साल 2007 में सिरसा का डेरा सच्चा सौदा सुर्ख़ियों में था क्योंकि कुछ सिख संगठनों ने उसके प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर ईशनिंदा का आरोप लगाया।
गुरमीत राम रहीम सिंह पर दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह की नकल उतारने का आरोप लगा। पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाक़ों में डेरा समर्थकों और प्रदर्शनकारी सिखों के बीच झड़पें हुईं और हालात काफ़ी तनावपूर्ण थे।
मैं उस वक़्त सिरसा में स्टार न्यूज़ चैनल रिपोर्टर के रूप में ओबी वैन पर तैनात था। चंडीगढ़ से वहां पहुंचने के बाद हमें अहसास हुआ कि आसपास के इलाक़ों में डेरा के समर्थकों की तादाद काफ़ी थी। आसपास मौजूद ऑफ़िसों और दुकानों में 'धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा' के बोर्ड नज़र आए। डेरा समर्थक मिलते तो एक-दूसरे से यही कहते। डेरा की दीवारें काफ़ी ऊंची थीं। मुख्य दरवाज़ा क़िले के आगमन की तरह दिख रहा था। और आसपास दूर-दूर तक खेत फैले थे।
दरवाज़े के बाहर खड़े होकर भी इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि भीतर कितने सारे लोग हैं। उनकी इजाज़त के बिना डेरा में दाखिल होना मुमकिन नहीं था।
हमें दरवाज़े पर ही रोक लिया गया और जल्द ही वहां दूसरे मीडिया संस्थानों के कई सारे लोग आ पहुंचे। भीड़ लग गई। करीब एक घंटे बाद हमारे स्वागत का संदेश आया लेकिन हमें अपनी गाड़ी डेरा के बाहर ही छोड़नी पड़ी। हम करीब आधा घंटा पैदल चलने के बाद एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक पहुंचे जिसे कॉरपोरेट ऑफ़िस का लुक दिया गया था। पढ़ने के लिए अख़बार और पत्रिकाएं थीं तो पेट भरने के लिए खानपान की व्यवस्था भी थी।
बाहर उत्तर भारत में पड़नी वाली सड़ी गर्मी थी और भीतर शानदार इंटीरियर, वो भी एयरकंडिशनर की सुहानी हवा के साथ। हमने जो भी सवाल किए, डेरा के स्टाफ़ ने किसी का जवाब नहीं दिया या फिर उन्हें टाल दिया गया। हमने जो भी जानकारी मांगी, देने से मना कर दिया गया।
वहां हर कोई अपने काम में बिज़ी था। कम्युनिटी किचन चल रहा था। साफ़-सफ़ाई और सड़कें इतनी अच्छी थीं कि शहर के प्रशासन को शर्म आ जाए। मैं ये देखकर हैरान रह गया कि किसी डेरा में इस तरह के इंतज़ाम हो सकते हैं।
पढ़े-लिखे भी राम रहीम के शिष्य : डेरा में सभी ख़ुद को इंसां बता रहे थे। मुझे बताया गया कि डेरा जाति प्रथा में यक़ीन नहीं रखता इसलिए सभी को अपने नाम के साथ इंसां लगाना होता है। कुछ अनुयायी दिग्गज संस्थानों से पढ़े-लिखे थे और यहां आने से पहले बड़ी नौकरियां छोड़कर आए थे।
डेरा में दिखने वाले ज़्यादातर समर्थक नौजवान और साधारण कपड़ों में दिखे। डेरा के कुछ वरिष्ठ अधिकारी अंग्रेज़ी बोल रहे थे और वो अपने गुरु की असीम ताक़तों का ज़िक्र कर रहे थे। उन पर लगे आरोपों के बारे में पूछने पर उन्होंने सवाल टाल दिया।
शाम में हमें कुछ पत्रकार मिले जिन्होंने बताया कि बाहर हालात तनावपूर्ण हैं और आसपास कोई भी होटल उपलब्ध नहीं हैं। अकाल तख़्त ने डेरा को तय वक़्त में माफ़ी मांगने को कहा था। हम डेरा में फंस गए थे और उन्होंने हमारे रहने की व्यवस्था करने की पेशकश की। और भी पत्रकार वहां आ गए। डेरा में रहने का मतलब था अंदर होने वाली चीज़ों के बारे में ज़्यादा करीब से जान पाना।
होटल जैसी सुविधाएं : डेरा ने हमें चौंका दिया था लेकिन आगे और भी बहुत कुछ होना था। मुझे और मेरे साथी कैमरापर्सन को ऐसे परिसर में ठहराया गया जो किसी होटल से कम नहीं था। वहां रूम सर्विस का इंतज़ाम था और हमारे सामने घूमने वाले रेस्तरां में भोजन करने का विकल्प भी था। रिवॉल्विंग रेस्तरां में डिनर करने का अनुभव ख़ास था। इसके अलावा सैर के लिए वहां बना पार्क भी शानदार था।
जैसे-जैसे वक़्त गुज़रा, डेरा को जानने से जुड़ी हमारी दिलचस्पी बढ़ती चली गई। डेरा के कुछ समर्थकों के साथ हमारी अच्छी जान-पहचान हो गई थी, जिन्होंने हमें वहां घुमाया। डेरा के भीतर एक शानदार स्टेडियम भी था। हरियाणा ने कपिल देव, चेतन शर्मा और अजय जडेजा जैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर दिए हैं लेकिन हैरानी की बात है कि राज्य के पास हाल तक एक अच्छा स्टेडियम नहीं था। डेरा में दूसरे खेलों की भी व्यवस्था थी।
खेल कूद पर ध्यान : डेरा की अपनी स्कैटिंग टीम है। हमें बताया गया कि डेरा के भीतर कारखाने भी हैं। अपने बागान और खेत हैं, वो भी इतने बड़े कि एग्रो-प्रोसेसिंग के लिए प्लांट भी बनाया गया है। यहां पैक्ड जूस और सब्ज़ियां तैयार होती थीं।
हमें चखने के लिए एलोवीरा जूस दिया गया। उस वक़्त तक रीटेल बाज़ार में बाबा रामदेव के उत्पाद नहीं आए थे। मुझे पहली बार पता चला कि डेरा में ऑर्गेनिक और हर्बल उत्पाद बनाए जाते हैं। रविवार को गुरमीत राम रहीम सिंह एक महंगी गाड़ी में आए। हमें बताया गया कि ये गाड़ी ख़ुद डेरा प्रमुख ने डिजाइन की है। हज़ारों लोग वहां जाम-ए-इंसां समारोह में शिरकत कर रहे थे जिसे पीकर 'इंसान' बना जाता है।
इसे पीकर वो डेरा अनुयायी बन जाते हैं और उन्हें डेरा प्रेमी कहा जाता है और उन्हें ड्रग्स से दूर रहना होता है। मीडिया को गुरुजी से सवाल करने के लिए कहा गया। हम वहां आठ-नौ दिन रहे। डेरा प्रमुख ने प्रेस नोट जारी किया जिसमें गुरु गोबिंद सिंह से माफ़ी मांगी गई थी। कुछ दिनों के बाद हालात सामान्य हो गए और हमने वापसी का सफ़र शुरू किया।