मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह: जिन्हें ईरान की डिफेंस इंडस्ट्री का क़ासिम सुलेमानी कहा जाता था

BBC Hindi
रविवार, 29 नवंबर 2020 (09:25 IST)
मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह ईरान के सबसे प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक और आईआरजीसी के वरिष्ठ अधिकारी थे।  पश्चिमी देशों के सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार वो ईरान में बहुत ही ताक़तवर थे और ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम में उनकी प्रमुख भूमिका थी।
 
इसराइल ने साल 2018 में कुछ ख़ुफ़िया दस्तावेज़ हासिल करने का दावा किया था जिनके अनुसार मोहसिन ने ही ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम की शुरुआत की थी। 

उस समय नेतन्याहू ने प्रेसवार्ता में मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का प्रमुख वैज्ञानिक क़रार देते हए कहा था, उस नाम को याद रखें। साल 2015 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की तुलना जे रॉबर्ट ओपनहाइमर से की थी। 

ओपनहाइमर वो वैज्ञानिक थे जिन्होंने उस मैनहट्टन परियोजना की अगुवाई की थी जिसने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पहला परमाणु बम बनाया था।  इसराइल ने फ़ख़रीज़ादेह की हत्या पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 
 
कितनी बड़ी शख्सियत थे मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह?
फ़ख़रीज़ादेह की ख्याति 'ईरान के परमाणु बम के जनक' के रूप में ईरान से बाहर भी थी। ईरान की एक डिफेंस रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें रक्षा उद्योग का क़ासिम सुलेमानी कहा जाता था।
 
जनरल क़ासिम सुलेमानी ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख थे और इसी वर्ष जनवरी के महीने में एक अमेरिकी एयरस्ट्राइक में उनकी मौत हो गई थी।

इसराइल की मीडिया में कुछ समय पहले यह रिपोर्ट आई कि मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह को 1988 में ईरान के अन्य परमाणु वैज्ञानिकों के साथ ही मारे जाने की योजना थी लेकिन कुछ खुलासे की वजह से इसे टाल दिया गया। 
मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह का जन्म ईरान के क़ोम शहर में 1958 में हुआ था।
 
रिवोल्यूशनरी गार्ड्स में थे फ़ख़रीज़ादेह
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के नेतृत्व में वे और ईरान परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख फ़ेरेयदून अब्बासी दवानी ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स में थे।  बाद में वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल हुए।
 
फ़ख़रीज़ादेह रिवोल्यूशनरी गार्ड्स में रहने के दौरान ईरान के मिसाइल कार्यक्रम से भी जुड़े रहे थे।  1979 की क्रांति के बाद गठित रिवोल्यूशनरी गार्ड ईरानी सेना का हिस्सा है। 

रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कुछ क़रीबी सूत्रों के मुताबिक, वह उत्तर कोरिया और लीबिया के सहयोग से ईरान में मिसाइल कार्यक्रम शुरू करने में अहम भूमिका निभाने वाली टीम के सदस्य भी थे।  इन रिपोर्ट्स के मुताबिक वे उन लोगों में थे जिन्होंने हसन तेहरानी मोगाद्दाम के साथ उत्तर कोरिया की यात्रा की थी। 

हत्या से दो महीने पहले ही ईरान के चरमपंथी संगठन कहे जाने वाले 'मोजाहिदीन ख़ालिक़' की सियासी इकाई 'नेशनल रेजिस्टेंस काउंसिल ऑफ़ ईरान' की एक बैठक में उनका नाम लिया गया था। 

इस बैठक में ये बताया गया था कि तेहरान में दो साइट्स 'सोरख़ेह हेसार' और 'अबादेह' के पास परमाणु हथियार बनाने की गतिविधियाँ थीं और ये साइट्स नए रक्षा अनुसंधान संगठन (एनडीआरओ) के दायरे में आते हैं। 

मोजाहिदीन ख़ालिक़ संगठन की राजनीतिक शाखा ने भी 1992 में यह घोषणा की थी कि ईरान की सेना ने परमाणु कार्यक्रम एनडीआरओ को सौंप दिया है और इस संगठन का नेतृत्व मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह के हाथों में है।

संगठन ने 2017 में यह भी बताया था कि फ़ख़रीज़ादेह ने तीसरे परमाणु परीक्षण में भाग लेने के लिए 2013 में उत्तर कोरिया की यात्रा की थी। ईरान में जहां फ़ख़रीज़ादेह की हत्या की गई है, वहां से परमाणु और मिलिट्री साइट्स पास ही हैं। 
 
