ऐसे ऐसे हैं गोरक्षक दल के सदस्य...

गुरुवार, 29 अक्टूबर 2015 (11:22 IST)
- सौतिक बिस्वास (बीबीसी संवाददाता)
आधी रात के बाद राजस्थान के एक सुनसान गांव के चौराहे पर अंधेरे में वो बाहर निकलता है। सर्दियों की आहट लिए यह चांदनी के उजाले वाली एक रात है। पूरा इलाका पहाड़ियों और पेड़ों के छाए में डूबा है। तभी एक दर्जन से ज्यादा आदमी भूतों की तरह अंधेरे से प्रकट होते हैं। राजस्थान के इस इलाके में जांच पड़ताल करने वाले नवल किशोर शर्मा चिल्लाते हैं, 'आस पड़ोस में किसी गाड़ी की कोई सूचना?'
बाकी आदमी सिर हिला देते हैं और उनमें से एक कहता है, 'अभी तक तो कुछ भी नहीं मिला, आज सब कुछ शांत लगता है।'
 
मोटरसाइकिल पर सवार शर्मा गठीले बदन के आदमी हैं। उनके बाल तेल से चमक रहे हैं और उनकी साफ-सुथरी दाढ़ी है। डेनिम की पैंट और हल्के पीले रंग की शर्ट के साथ खाकी रंग का जूता पहन रखा है। उनकी दो पत्नियां और पांच बच्चे हैं।
 
दिन में वो आजीविका के लिए संगमरमर से देवी देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाते हैं। रात को वो करीब 70 गांवों वाले रामगढ़ इलाके में गाय बचाने वाले एक कट्टरपंथी हिंदू समूह के फायर ब्रांड नेता बन जाते हैं। सप्ताह में वो इसी तरह कई रातें गाय तस्करों पर निगरानी करने वाले अपने ‘सिपाहियों’ की अगुवाई करते हैं।
भारत में बीफ खाने और गायों के कत्ल पर होने वाली हिंसा के कारण इसी तरह के ग्रुप बढ़ रहे हैं। पिछले साल सत्ता में आने के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने बीफ खाने और गोहत्या पर कानून को और सख्त कर दिया है। गाय अब देश में सबसे अधिक ध्रुवीकरण करने वाला जानवर बन चुकी है।
 
शर्मा के ये ‘सिपाही’ निम्नवर्ग से हैं, लेकिन निगरानी करने वाले उग्र हिंदू संगठनों बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना के सदस्यों के प्रति समर्पित हैं। ये सभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाते हैं। इनमें से कुछ तो 15 साल की उम्र तक के हैं। इनमें किसान, दुकानदार, अध्यापक, छात्र, डॉक्टर और बेरोजगार सभी तरह के लोग शामिल हैं।
जिस रात इस समूह के साथ मैं बाहर गया, मैंने एक टीवी बनाने वाले, एक संस्कृत के टीचर और एक टीवी जर्नलिस्ट को इस समूह में पाया। इनमें दो पॉलिटेक्निक के छात्र भी थे। वो मुख्यतः शाकाहारी हैं और अधिकांश ने कहा कि वो सेहतमंद जिंदगी के लिए गाय का मूत्र पीते हैं।
 
शर्मा समेत अधिकांश का मानना था कि दादरी की घटना में जिस मुस्लिम आदमी को पीट-पीट कर मार डाला गया उसने वाकई में बीफ का सेवन किया था और ‘जब लड़ाई होती है तो लोग मरते हैं।’
इन सभी का भरोसा है कि ‘गाय माता’ खतरे में है।
 
इनमें से एक सूरज भान गुर्जर का कहना था, 'अगर हमने अभी नहीं रक्षा की तो गाय 20 सालों में ही गायब हो जाएगी।' ये अलग बात है कि भारत में 10 करोड़ गाय और भैंस हैं और यह दुनिया का अग्रणी दुग्ध उत्पादक देश है।
इसी तरह के मिथकों और जोशो खरोश के साथ ये रात-रात भर गाय तस्करों को खोजते फिरते हैं।
वो कहते हैं कि गायों को पिकअप ट्रकों, एसयूवी और यहां तक कि एंबुलेंस और बसों में भरकर पड़ोसी राज्यों में बूचड़खाने तक ले जाया जाता है। ये सभी लोग लाठी, डंडो, बेसबॉल बैट, हॉकी, पत्थरों, माचिस और डंडों पर हंसिया लगे हथियारों से लैस होते हैं।
 
