सेंसर इस तरह से मदद करता है:-
सेंसर बहुत लचीला होता है इसलिए इसे त्वता के साथ खिसकाना आसान होता है। हालांकि इस मामले में वैज्ञानिकों की चुनौतियां अभी ख़त्म नहीं हुई हैं। ख़ून में जितनी शुगर होती है उसके मुक़ाबले पसीने में काफी कम होती है। ऐसे में शुगर का पता लगाना आसान नहीं होता है। पसीने में कई तरह के केमिकल्स भी होते हैं। इन केमिकल्स में लेक्टिक ऐसिड होता है जो नतीजे को प्रभावित करता है।
ऐसे में पैच में तीन सेंसर हैं जिनसे ख़ून में शुगर के स्तर का पता लगाया जाता है। पसीने में एसिडिटी की जांच और एक ह्यूमडिटी सेंसर से पसीने के स्तर का पता लगाया जाता है। इन सभी को छिद्रपूर्ण परतों में लगाया जाता है जो पसीने को सोखने में सक्षम होते हैं। इस प्रक्रिया में सारी सूचना एक पोर्टेबल कंप्यूटर के ज़रिए मिलती और इसी से ख़ून में शुगर से स्तर का पता चलता है।