#UnseenKashmir: 'जन्नत' से दिल्ली आया एक लड़की का ख़त

मंगलवार, 6 जून 2017 (11:42 IST)
कश्मीर घाटी में तनाव के माहौल में बड़ी हो रही लड़कियों और बाक़ी भारत में रहने वाली लड़कियों की ज़िंदगी कितनी एक जैसी और कितनी अलग होगी? यही समझने के लिए वादी में रह रही दुआ और दिल्ली में रह रही सौम्या ने एक दूसरे को ख़त लिखे हैं। सौम्या और दुआ कभी एक दूसरे से नहीं मिले। उन्होंने एक-दूसरे की ज़िंदगी को पिछले डेढ़ महीने में इन ख़तों से ही जाना। ये ख़त आप अगले कुछ दिनों तक यहाँ पढ़ सकेंगे।
 
प्यारी सौम्या
धरती पर जन्नत कही जाने वाली जगह कश्मीर से बहुत प्यार-भरा सलाम। मैं दुआ तुल बरज़म हूं। जानती हूं ये लंबा नाम है, तो तुम मुझे सिर्फ़ दुआ कह सकती हो। मैं पंद्रह साल की हूं और भारत के सबसे नामी-गिरामी स्कूलों में से एक प्रेज़ेन्टेशन कॉन्वेंट में पढ़ती हूं। मैं एक साधारण मगर प्यारे परिवार की सीधी-सादी लड़की हूं।
मेरे न्यूक्लीयर पर बहुत क्लोज़ परिवार में मेरे हीरो - मेरे पापा (बाबा), मेरी प्यारी मां (मम्मा) और नौ साल का मेरा शैतान भाई (अवीन) हैं। मेरी कई सहेलियां हैं जो मेरी ज़िंदगी में बहुत अहमियत रखती हैं पर मेरी सबसे क़रीबी दोस्त हैं आएरा (छुटकी), फ़ातिमा (फ़ैटी) और लिक्का (द सेरकैस्टिक वन)।
 
उन्हीं की वजह से मेरी स्कूली ज़िंदगी बहुत मज़े की है। तुम्हें भी ज़िंदगी में दोस्त होने का मतलब ख़ूब मालूम होगा, तुम्हारी भी कई पक्की सहेलियां होंगी जो तुम्हें लगभग हर वक़्त परेशान करती होंगी (मेरी सहेलियां तो मुझे छोड़ती ही नहीं)।
 
तुम कश्मीर के बारे में सोचती होगी। जैसा मैंने कहा ये धरती पर जन्नत है। हमारे यहां कड़ाके की ठंड और ठीक-ठाक गर्मी पड़ती है। ठंड इतनी तीखी होती है कि सर्दी के उन महीनों को चिल-ए-कलां कहा जाता है।
हमारे यहां देखने को बहुत अच्छी और ख़ूबसूरत जगहें हैं जैसे पहलगाम, सोनमर्ग, यूसमर्ग और सर्दियों का राजा - गुलमर्ग। मैं इन सब जगह गई हूं पर इस सर्दी पहली बार गुलमर्ग को बर्फ़ से ढके होने के व़क्त देखने का मौक़ा मिला। क्या तुम अंदाज़ा लगा सकती हो, कि तुम्हारे आसपास तुम्हारे क़द से भी लंबी सात फ़ीट की ऊंचाई तक बर्फ़, बर्फ़ और सिर्फ़ बर्फ़ हो।
 
इस साल जम्मू और कश्मीर की सरकार ने गुलमर्ग में कई विंटर गेम्स आयोजित किए। मैं तो नहीं पर मेरा भाई अवीन खेल-कूद में दिलचस्पी रखता है।
 
मैं हैरान रह गई जब वो इस साल स्कीइंग के खेल में अव्वल आया, जबकि पिछले साल तक वो कहता था कि स्कीइंग उसे बहुत पकाऊ खेल लगता है। तुम भी किसी खेल में रुचि रखती होगी? मैं जानना चाहूंगी कि तुम कौन सा खेल खेलती हो। जैसा मैंने कहा कि मैं एक सीधी-सादी लड़की हूं, सीधी-सादी लड़की जिसे पढ़ना, लिखना, नाचना, अपने छोटे भाई को परेशान करना और संगीत सुनना अच्छा लगता है।
 
संगीत की बात छिड़ी है तो तुम्हें बताना चाहूंगी कि मैं संगीत का बहुत शौक़ रखती हूं। मैं शांति देने वाले वेस्टर्न और कश्मीरी संगीत, दोनों से बहुत प्रभावित हूं। जब मैं तुमखनारी (एक तरीक़े का ढोल) और नोट्ट (स्टील के बरतन जैसा यंत्र) जैसे यंत्रों को साथ बजता सुनती हूं तो झूम के पागल की तरह नाचने का मन करता है।
कभी गीतों के बोल मन को छू जाते हैं और कई बार बहुत गुदगुदाते हैं (यक़ीन मानो अगर मज़ाक़िया कश्मीरी गाना सुनोगी तो हंसते-हंसते लोटपोट हो जाओगी)। वेस्टर्न संगीत में मुझे पॉप, ऑल्टरनेटिव पॉप, रॉक और आर एंड बी पसंद है। वन डायरेक्शन (वैसे आजकल वो ब्रेक ले रहे हैं), लिटल मिक्स, ज़ायन मलिक, सेलीना गोम्स और जस्टिन बीबर (मैं बहुत ख़ुश हूं कि वो भारत आए) जैसे कलाकार मेरे पसंदीदा हैं।
 
तुम सोच रही होगी कि मैं कितनी पागल हूं कि तुम्हें अपने संगीत के शौक़ के बारे में इतना बता रही हूं पर मुझे लगता है कि मेरे शौक़ का संगीत तुम्हें मेरे बारे में बहुत कुछ बताएगा।
 
मैं अपने ख़ाली वक़्त में भी गाती हूं (ज़ाहिर है प्रोफ़ेश्नल की तरह नहीं...) पर मां के सामने जब भी गाती हूं वो मुझे चुप करा देती हैं। उनसे बर्दाश्त ही नहीं होता (दरअसल किसी से भी नहीं)।
 
तब तक,
दुआ

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