क्या पड़ेगा असर
फ़िलहाल, इंटरनेट एक हाईवे की तरह है जहां सारी ट्रैफ़िक एक समान और एक स्पीड से चलती है। इसे नेट न्यूट्रैलिटी कहा जाता है। इससे गूगल जैसी बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों की सामग्री को रोक नहीं सकतीं। लेकिन अमेरिका में इस पर वोटिंग से नेट न्यूट्रैलिटी में बुनियादी बदलाव आ सकता है।