हिंदुस्तान में हर दूसरा व्यक्ति, वैद्य, हकीम या डॉक्टर है। 'पेट दर्द हो रहा है। थोड़ी अजवाइन फांक लो'। 'ज़ुकाम हो गया है। नींबू नमक डाल कर गुनगुना पानी ले लो।' छोटे-मोटे मर्ज़ का इलाज यूं बताया जाता है, मानो इसमें डॉक्टरेट हासिल हो।
वैसे, ये हाल सिर्फ़ हिंदुस्तान का हो, ऐसा नहीं है। हर सभ्यता और संस्क़ति में इंसान ने हज़ारों सालों के तजुर्बे से ऐसे नुस्खे ईजाद किए हैं, जो सीज़नल बीमारियों में राहत देते हैं।
सर्दियों के दिन है। ख़ांसी, ज़ुकाम और ठंड लगने की बातें आम हैं। हों भी क्यों न। इसके लिए दुनिया भर में 200 से ज़्यादा क़िस्म के वायरस ज़िम्मेदार होते हैं। नतीजा ये कि हर देश में ठंड लगने पर अलग-अलग नुस्खे बताए जाते हैं।
नुस्ख़े कितने कारगर
सवाल ये है कि क्या ये नुस्खे इतने कारगर होते हैं कि हमें ठंड और ज़ुकाम से राहत दें?
किसी भी बीमारी से निपटने के घरेलू नुस्खे के पीछे का विज्ञान हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को मज़बूत करना होता है। इसके दो पहलू होते हैं। एक तो बीमारियों से लड़ने की हमारी जन्मजात क्षमता होती है। फिर, शरीर में नए वायरस के हमले से मुक़ाबले की तैयारी होती है। ऐसे वायरस से कैसे निपटना है, ये हमारा ज़हन याद कर लेता है।
तभी, हमें पूरे जीवन में सिर्फ़ एक बार चेचक की बीमारी होती है। मगर, सर्दी कई बार, कमोबेश हर साल लगती है। वजह ये कि इसके कई तरह के वायरस होते हैं। हमारा दिमाग़ इन्हें पहचानने में चकरा जाता है।
रोगों से लड़ने की हमारी ताक़त का सीधा ताल्लुक़ हमारे खान-पान और रहन-सहन से होता है। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम तभी कमज़ोर होती है, जब हमारे शरीर में किसी विटामिन या खनिज की कमी होती है। यही वजह है कि सर्दी लगने पर नींबू नमक डालकर गुनगुना पानी लेने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इससे शरीर में नमक और विटामिन सी की कमी पूरी होती है।
लहसुन और ठंड
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में बीमारियों के विशेषज्ञ चार्ल्स बंघम कहते हैं कि अगर हम नियमित रूप से सेहतमंद और संतुलित खाना खाते हैं, तो ये घरेलू नुस्खे हमारे लिए उतने कारगर नहीं रह जाते।
चार्ल्स बंघम कहते हैं कि, 'अगर आप के शरीर में किसी अहम विटामिन या खनिज की कमी है, जैसे जिंक या सोडियम, तभी आप को किसी ख़ास घरेलू नुस्खे से आराम होगा। लेकिन, अगर आप संतुलित भोजन करते हैं, तो ऐसे नुस्खों पर अमल बेमतलब है।'
लेकिन, घरेलू नुस्खों को पूरी तरह से ख़ारिज नहीं किया जा सकता। ऐसे कई तजुर्बे हुए हैं जिन्होंने साबित किया है कि मौसमी बीमारियों से लड़ने में घरेलू नुस्खों से भी मदद मिलती है। ऐसे ज़्यादातर तजुर्बों में इन घरेलू नुस्खों से अहम विटामिन या खनिज मिलने की बात पर ज़्यादा रिसर्च की गई है।
कुछ चीज़ें जैसे लहसुन, हमें रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं। एक रिसर्च में कुछ लोगों को लहसुन की नक़ली दवा दी गई। और कुछ लोगों को असली। जिन्हें नक़ली लहसुन की दवा दी गई, उन्हें ज़्यादा बार सर्दी लगी। वहीं, लहसुन वाली दवा खाने वालों को ठंड की बीमारी कम हुई।
सप्लीमेंट या नियमित ख़ुराक?
