दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के अचानक इस्तीफ़े ने सभी को हैरानी में डाल दिया है। राजधानी में उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी लड़ाई चर्चा का विषय भी बनती रहीं।
फ़ाइलें लौटाने को लेकर दोनों के बीच कई बार तलवारें खिंचीं। केजरीवाल उन पर केंद्र सरकार के इशारों पर चलने का आरोप लगाते रहे और जंग का कहना था कि दिल्ली सरकार संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करती है। दोनों के बीच एक बार नहीं, कई बार लड़ाइयां हुईं।
1. लड़ाई की शुरुआत दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव 10 दिनों की छुट्टी पर जाने के साथ हुई। उनकी जगह कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति होनी थी। नजीब जंग ने शकुंतला गामलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया, तो केजरीवाल भड़क गए। उनका कहना था कि ये फैसला मुख्यमंत्री का होना चाहिए। केजरीवाल के विरोध के बावजूद शकुंतला गामलिन ने अपना कार्यभार संभाल लिया। जब अगले दिन प्रमुख सचिव (सेवाएं) अनिंदो मजूमदार अपने दफ्तर आये। उनके दफ्तर में ताला लगा था।
2. अनिंदो मजूमदार ने ही शकुंतला गामलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाने का आदेश पारित किया था। उनकी जगह पर मुख्यमंत्री ने राजिंदर कुमार को नियुक्त कर दिया। नजीब जंग ने इस फैसले को असंवैधानिक घोषित कर दिया। दोनों पक्षों ने क़दम पीछे खींचने से इनकार कर दिया।
3. केजरीवाल ने सत्ता में लौटने के बाद कई अधिसूचना जारी कर दी थीं, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने उन सभी को रद्द कर दिया। अदालत ने ये भी साफ़ किया कि उपराज्यपाल ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक प्रमुख हैं। आप सरकार ने इसे लोकतांत्रिक तरीक़े से चुने गए नुमांइदों के अधिकार क्षेत्र में हनन बताया, लेकिन इससे कोई बदलाव नहीं हुआ।
4. इससे पहले केंद्र सरकार ने 21 मई, 2015 को एक अधिसूचना जारी करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों की नियुक्ति के सारे अधिकार उपराज्यपाल को सौंप दिए थे। इसके बाद दिल्ली के एलजी और सीएम के बीच कई महीने जंग जारी रही। मामला अदालत पहुंचा, तो भी दिल्ली सरकार को नौकरशाहों का अधिकार नहीं मिला।
5. दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष कृष्णा सैनी को हटाने पर भी उपराज्यपाल एवं दिल्ली सरकार के बीच विवाद छिड़ गया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल के आदेश रद्द कर दिया था और आरोप लगाया कि यह राष्ट्रीय राजधानी में बिजली दरें बढ़ाने की साज़िश है।
6. दिल्ली महिला आयोग के सदस्य सचिव पद पर उपराज्यपाल ने जिस सदस्य को नियुक्त किया, उस पर भी ख़ूब बवाल हुआ था। आयोग ने इसे अवैध करार देते हुए नामंजूर कर दिया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सिफारिश पर नियुक्त एक अन्य सदस्य ने अपना कार्यभार संभाल लिया था।
7. नजीब जंग ने दिल्ली सरकार की ओर से नियुक्त 15 वकीलों की नियुक्ति रद्द कर दी थी। केजरीवाल सरकार ने 2014 और 2015 में इन्हें उपराज्यपाल की मंजूरी बिना ही नियुक्त किया था, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच लड़ाई शुरू हो गई।
8. नजीब जंग ने दिल्ली के 70 विधायकों की स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के तहत मिलने वाली रकम 10-10 करोड़ बढ़ाने से जुड़ी फाइल दिल्ली सरकार को लौटा दी है। जंग ने यह भी पूछा था कि इज़ाफ़े को कैसे सही ठहराया जा सकता है और मौजूदा राशि की स्थिति क्या है।