न्यूज़वीक के संपादक फ़रीद ज़कारिया ने 2004 में अपने एक लेख में लिखा था कि अर्थशास्त्री जगदीश भगवती अपने सहपाठी मनमोहन सिंह के बारे में ये कहा करते हैं- "हम दोनों केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में साथ पढ़ते थे, और मुझे एक ग़रीब किसान परिवार से आए उस नौजवान की बात छू गई जो हर सुबह चार बजे ठंडे पानी से नहाता था - इंग्लैंड की उस ठंड में!"
केम्ब्रिज से लौट मनमोहन नें पहले पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाया, फिर डी. फ़िल के लिए ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी गए, अंकटाड (यूनाईटेड नेशन्स कॉन्फ़्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट) में काम किया, डेल्ही स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में पढ़ाया, वित्त मंत्रालय में सचिव बने, योजना आयोग गए, 1982 में रिज़र्व बैंक के गवर्नर बने, योजना आयोग के उपाध्यक्ष का पद संभाला, वीपी सिंह सरकार में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार रहे, यूजीसी के चेयरमैन बने और तब उनका राजनीति में आगाज़ हुआ। 1991 में पी वी नरसिम्हा राव ने उन्हें अपनी सरकार में वित्त मंत्री बनाने का फ़ैसला किया।
उस दिन को याद करते हुए मनमोहन सिंह ने बीबीसी के पूर्व पत्रकार सर मार्क टली को एक इंटरव्यू में कहा था,"वो जिस दिन अपनी कैबिनेट बना रहे थे, उन्होंने अपने प्रिंसिपल सेक्रेट्री को मेरे पास भेजा जिसने मुझे कहा- प्रधानमंत्री चाहते हैं कि आप वित्तमंत्री बनें। मैंने सोचा वो ऐसे ही कह रहे हैं।
अगले दिन वो मेरे पास फिर आए, बल्कि थोड़े ग़ुस्साए भी लगे, उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तैयार हो जाऊं और शपथ लेने के लिए राष्ट्रपति भवन चलूँ। और कुछ ऐसे राजनीति में मेरा प्रवेश हुआ।"