यही हाल विटामिन सी के साथ हुआ। विटामिन सी के सप्लीमेंट खाने से तो बहुत फ़ादा नहीं होता। लेकिन, अगर बच्चों को विटामिन सी की नियमित ख़ुराक दी जाए, तो उन्हें ठंड लगने की बीमारी कम होती है।
वैसे, ठंड लगने पर संतरे का जूस पीने की सलाह दी जाती है। मगर, जानकार कहते हैं कि ये बहुत कारगर नहीं होता। यूं तो संतरे के ताज़ा जूस में ज़रूरत भर विटामिन सी होता है। मगर, इससे ठंड से लड़ने वाला हमारा इम्यून सिस्टम मज़बूत नहीं होता। हां, ज़िंक सप्लीमेंट लेने से आप की नाक का बहना काफ़ी कम हो सकता है। इसकी रोज़ाना 80 मिलीग्राम की ख़ुराक आप के लिए काफ़ी मददगार हो सकती है।
वैज्ञानिक और डॉक्टर मानते हैं कि विटामिन और खनिज, अगर हमारे नियमित खान-पान का हिस्सा हों, तो ही बेहतर है। इनके सप्लीमेंट लेना जानकारों के हिसाब से ठीक नहीं माना जाता। जैसे कि विटामिन सी की ज़रूरत को हमारे खाने-पीने से ही पूरा किया जाना बेहतर होगा। लेकिन, ज़िंक की कमी को सप्लीमेंट के ज़रिए जल्दी पूरा किया जा सकता है।
'भरोसा'
हालांकि रिसर्च में इस बात की कमी महसूस की गई है कि जिन्हें घरेलू नुस्खों से आराम हुआ, उनमें इन विटामिन और खनिज की कमी थी भी या नहीं।
कुछ लोग मानते हैं कि घरेलू नुस्खे नक़ली दवाओं की तरह कई बार काम भी आ जाते हैं। जैसे कि संतरे का जूस या चिकन सूप। इनके बारे में माना जाता है कि सर्दी लगने पर ये राहत देते हैं। अब इनके फ़ायदे नहीं होते, ये तो साफ़ है। मगर ठंड लगने पर संतरे का जूस या चिकन सूप पीने पर लोग राहत महसूस करते हैं। इसकी वजह क्या है, ये तो साफ़ नहीं। शायद इन्हें लेकर लोग मानसिक रूप से बीमारियों से लड़ने के लिए ख़ुद को ज़्यादा बेहतर महसूस करते हैं।
यानी सारा खेल भरोसे का है। जिन्हें घरेलू नुस्खों पर यक़ीन है, वो कभी अजवाइन फांकने, तो कभी ठंडा दूध पीने जैसे नुस्खों से ख़ुद को राहत दे लेते हैं। वहीं, जिन्हें भरोसा नहीं, वो दूसरों के कहने पर घरेलू नुस्खे आज़माते ज़रूर हैं, पर उन्हें राहत नहीं मिलती।
ब्रिटेन की साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी की सेहत की एक्सपर्ट फेसिलिटी बिशप कहती हैं, 'रिसर्च बताते हैं कि नक़ली दवाएं मरीज़ और डॉक्टर के बीच भरोसे की वजह से कारगर होती हैं। डॉक्टरों पर भरोसा, नक़ली दवाओं को असरदार बनाता है, उन पर मरीज़ भरोसा करते हैं। युवावस्था में ये भरोसा ज़्यादा होता है, तो ये ज़्यादा कारगर भी होती हैं।'
फेसिलिटी बिशप कहती हैं कि यही बात घरेलू नुस्खों के बारे में भी कही जा सकती है। भले ही इनका उतना असर न होता है। मगर, ऐसे नुस्खे अक्सर हमारे आस-पास के वो लोग देते हैं, जिन पर हम भरोसा करते हैं। यही वजह है कि ठंड लगने पर हम घरेलू नुस्खे आज़माते हैं, तो राहत महसूस करने लगते हैं। ये नक़ली दवा खाने जैसा असर होता है।
कई बार तो डॉक्टर मरीज़ को बताते हैं कि फलां दवा नक़ली है, मगर इसने कई लोगों को आराम दिया है। डॉक्टर पर भरोसा कर के मरीज़ वो नक़ली दवाएं खाते हैं और आराम महसूस करते हैं। भरोसे के अलावा, हमारे जीन भी घरेलू नुस्खों को असरदार या बेअसर बनाने में अहम रोल निभाते हैं।
कुछ लोगों को तमाम एहतियात के बावजूद बार-बार सर्दी हो जाती है। वहीं, कुछ लोग बेतकल्लुफ़ होकर भी ठंड के शिकार नहीं होते। इसके पीछे हमारे जीन की संरचना होती है। तो, घरेलू नुस्खों पर अमल करना न करना बिल्कुल आप के ऊपर है। भरोसा करते हैं, तो आज़माते रहिए। वरना, ठंड लगे तो कभी-कभार ज़िंक सप्लीमेंट फांक सकते हैं।