ये लोग गाड़ियों को रोकने के लिए सड़क पर कीलें बिछा देते हैं और अपनी मोटरसाइकिल पर तस्करों का पीछा करते हैं। गाय को बचाने की यह लड़ाई थोड़ी अव्यवस्थित सी दिखती है। तस्कर अंधेरे में इनकी ओर फायर करते हैं और अक्सर ही उनकी तेज रफ्तार गाड़ियों का पीछा किया जात है।
टीवी बनाने वाले बाबूलाल प्रजापति कहते हैं, 'हम गोलियों से बचने में एक्सपर्ट हैं। जब तस्कर फायर करते हैं तो हम जमीन पर झुक जाते हैं।' हालांकि इस रात को ऐसी कोई नाटकीय घटना नहीं घटी।
 
एक जगह से गलत सूचना मिली, किसी ने कुछ दूरी पर जलती रोशनी देखी और ये लोग जमीन पर झुक गए। जब टिमटिमाती रोशनी बुझ गई तब पता चला कि यह किसी गाड़ी की नहीं थी। एक और निगरानी ग्रुप ने एक ट्रक को रोका। लोगों में उत्तेजना बढ़ गई और सभी लोग उस ट्रक पर चढ़ गए लेकिन उन्हें हताशा हाथ लगी। इसमें दिल्ली के बाजार के लिए सूअर भर कर ले जाया जा रहा था।
 
ट्रक के ड्राइवर जकिर हुसैन से इन लोगों ने पूछा, 'तुम एक मुस्लिम हो और सूअर ले जा रहे हो?' हुसैन ने व्यंग में कहा, 'मैं जीने के लिए हर चीज ढोता हूं।' गाय की खोज खत्म होने ही वाली थी कि गांव के रास्ते पर चांदनी रात में एक ऊंट गाड़ी आती दिखी। निगरानी करने वाले उस तरफ दौड़े। यह रात बहुत ही हैरतजदा कर देने वाली थी।
इस ग्रुप का दावा है कि उन्होंने अब तक 18000 गायों को बचाया है और 1992 से शुरू हुए एक गौशाला में उन्हें रखा है। अधिकांश तस्कर अंधेरे की आड़ में भागने में सफल रहे। इन गायों को जिले की दो गौशालाओं में भेजी जाता है।
 
हालांकि स्थानीय पुलिस स्टेशन का रिकॉर्ड बताता है कि इस साल गाय तस्करी के आधे दर्जन और तस्करों के चार मामले दर्ज हुए हैं। पिछले साल इस तरह के केवल सात मामले सामने आए थे।
तस्करों से पकड़े गए करीब दर्जन भर वाहन पुलिस स्टेशन में खड़े हैं।
 
पुलिसकर्मी ध्रुव सिंह कहते हैं, 'गाय तस्करी की शिकायतों को हम बहुत गंभीरता से लेते हैं और गाय सुरक्षा दल हमें इसमें मदद करते हैं।' हालांकि स्थितियां सरकार की वजह से और बेहतर हो रही हैं क्योंकि वहां पर उसी विचारधारा वाली भाजपा सरकार है।
शर्मा कहते हैं, 'हम इन दिनों कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमारी कोशिश है अधिक से अधिक समर्थन हासिल करना। स्थानीय बीजेपी विधायक, पार्टी नेता सभी हमारे इस मिशन में मदद कर रहे हैं। पुलिस अधिक गंभीर हो गई है और प्रशासन हमारी बातें सुनने लगा है।'
 
पड़ोसी अलवर शहर में लौटने पर स्थानीय बीजेपी विधायक ज्ञान देव आहूजा इन गो रक्षकों की हर तरह से मदद करते हैं। उन्होंने मुझे बताया, 'मैं इन्हें पैसे देता हूं, समर्थन देता हूं और गाय की धार्मिक अहमियत पर उनसे बातें करता हूं।'
 
उनकी अध्ययन कक्षाओं में बताया जाता है कि कैलीफोर्निया पूरी तरह गाय के गोबर या गोबरगैस से बिजली युक्त हो गया है, गाय के दूध में सोना पाया जाता है और विदेशी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में गाय मारने से समुद्री तूफान, भूकंप और सूखा आएगा।
 
वो कहते हैं, 'फिर भी, भारत में गाय को पर्याप्त अहमियत नहीं दी जा रही है। इसीलिए मैं इन लोगों का समर्थन करता हूं। उनका एक मिशन है। भारत की आत्मा बचाने का मिशन।'

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