इस देश में सबसे पहले बनाई गई थी आइसक्रीम

शनिवार, 4 अगस्त 2018 (17:04 IST)
- विक्टोरिया फियोरे (बीबीसी ट्रैवल)
 
अगर हम आप से पूछें कि आइसक्रीम का जन्मस्थान कहां है? तो, आप क्या जवाब देंगे?...नहीं पता। मुझे नहीं मालूम। कोई कह रहा था शायद न्यूयॉर्क में। पक्का न्यूयॉर्क में ही पहली बार आइसक्रीम बनी थी या फिर, इटली?....हां, हां...इटली में ही पहली बार आइसक्रीम बनी थी। अगर आप के जवाब ये हैं, तो ये सरासर ग़लत हैं।
 
 
दुनिया की पहली आइसक्रीम ईरान में बनी थी। ईरानियों का तो ये भी दावा है कि उनके देश ने तो आज से दो हज़ार साल पहले ही आइसक्रीम बनाने में महारत हासिल कर ली थी।...सवाल ये है कि रेफ़्रिज़रेटर और बर्फ़ जमाने वाली मशीनें तो ज़्यादा पुरानी नहीं हैं, फिर ईरान के लोग 2 हज़ार साल पहले आइसक्रीम कैसे बनाते थे?
 
 
इस सवाल का जवाब है- यख़चल। ये नुकीली छत वाली इमारत ही आइसक्रीम बनाने का पहला ठिकाना थी। इसे फ़ारस के बाशिंदों ने प्राचीन काल में ईज़ाद किया था। ईरान के रेगिस्तानी यज़्द इलाक़े में प्राचीन काल की इन इमारतों के खंडहर मौजूद हैं।
 
 
नुकीली छत वाली इमारत के भीतर जाने पर गहराई में तहख़ाना होता था। आम तौर पर ये बर्फ़ जमा करने के काम आता था। ये तहख़ाने ईसा से भी 400 साल पुराने यानी क़रीब 2400 साल पुराने हैं।
 
 
इस तहख़ाने को जिन चीज़ों से बनाया गया है, उससे ये तपते रेगिस्तान में भी गर्म नहीं होता था। इसका फ़ायदा ये होता था कि यहां बर्फ़ जमाकर पूरे साल रखी जा सकती थी। हालांकि, केवल बर्फ़ से तो आइसक्रीम बनती नहीं।
 
 
कहां से आया फ़ालूदा
अब आप से दूसरा सवाल। क्या आपने फ़ालूदा खाया है? कुल्फ़ी के साथ कई बार खाया होगा। वो नूडल्स जैसे पतली लेकिन ठंडी सी चीज़। ये फ़ालूदा ईरान से ही आया है। इसका नाम भी फ़ारसी ही है, जो हम हिंदुस्तानियों ने अपना लिया। ईरान के लोग इसी फ़ालूदा को 2 हज़ार साल से भी ज़्यादा पुरानी आइसक्रीम कहते हैं।
 
 
इसे स्टार्च, शीरे और बर्फ़ को मिलाकर बनाया जाता है। ईरान के यज़्द इलाक़े में आज भी बहुत सी दुकानें हैं, जो परंपरागत तरीक़े से आइसक्रीम यानी फ़ालूदा बनाते हैं। ईरान के इस्फ़हान इलाक़े में भी परंपरागत तरीक़े से आइसक्रीम बनाई जाती है। स्थानीय दुकानदार आइसक्रीम बनाने की मशीनों के आने से पहले का क़िस्सा सुनाते हैं।
 
कैसे बनती थी आइस्क्रीम
पुराने ज़माने के ईरान में, पहले बड़े से बर्तन में बर्फ़ रखी जाती थी और छोटे से बर्तन में दूध। दूध को मथते हुए उसमें बर्फ़ को डालते हुए, उसे जमाया जाता था। धीरे-धीरे दूध टुकड़ों में जमने लगता था। फिर पूरा दूध जम जाता था।
 
 
ईरान में आज के आइसक्रीम पार्लर वाले कहते हैं कि ये बहुत लंबी और थकाने वाली प्रक्रिया थी। तो, धीरे-धीरे आइसक्रीम बनाने का ये पुराना तरीक़ा ईरान के लोगों ने छोड़ दिया। हालांकि, ये हुनर मरा नहीं। ये दूसरे देशों के लोगों ने ईरान से सीख लिया।
 
 
इसी ईरानी तरीक़े से आइसक्रीम बनाकर इटली में इसका कारोबार शुरू किया गया। यही वजह है कि जब हम ने लोगों से पूछा कि आइसक्रीम सबसे पहले कहां बनी, तो कई लोगों का जवाब इटली था। मगर, ईरान के लोग अपने देश को ही आइसक्रीम का जन्मस्थान बताते हैं।
 
 
ईरान में आज मशीनों से ही आइसक्रीम बनाई जाती है। आम तौर पर इसमें भेड़ का दूध इस्तेमाल होता है। इसमें चीनी, केसर और गुलाबजल मिलाया जाता है। इस्फ़हान के स्थानीय दुकानदार कहते हैं कि ईरान और अमेरिका के लोग मोटापा बढ़ाने वाली मीठी आइसक्रीम पसंद करते हैं। वहीं, यूरोप के रहने वाले कम फैट और चीनी वाली आइसक्रीम के मुरीद हैं।
 
 
सारी चीज़ें मिलाकर पहले आइसक्रीम जमाई जाती है। फिर इसे ड्रायर में रखा जाता है। ड्रायर का तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस होता है। ये आइसक्रीम को और सुखाकर कड़ा बना देता है। ताकि वो जल्दी पिघले नहीं। ड्रायर से निकालकर, इसे टुकड़ों में काटकर फिर बेचा जाता है।
 
तो, आप को कैसी लगी आइसक्रीम की ये दास्तान?
 
मीठी और ठंडी न!
 
(नोटः ये विक्टोरिया फियोरेकी मूल स्टोरी का अक्षरश: अनुवाद नहीं है। हिंदी के पाठकों के लिए इसमें कुछ संदर्भ और प्रसंग जोड़े गए हैं)
 

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