दिल्ली के जहांगीरपुरी में शनिवार को हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई। हिंसा के बाद भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
इस मामले में पुलिस ने अब तक 23 लोगों को गिरफ़्तार किया है। इनमें दो नाबालिग़ हैं। गिरफ़्तार 14 लोगों को रविवार को रोहिणी कोर्ट में पेश किया गया।
इस घटना से जुड़े एक वीडियो को आधार बनाकर दिल्ली पुलिस ने सोनू शेख़, इलियास यूनुस, और इलियास इमाम को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि वीडियो में सोनू गोली चलाता नज़र आ रहा है।
बिना इजाज़त निकाली गई शोभायात्रा
दिल्ली पुलिस ने खुद माना है कि जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के लिए प्रशासन की ज़रूरी इजाज़त नहीं ली गई थी।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी (क़ानून और व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने एक न्यूज़ चैनल से कहा कि "सोनू शेख़, इलियास यूनुस और इलियास इमाम। पुलिस की तरफ़ और बाकी लोगों पर वीडियो में ये गोली चलाते नज़र आए। दो दिनों से जांच के बाद हमने मैप करके इन्हें गिरफ्तार किया है।"
दीपेंद्र पाठक ने कहा कि "उस दिन तीन यात्राएं निकाली गई थीं। दो शोभायात्राओं- सुबह 11 बजे और दो बजे वाली को परमिशन मिली थी, लेकिन तीसरी वाली शोभायात्रा जो जहांगीरपुरी में निकली उसे परमिशन नहीं मिली थी। इसका एप्लिकेशन एक दिन पहले शाम में पुलिस स्टेशन में दिया गया था और इसे परमिशन नहीं मिल पाई थी।"
सोमवार दोपहर तक शोभायात्रा के आयोजकों पर कोई एफ़आईआर नहीं होने की बात कही जा रही थी।
दीपेंद्र पाठक ने एक न्यूज़ चैनल को बताया था कि आयोजकों पर एफ़आईआर नहीं हुई है लेकिन उन्हें इस जांच का हिस्सा बनाया गया है।
हालांकि सोमवार शाम को मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं कि इजाज़त के बिना शोभायात्रा निकालने पर आयोजकों पर एक एफ़आईआर दर्ज की गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ डीसीपी, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली उषा रंगनानी के हवाले से ये जानकारी दी गई कि लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा करने को लेकर आईपीसी की धारा के तहत 17 मार्च को तीसरे जुलूस के आयोजकों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया। इनमें से एक व्यक्ति "जांच में शामिल हो गए हैं।"
मस्जिद में कोई नहीं घुसा-दिल्ली पुलिस
सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट के ज़रिए ये कहा जा रहा था कि जहांगीरपुरी के सी-ब्लॉक में स्थित एक मस्जिद पर भगवा झंडा लगाने की कोशिश की गई। लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसे पूरी तरह ख़ारिज कर दिया है।
एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए स्पेशल सीपी दीपेंद्र पाठक ने कहा कि किसी ने भी मस्जिद में दाख़िल होन की कोशिश नहीं की।
दिल्ली पुलिस के कमिश्नर राकेश अस्थाना ने भी मस्जिद पर भगवा झंडा लगाने के दावों से इंकार किया है।
पुलिस पर धर्म विशेष के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आरोप
दिल्ली पुलिस पर एक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के आरोप लग रहे हैं। जब ये सवाल दिल्ली पुलिस के कमिश्नर राकेश अस्थाना से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'हम हर तरह के साइंटिफिक सबूतों की जांच चला रहे हैं। जितने लोग हमने गिरफ्तार किए हैं उसमें दोनों पक्ष के लोग हैं। जांच में जिसके ख़िलाफ़ सबूत होंगे उस पर कार्रवाई होगी। ये आरोप लगाना सरासर ग़लत है।'
पुलिस के मुताबिक टकराव कब हुआ शुरू
राकेश अस्थाना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि "इस पूरे मामले में नौ लोग ज़ख्मी हुए हैं जिसमें आठ पुलिस वाले हैं और एक आम नागरिक है। इससे साफ़ है कि पुलिस ने दोनों पक्षों को दूर किया और आम लोगों को चोट लगने से बताया। कुल 23 लोगों को गिरफ्तार किया है इनमें से आठ लोग ऐसे हैं जिनके अतीत में आपराधिक रिकॉर्ड हैं।"
"सीसीटीवी और डिजिटल फुटेज की जांच चल रही है जिसके आधार पर और लोग गिरफ्तार होंगे। तीन फायर-आर्म बरामद कि गए हैं। ये मामला अब क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है। इसी सिलसिले में फॉरेंसिक की टीम ने घटनास्थल की जांच की है और सबूत जुटाए हैं। इस केस की हर एंगल से जांच होगी। सोशल मीडिया पोस्ट भी देखी जाएंगी ताकि जो भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल रहा है वो छूटे नहीं।"
राकेश अस्थाना ने कहा कि दोनों पक्षों के वायरल वीडियो सामने आए हैं। दोनों के हाथों में हथियार दिख रहे हैं। गिरफ्तार सभी पक्ष जो हिंसा में शामिल हैं उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी।
कुछ सवाल जो दिल्ली पुलिस की अब तक की जांच पर उठाया जा रहा है वो ये है कि- क्या शोभायात्रा में तलवार लहराते लोगों पर कोई एक्शन लिया जा रहा है?
अगर ये शोभायात्रा पुलिस की इजाज़त के बिना निकाली गई तो इसे दिल्ली पुलिस ने निकाले जाते समय ही क्यों नहीं रोका? आख़िर ये संवेदशील इलाके तक कैसे पहुंच गई। आमतौर पर इतने बड़े जुलूस या शोभायात्रा को बिना इजाज़त शुरू भी नहीं होने दिया जाता है। ये वो सवाल हैं जिनके जवाब अभी मिलना बाक़ी हैं।