परिवार का इनकार...
उस छोटी उम्र में दिनभर में कई ग्राहक खुश करना होता था। शरीर जवाब दे देता था तो मैं उनसे विनती करती, पर वो नहीं सुनते थे। अपनी जरूरत पूरी करने के बाद वो चले जाते थे। हर रोज रोती थी। रोशनी क्या होती है, देख नहीं पाती थी। ऐसे कई दिनों तक चला। सोसाइटी में बहुत सारे घर थे, पर उन घरों में एक काल कोठरी होती थी, जहां बच्चियों को 'भूखे' लोगों को परोसा जाता था और किसी को पता तक नहीं चलता।