भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान देशों की पांच दिवसीय यात्रा के पहले चरण में इंडोनेशिया पहुंच गए हैं। यहां वह राष्ट्रपति जोको विडोडो से मुलाक़ात करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि यह मुलाक़ात दोनों देशों के रिश्तों को और मज़बूत करेगी।
भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते हज़ारों साल पुराने हैं। ईसा के जन्म से पहले से ही भारत के सौदागर और नाविक वहां जाते रहे हैं। यही कारण है कि इंडोनेशिया और भारत में काफ़ी सारी सांस्कृतिक समानताएं देखने को मिलती हैं। प्राचीन काल से ही भारतीय सौदागर और नाविकों के आने-जाने के कारण इंडोनेशिया में न सिर्फ़ हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध धर्म का भी गहरा प्रभाव नज़र आता है।
इंडोनेशियाई भाषा, स्थापत्य, राजशाही और मिथकों पर भी इन धर्मों का असर है। उदाहरण के लिए इंडोनेशिया के पुराने साम्राज्यों के नाम श्रीविजया और गजाह मधा आदि हैं। यही नहीं, भाषा के मामले में भी कई समानताए हैं। उनकी भाषा को 'बहासा इंदोनेसिया' कहते हैं। उनके कई शब्द भी यहां से मिलते हैं, जैसे कि मंत्री और स्त्री नामों से भी इस बात को समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए मेघावती सुकार्णोपुत्री, जो कि इंडोनेशिया की पांचवीं राष्ट्रपति रही हैं।
गहरा सांस्कृतिक साम्य
इंडोनेशिया में अगर आप महाभारत और रामायण का ज़िक्र करेंगे तो वे कहेंगे कि ये तो हमारे ग्रंथ हैं। वहां के उत्सवों और झांकियों आदि में में इन ग्रंथों के पात्र कठपुतलियों के रूप में नज़र आ जाते हैं। जैसे कि वहां चमड़े की कठपुतलियों के शो में ऐसे ही कुछ विचित्र पौराणिक पात्र देखने को मिलते हैं। कहीं, कौरवों में से विचित्र हीरो निकल आता है तो कहीं हनुमान नज़र आ जाते हैं।
उनके रामायण या महाभारत के कुछ प्रसंग भिन्न होते हैं, मगर कथानक वही रहता है। इंडोनेशिया के प्राचीन श्रीविजया और गजाह मधा जैसे साम्राज्यों में भारतीय संस्कृति की गहरी छाप है। मगर ध्यान देने वाली बात यह है कि यह छाप अकेले हिंदू धर्म की नहीं है बल्कि बौद्ध धर्म की भी है।
इस्लाम भी भारत के रास्ते पहुंचा
इंडोनेशिया सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है। मगर यहां पर इस्लाम भी भारत के पूर्वी तट से होता हुआ पहुंचा है। यही कारण है कि इंडोनेशिया और दक्षिण एशिया, ख़ासकर भारत के इस्लाम में कुछ समय पहले तक समानता रही है। दोनों की जगहों का इस्लाम सूफ़ीवाद से प्रभावित उदार और मानवीय परंपराओं को मानने वाला रहा है। मगर पिछले कुछ समय से इंडोनेशिया में कट्टरपंथ बढ़ा है।
'वृहत्तर भारत'
प्रसिद्ध फ़्रांसीसी विद्वान और इतिहासकार पॉल सीडीस ने कई वर्ष पहले किताब लिखी थी- द हिंदुआइज़्ड स्टेट्स ऑफ साउथईस्ट एशिया (अनुवादित नाम)। इस किताब में उन्होंने श्रीविजया और यवद्वीप यानी जावा आदि का ज़िक्र किया था जो आज इंडोनेशिया के भाग हैं।
जब हम आधी सदी पहले स्कूल में पढ़ते थे, तब राजनीतिक समझदारी या पॉलिटिकल करेक्टनेस इतनी नहीं हुआ करती थी। इस सारे इलाक़े को वृहत्तर भारत या ग्रेटर इंडिया कहा जाता था। बाद में स्वाधीनता संग्राम के बाद जब ये देश आज़ाद हुए तो इनके स्वाभिमान को देखते हुए भारत ने इन्हें अपने सांस्कृतिक प्रभावक्षेत्र में कहना बंद कर दिया और यह जगह दक्षिणपूर्व एशिया के नाम से पहचानी जाने लगी।
इंडोनेशिया में इसलिए है हिंदू-बौद्ध संस्कृति का प्रभाव:
*सातवीं सदी में व्यापार के कारण इंडोनेशिया में शक्तिशाली श्रीविजया साम्राज्य पनपा।
*इस साम्राज्य पर हिंदू और बौद्ध धर्म का भी प्रभाव था, जो व्यापारियों के कारण आया था।
*आठवीं और 10वीं सदी में जावा में कृषक बौद्ध सैलेंद्र और हिंदू मतारम वंश फले फूले।
*इसी काल में जावा मे हिंदू-बौद्ध कला और स्थापत्य की पुनर्स्थापना हुई थी।
*इस काल में बने कई स्मारक आज भी इंडोनेशिया में देखने को मिलते हैं।
*13वीं सदी के आख़िर में पूर्वी जावा में हिंदू मजापहित साम्राज्य की स्थापना हुई थी।
*गजाह मधा के अधीन इसके प्रभाव का विस्तार उस क्षेत्र में हुआ जो आज इंडोनेशिया है।
समानता भी, भिन्नता भी
सदियों पहले हिंदू धर्म ही यहां नहीं पहुंचा था बल्कि बौद्ध धर्म भी इसके साथ-साथ या शायद इससे पहले इंडोनेशिया पहुंचा था। यही कारण है कि जावा द्वीप पर आपको प्रांबानन में हिंदू मंदिर भी मिलता है और बोरोबोदूर में संसार का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप भी मिलता है। ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ पड़ने वाला इंडोनेशिया का बाली द्वीप तो हिंदू बहुल है। बावजूद इसके यहां का हिदू धर्म भारत के हिंदू धर्म से काफ़ी अलग है।
बाली के हिंदू धर्म का आज के हिंदुत्ववादी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह नहीं कहा जा सकता कि वहां पर भारत का सनातन धर्म या भक्ति परंपरा है। जैसे कि प्रसिद्ध इतिहासकार लोकेश चंद्र ने बताया है, एशिया में रामायण के असंख्य संस्करण मिलते हैं। इसी तरह से वे भी भिन्न हैं।
हिंदू धर्म की छाप इंडोनेशिया ही नहीं, कंबोडिया और थाइलैंड में भी मिलती है। लाओस में भी लोग नमस्कार करते हैं। मगर यह नहीं कहा जा सकता कि वहां के हिंदू भारत के हिंदुओं जैसे हैं। इंडोनेशिया और भारत में सांस्कृतिक समानता बहुत है, वे आपस में जुड़े भी हुए हैं, मगर दोनों के बीच हितों का टकराव भी रहा है।
इंडोनेशिया भी एक समय वैसा बहुलवादी और समन्वयात्मक था, जैसा कभी भारत ख़ुद को कहता था। इंडोनेशिया का नारा भी विविधता में एकता वाला है। मगर हाल ही के वर्षों में इन पुराने सांस्कृतिक रिश्तों झटका लगा है।
(बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर के साथ बातचीत पर आधारित)