न्यूयॉर्क में नोट बदलने को तरसे भारतीय

बुधवार, 14 दिसंबर 2016 (10:46 IST)
सलीम रिज़वी (न्यूयार्क से)
 
करेंसी बैन का अमेरिका में रहने वाले भारतीय या भारतीय मूल के लोगों पर भी असर पड़ा है, उन्हें घंटों लाइनों में तो न लगना पड़ रहा है लेकिन बैंकों के चक्कर जरूर लगाने पड़ रहे हैं और फिर भी मायूसी हाथ लग रही है।
अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के बहुत से लोग भारत का चक्कर अकसर लगाते रहते हैं। और उनमें से काफ़ी ऐसे हैं जिनके भारतीय मुद्रा की बड़ी रकम मौजूद है। उनकी समस्या यह है कि नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपये के नोटों को कहां बदलने जाएं।

न्यूयॉर्क के पकीप्सी इलाके में रहने वाले भारतीय मूल के हरविंदर सिंह मैनहैटन की स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की ब्रांच में 500 और 1000 की नोटों को बदलवाने आए थे। उनकी मां भारत से उनसे मिलने आई हुई थीं और ये उनके पैसे थे। लेकिन हरविंदर बैंक से मायूस लौटे।
 
हरविंदर कहते हैं, 'मैं 2 घंटे ड्राइव करके आया कि यहां मेरी 86 वर्षीय मां के करीब 10 हजार की रकम बदल जाएंगे, लेकिन बैंक ने साफ मना कर दिया। अब तो वह रकम हमारे लिए बेकार ही है।' हरविंदर सिंह बताते हैं कि बैंक वालों ने उनसे कहा कि किसी भारत जाने वाले के हाथ वह नोट भिजवा कर बदलवा लें। लेकिन वह कहते हैं कि भारत में लोग खुद ही अपनी नोटे बदलवाने में परेशान हैं तो इनकी नोट कौन बदलवाने जाएगा। हरविंदर बताते हैं कि उनके बहुत से दोस्त भी नोट बदलवाना चाहते हैं लेकिन अमेरिका में इसका कोई इंतजाम नहीं है।
अमेरिका में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे भारतीय बैंकों की शाखाएं भारतीय रुपये लेने या देने से साफ इनकार करती हैं। और नोटबंदी के सिलसिले में बैंकों में नोटिस लगा दिए गए हैं कि 500 और 1000 रुपये के नोटों को सिर्फ़ भारत में ही बदला जा सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के काउंटर पर मौजूद एक टेलर ने बताया कि दिन भर लोगों के फ़ोन आते रहते हैं और वह सभी यह पूछते हैं कि भारतीय रुपये की 500 और 1000 की नोटें बदलने के लिए क्या करें, और कहां जाएं?
 
न्यूयॉर्क में रहने वाले एक भारतीय मूल के वकील आनंद अहूजा के पास कई लोग नोटबंदी के कारण उपजी परेशानी का हल ढूंढने भी आ रहे हैं। आनंद अहूजा कहते हैं, 'मुझसे कुछ लोग पूछते हैं कि 60 हजार, 1 लाख रुपये, या 2 लाख रुपये की रकम 500 और 1000 के नोटों में उनके पास है, तो वह अमेरिका में कैसे बदलवाएं। भारतीय बैंकों में कोई मदद नहीं मिल रही, वाणिज्यिक दूतावास जाते हैं तो वहां भी कोई हल नहीं मिलता।'
 
अहूजा आगे बताते हैं कि 'कुछ लोग तो भारत में नोटों को बदलने के लिए ले जाने के बदले 50 प्रतिशत की रक़म भी देने को तैयार हैं।'

नोटबंदी के कारण उपजी समस्या के बारे में विभिन्न अमेरिकी शहरों में स्थित भारतीय वाणिज्यिक दूतावास से भी लोगों को कोई मदद नहीं मिल रही है। अभी भारत में 500 और 1000 के नोट बदलवाने के लिए लगभग दो हफ़्तों का समय बाक़ी है। और इसीलिए कुछ लोग भारत जाने वाले दोस्तों और संबंधियों से गुजारिश कर रहे हैं कि उनके नोट लेते जाएं और भारत में बदलने के लिए उनके रिश्तेदारों को दे दें।
 
न्यूजर्सी में रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी जाफर मोहम्मद दिसंबर माह में ही भारत अपने परिवार से मिलने जा रहे हैं और उनके कई दोस्त 500 और 1000 की नोटों में हजारों रुपये भारत में बदलने के लिए दे गए हैं।
 
जाफर मोहम्मद कहते हैं, 'मेरे काफी दोस्तों ने मुझे रुपये दिए हैं, अब तक करीब एक लाख रुपये के 500 और 1000 के नोट मुझे दिए गए हैं। और इन नोटों को भारत में दिसंबर की समय सीमा के भीतर ही बैंक से 100 के नोट में बदलवाने के लिए उनके परिवार वालों को देने को कहा गया है।'
 
500 और 1000 रुपये के नोटों को रद्द किए हुए एक महीने से अधिक समय हो गया लेकिन अब तक विदेशों में भारतीय बैंकों की ब्रांचों को कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं जिससे वह भारतीय मूल के लोगों और विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों की नोटों को बदलने में कोई मदद कर सकें।

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