बैलिस्टिक मिसाइल में न्यूक्लियर वारहेड लगाने पर काम कर रहे थे फ़ख़रीज़ादेह?
2018 में इसराइल ने कुछ ख़ुफ़िया दस्तावेज़ हासिल करने का दावा किया था जिनके अनुसार मोहसिन ने ही ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम की शुरुआत की थी।

1 मई 2016 को नेतन्याहू ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े 55 हज़ार पन्ने, 55 हज़ार डिज़िटल फाइलें और ईरान के परमाणु हथियारों के उत्पादन से जुड़ी एक योजना की सूचना पाने का दावा किया था।  उन्होंने इस परियोजना में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में फ़ख़रीज़ादेह का नाम लिया था। 

उसी दौरान नेतन्याहू ने प्रेसवार्ता के दौरान फ़ख़रीज़ादेह को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का प्रमुख वैज्ञानिक क़रार देते हुए उनके नाम को याद रखने को कहा था। 

इसराइल के प्रधानमंत्री के बयान से दो महीने पहले, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स समर्थित एक अख़बार ने अपने हेडलाइन में लिखा, "बैलिस्टिक मिसाइल विद न्यूक्लियर वारहेड। "

इससे पता चलता है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह के नेतृत्व में "बैलिस्टक मिसाइलों को परमाणु वाहरेड से लैस करने के प्रयास" में लगा था। 

2004 में इसराइल के विदेश विभाग ने ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को एक बार फिर से सक्रिय करने पर अपनी चिंता ज़ाहिर की।  मंत्रालय के मुताबिक ये वैज्ञानिक 1998 से पहले परमाणु हथियार कार्यक्रम में शामिल थे। 
मंत्रालय ने यह भी बताया कि ये वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह के द्वारा संचालित अन्य संगठनों में नियुक्त किए गए थे। 

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाए इस वैज्ञानिक का ईरान में ज़िक्र तक नहीं था
अमेरिकी अख़बार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने भी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह ने एक कोर रिसर्च सेंटर की स्थापना के साथ ही अपनी गतिविधियाँ दोबारा शुरू की थीं।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह ने उत्तर तेहरान के मोज़देह स्ट्रीट पर डिफेंस रिसर्च ऐंड इनॉवेशन ऑर्गेनाइजेशन के नाम से एक कवर सेंटर स्थापित किया था। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1737 में अनुमोदित ईरान के अधिकारियों की सूची में भी फ़ख़रीज़ादेह का नाम था। 

यूएन के प्रस्ताव 1737 में सुरक्षा परिषद ने इस कवर सेंटर को '7 टीआईआर' बताया था और कहा था कि यह सुविधा ईरान के रक्षा उद्योग से जुड़ी है और जिसकी व्यापक रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम से सीधे तौर पर जुड़े होने की पहचान है। 

इंस्टीट्यूट फॉर साइंस ऐंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी ने भी लिखा कि "7 टीआईआर" इस्फ़हान के पास यह संगठन मुख्य रूप से मिसाइलों के उत्पादन में लगा हुआ है और पहले भी यह यूरेनियम संवर्धन में सेंट्रीफ्यूज़ के लिए महत्वपूर्ण हिस्से बनाने में लगा था और संभव है कि वो इसमें अभी भी लगा हो।  हालांकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा रिपोर्ट के मुताबिक यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि इन पुर्जों का निर्माण वहां जारी है। 

फ़ख़रीज़ादेह उन लोगों में से एक थे जिन्हें अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने इंटरव्यू के लिए अनुरोध किया था लेकिन ईरान ने उसके इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। हालांकि कुछ मीडिया आउटेलट ने बताया कि आईएईए के अधिकारियों ने ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों से मुलाक़ात की थी। 

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में ईरान के तत्कालीन प्रतिनिधि अली असगर सोलतनिह ने भी कहा, "आईएईए ने ईरान के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का नाम प्रकाशित करके उनकी हत्या को आसान बना दिया है। "
 
मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह ईरान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल उन लोगों में से थे जिनका विदेशी मीडिया में ज़िक्र होने के बावजूद देश की मीडिया में कोई ज़िक्र नहीं था और उनकी तस्वीर भी सिर्फ एक बार तभी छपी थी जब उन्होंने एक बार ईरान के सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात की थी।
 

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