इसे प्रीऑरीकुलर साइनस कहते हैं। अधिकतर लोगों में यह छेद धीरे-धीरे गायब हो जाता है। हालांकि कुछ नस्लों में यह दस फ़ीसदी लोगों के कानों में रह जाता है। यह छेद जन्मजात होता है, जो कान के बाहरी हिस्से में दिखाई देता है।
जीव वैज्ञानिक नील शुबिन ने बिजनेस इनसाइडर को बताया, "वास्तव में ये छेद मछली के गलफड़े का अवशेष हो सकते हैं।" अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक यह भी संभव है कि यह छेद त्वचा और मांस के ठीक से ना जुड़ने के कारण हो।
क्या है ख़तरनाक है
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक इस छेद से लोगों को कोई ख़तरा नहीं है, जब तक कि यह संक्रमित न हो। उस स्थिति में इसका इलाज किया जाना ज़रूरी है और इसे सर्जरी से निकाला भी जा सकता है। अगर आपके कान में भी यह छेद है तो परेशान न हों, लेकिन अगर आपको किसी तरह का शक है तो डॉक्टर से परामर्श लें।