पाकिस्तान में 'जिहादियों' पर क्रैकडाउन होगा?

शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2016 (19:58 IST)
ज़ुबैर अहमद, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
 
पाकिस्तान में इस बात पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वहां सक्रिय जिहादियों, चरमपंथियों और उनकी संस्थाओं पर रोक लगाई जाए। पाकिस्तान के कई सांसदों ने एकजुट होकर कहा है कि हाफ़िज़ सईद और मौलाना अज़हर मसूद जैसे लोगों का समर्थन बंद हो और उनकी हरकतों पर पाबंदी लगाई जाए।
भारत का कहना है कि हाफिज सईद और मौलाना अज़हर मसूद जैसे ''नॉन-स्टेट एक्टर्स'' की संस्थाओं ने भारत और भारत प्रशासित कश्मीर में कई चरमपंथी हमले किए हैं जिन में इस साल हुए पठानकोट हमले और 2008 में मुम्बई में हुए हमले शामिल हैं।
 
उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के अंदर भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक्स करने का दावा किया है, लेकिन भारत ने उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को राजनयिक तरीके से भी घेरने की कोशिश की है जिसके कारण भारत के अनुसार पाकिस्तान खुद को अलग-थलग महसूस कर रहा है।
 
 
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की तन्हाई का एहसास पाकिस्तानी अधिकारियों और सांसदों को भी हुआ है जिसका इज़हार संसद के अंदर सत्तारूढ़ और विपक्ष के सांसदों ने एकजुट हो कर किया, लेकिन हैरानी इस बात पर थी कि पाकिस्तान की सेना के अंदर भी ये सोच पनपी है।
 
पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध पत्रकार मुबाशिर ज़ैदी कहते हैं, ''पाकिस्तान में सेना और सिविल हुकूमतों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। उदाहरण के तौर पर सियासी हुकूमतों ने बार-बार कहा है कि जिहादी तंज़ीमें किस तरह से खुल कर काम कर रही हैं जिन्हें फ़ौज का समर्थन हासिल है, लेकिन अगर अब इन दोनों ने मिलकर एक नई रणनीति पर काम करने का फैसला किया है तो ये ख़ुशी की बात है। 
 
ज़ैदी कहते हैं कि सोमवार को सेना और सिविलियन अधिकारियों के बीच हुई बैठक में जिहादी संगठनों को लेकर एक नई रणनीति पर अमल करने पर फैसला हुआ था
 
लेकिन इस पर अमल करना कितना कठिन होगा? मुबाशिर ज़ैदी कहते हैं, ''अगर आप इसका रिजल्ट एक दिन में चाहते हैं तो ऐसा नहीं होगा। ये अमरीका और भारत को भी पता है। भारत को संयम से काम लेना होगा और सिविलियन अथॉरिटी के हाथ मज़बूत करने होंगे। 
 
पाकिस्तान की सरकार और सेना के बीच इस नई रणनीति को लेकर कुछ मामलों में अब भी मतभेद है। मुबाशिर ज़ैदी कहते हैं, ''हाफिज सईद और मौलाना अज़हर जैसे लोगों के खिलाफ अगर क्रैकडाउन करेंगे तो इसका नकारात्मक असर हो सकता है। इनसे हथियार धीरे-धीरे लेना होगा। उन्हें ये समझाना होगा कि आप लोगों के कारण पाकिस्तान की साख को नुकसान पहुंचा है। 
 
भारत के अनुसार पाकिस्तान के कई जिहादी संगठनों ने भारत प्रशासित कश्मीर को आज़ाद कराने के मक़सद से भारतीय कश्मीर में सालों से चरमपंथी हमले किए हैं। अगर पाकिस्तानी सरकार और सेना ने उनपर अंकुश लगाया तो पाकिस्तान की कश्मीर की पालिसी पर असर होगा?
 
मुबाशिर ज़ैदी के अनुसार हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं ने पाकिस्तान को ये पैग़ाम दिया है कि वो कश्मीर में जारी उनकी मुहिम में हिस्सा लेने पाकिस्तान से लोगों को ना भेजें।
पाकिस्तान के विचारों में परिवर्तन के बाद भारत में अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। 

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