क्या आपने कभी सोचा है कि दशकों से तनाव और हिंसा का केंद्र रही कश्मीर घाटी में बड़ी हो रहीं लड़कियों और बाक़ी भारत में रहनेवाली लड़कियों की ज़िंदगी कितनी एक जैसी और कितनी अलग होगी? यही समझने के लिए हमने वादी में रह रही दुआ से दिल्ली में रह रही सौम्या को ख़त लिखने को कहा। सौम्या और दुआ कभी एक दूसरे से नहीं मिले। उन्होंने एक-दूसरे की ज़िंदगी को पिछले डेढ़ महीने में इन ख़तों से ही जाना। आपने श्रीनगर से दुआ का पहला ख़त पढ़ा।
मेरा एक छोटा और ख़ूबसूरत परिवार है। मेरे परिवार में केवल तीन लोग हैं, मैं, मेरी मम्मी और मेरे पापा। मेरा कोई भाई-बहन तो नहीं है, पर हां मेरे पड़ोस में एक पांच साल का बच्चा रहता है और उसका नाम है समर्थ। वो मुझे भाई की कमी नहीं महसूस होने देता, बिल्कुल छोटे भाई की तरह मुझे परेशान करता है। वह मेरे मम्मी-पापा के प्यार को दो हिस्सों में बांट लेता है।