबई के पूर्वी उपनगर के झुग्गियों चीता कैंप, मानखुर्द, चेंबूर, गोवंडी और शिवाजीनगर में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह बने। स्थानीय विधायक और राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने भी यह कहा कि प्राथमिक रिपोर्टों के अनुसार विदेशों से लौटे लोगों की वजह से पूर्वी उपनगरों के जय भोलेनगर और विष्णुनगर में कोरोनो वायरस फैला है।

उन्होंने बताया, "जय भोलेनगर में एक टैक्सी ड्राइवर की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई। ये टैक्सी ड्राइवर एयरपोर्ट से विदेश से लौटने वाले यात्रियों को अपने टैक्सी से छोड़ता था। विष्णुनगर में एक 65 साल की संक्रमित औरत की मौत हुई है। वो जहां काम करती थी, वहां विदेश से लौटे किसी आदमी से वो संक्रमित हुई थीं। बीएमसी ने इसके आसपास का क्षेत्र सील कर दिया है।"

धारावी में संक्रमण फैलने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है लेकिन मेडिकल विषयों पर लिखने वाले शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अमोल अन्नादाते कहते हैं, "विदेशों से लौटने वाले कुछ लोग अपने साथ कोरोना संक्रमण ले कर आए। इन्हें क्वारंटाइन में नहीं रखा गया। होम क्वारंटाइन के दौरान ये आराम से बाहर घूमते रहे। इसलिए जो लोग उनके घरों में काम करते थे, वो कोरोना संक्रमण के शिकार बन गए और इस तरह से यह झुग्गियों में रहने वाली बड़ी आबादी तक पहुँच गई।"

धारावी में पिछले 35 साल से प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर अनिल पचनेकर कहते हैं, "झुग्गियों में रहने वाले लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं। ग़रीबी की वजह से एक ही कमरे में 10 से 15 लोग रहते हैं। इसलिए जहां एक कोई संक्रमित होगा, तो यहाँ संक्रमण तेजी से फैलेगा।"

"कुछ समुदायों को ग़लतफहमी है कि वे संक्रमित नहीं होंगे। इसलिए ये लोग नियम-क़ानून का सख्ती से पालन नहीं करते हैं। यहां तक कि लॉकडाउन के दौरान भी।"

ग़लतफहमी से फैलता है संक्रमण?
विशेषज्ञ कहते हैं कि ग़लतफहमियों और ग़लत जानकारियों की वजह से कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है।

बीएमसी के डिप्टी कमिश्नर किरण दिघावकर कहते हैं, "लोग सेल्फ-आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं। वो इस बीमारी को हल्के में ले रहे हैं। लोगों को लगता है कि उन्हें कुछ नहीं होगा। यह इस बीमारी के फैलने की वजह हो सकती है।" दिघावकर को फ़िलहाल मुंबई में धारावी और उसके आसपास के इलाक़े की ज़िम्मेदारी दी गई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस गर्म और नमी वाले वातावरण में भी फैल सकता है। गर्मी का इस वायरस के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।

इंडेमिक विशेषज्ञ डॉक्टर तृप्ति गिलाडा कहती हैं, "लोगों को इस बात को लेकर ग़लतफहमी है कि यह वायरस अधिक तापमान पर नहीं फैलेगा। यह एक ग़लतफहमी है। हमारा इस वायरस से पहली बार मुक़ाबला हो रहा है, इसलिए इसके संक्रमण को लेकर कुछ भी दावे के साथ नहीं कह सकते। यह मानना ग़लत है कि हम इस वायरस से संक्रमित नहीं होंगे क्योंकि हम गर्म वातावरण में रहते हैं। इस सोच से नुकसान होगा इसलिए लोगों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।"

निगरानी में हैं संदिग्ध मरीज़
महाराष्ट्र में मेडिकल टीम क्लस्टर नियंत्रण एक्शन-प्लान पर काम कर रही है। इसके अंदर सर्वेक्षण के साथ-साथ संपर्क में आने वाले लोगों को पहचाना भी जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने शनिवार को ट्वीट किया, "अब तक नौ लाख लोगों को पता लगाया जा चुका है।"

राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक शनिवार तक राज्य में 42,713 लोग होम-क्वारंटाइन में थे और 2913 लोगों को सरकार ने अपने देखरेख में क्वारंटाइन में रखा हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्री टोपे मुंबई में सभी तरह के जरूरी क़दम उठाने का आश्वासन दे रहे हैं। उनका कहना है, "बीएमसी के चार हजार कर्मचारी मुंबई में आइसोलेशन और क्वारंटाइन में रखे हुए लोगों पर नजर रखे हुए हैं। हम सभी अधिक जोख़िम वाले संभावित लोगों की जांच कर रहे हैं। अगर ज़रूरत पड़ी तो हम ड्रोन और जीपीएस से भी अधिक जोख़िम वाले लोगों और उनके रिश्तेदारों पर नज़र रखेंगे।"

वो बताते हैं, "मुंबई में कुछ ऐसे भी मरीज़ हैं जो विदेश से लौटे लोगों या फिर कोरोना के मरीज़ों के संपर्क में सीधे तौर पर नहीं आए थे। हालांकि ऐसे मरीज़ों की संख्या बहुत कम है। महाराष्ट्र अभी तक संक्रमण के कम्युनिटी स्टेज में नहीं पहुँचा है।"

वो आगे कहते हैं, "सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुंबई के झुग्गियों में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकना है। सरकार कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को झुग्गियों से निकाल कर कहीं आसपास के इलाक़ों या फिर दूसरी जगह शिफ़्ट करने के बारे में विचार कर रही है।"

सरकार ने क्या-क्या क़दम उठाए हैं?
बीएमसी के कर्मचारी नियंत्रण ज़ोन में घर-घर जाकर लोगों की जांच कर रहे हैं। कम जोख़िम वाले संपर्कों की जानकारी भी फोन पर इकट्ठा की जा रही है।

बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी के अनुसार पांच हज़ार सीसीटीवी कैमरे निगरानी के काम में लगाए गए हैं। बीएमसी ने 210 हेल्थ पोस्ट लगाए हैं। बीएमसी की ओर से 186 डिस्पेंसरी चलाए जा रहे हैं। क़रीब हर किलोमीटर पर एक हेल्थ सेंटर है।

झुग्गियों में रहने वालों के सामने खाने और पानी की एक बड़ी समस्या है। डॉक्टर अनिल पचनेकर कहते हैं, "प्रशासन को झुग्गी वाले इलाकों में नज़र रखनी चाहिए और उनके खाने का बंदोबस्त करना चाहिए। यह इस बात के लिए ज़रूरी है कि वो सुरक्षित महसूस करें और वो बाहर ना निकले।"

डॉक्टर अनिल पचनेकर बताते हैं, "कोविड-19 के बारे में जागरूकता की वजह से सर्दी, खांसी और बुख़ार से पीड़ित मरीज़ डॉक्टरों के पास आ रहे हैं। अभी मुझे हर रोज़ 200 से अधिक मरीज़ देखने पड़ रहे हैं। वायरल बुख़ार और कोरोना के लक्षण एक जैसे हैं इसलिए डॉक्टरों को अपने अनुभव से काम लेना चाहिए। अगर बुख़ार ठीक नहीं हो रहा है तो मरीज़ को एक्स-रे के लिए कहना चाहिए और उसे सरकारी अस्पताल भेजना चाहिए।"

पूर्व उपनगरों की तरह कोरोना वायरस मध्य मुंबई के झुग्गी वाले क्षेत्र वर्ली कोलीवाड़ा और प्रभादेवी में भी फैल गया है। शिवसेना के पूर्व विधायक सुनील शिंदे बताते हैं, "बीएमसी और स्वास्थ्य विभाग इस बात का पता लगाने में जुटी हुई है कि वर्ली और आदर्शनगर जैसे इलाक़ों में कोरोना वायरस कैसे फैला। वे अब तक इसका पता नहीं लगा पाए हैं। बीएमसी ने कोलीवाड़ा में 170 और आदर्शनगर में 30 लोगों को निगरानी में रखा हुआ है।"

बताते हैं, "रामाबाई नगर से आने वाला बीएमसी का एक कर्मचारी गुरुवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। बीएमसी ने रामाबाई नगर को सील कर दिया है और हर घर में पूछताछ की जा रही है। हम सील किए गए इलाक़े में खाना, आनाज और दूसरी ज़रूरत की चीज़ें पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।"

हर नियंत्रण क्षेत्र में एक नियंत्रण अधिकारी नियुक्त किया गया है। इस क्षेत्र के सभी चीज़ों पर बीएमसी के अधिकारी नज़र रखे हुए हैं।

बीएमसी के मेडिकल कॉलेज में इंटर्न डॉक्टर्स को भी कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि ज़रूरत पड़ने पर इन डॉक्टरों की भी सेवा ली जा सके।

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