मणिपुर के कुकी समुदाय का दर्द, ‘हिंसा में बहुत कुछ खो दिया, अब रेप और कत्ल होते नहीं देख सकते’

रविवार, 23 जुलाई 2023 (07:57 IST)
कीर्ति दुबे, बीबीसी संवाददाता
मणिपुर में बीते ढाई महीने से हिंसा की आग सुलग रही है। इस दौरान विचलित करने वाली कई तस्वीरें सामने आईं। इस दौरान केंद्र सरकार ख़ासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा।
मंगलवार रात से सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर को लेकर बयान दिया।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मणिपुर के वायरल वीडियो की घटना से मेरा हृदय पीड़ा से भरा हुआ है। घटना शर्मसार करने वाली है। पाप करने वाले कितने हैं, कौन हैं वो अपनी जगह है लेकिन इससे देश के 140 करोड़ लोगों की बेइज़्ज़ती हो रही है। मैं राज्यों से अपील करता हूं कि वह अपने यहां कानून व्यवस्था और मज़बूत करें, दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।”
 
इस बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ़ और सिर्फ़ उस वीडियो के बारे में ही बात की जिसमें लोग कुकी समुदाय से आने वाली दो महिलाओं के कपड़े उतारवा कर दुर्व्यवहार करते नज़र आ रहे हैं। ये आरोप है कि भीड़ ने इन महिलाओं का ना सिर्फ़ यौन शोषण किया बल्कि एक महिला का सरेआम गैंगरेप किया गया।
 
विपक्ष का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में बीते 80 दिनों से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर के हालात को लेकर कुछ नहीं कहा।
 
अपने हालिया बयान में मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा है कि इस वीडियो के वायरल होने से कुछ उपद्रवियों के कारण पूरे राज्य की बेइज़्जती हुई है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए।
 
उठ रहे हैं कई सवाल
इस मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। ये पूछा जा रहा है कि जो घटना 79 दिन पहले हुई और जिसकी एफ़आईआर 62 दिन पहले दर्ज हुई, उस केस में कार्रवाई के लिए वीडियो के वायरल होने का इंतज़ार क्यों होता रहा?
 
तथ्य ये भी है कि वीडियो वायरल होने के बाद दो दिन के अंदर इस मामले में चार गिरफ़्तारियां भी हो गईं। पुलिस ने पांचवें अभियुक्त की गिरफ़्तारी की भी जानकारी दी है।
 
विपक्ष और दूसरे आलोचक मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार खास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगभग ढाई महीने की चुप्पी और दो महीने तक इन महिलाओं की एफ़आईआर पर कोई कार्रवाई न होने को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
 
थंबोल ज़िले में कुकी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का वीडियो सामने आने के बाद गुरुवार को कुकी बहुल ज़िले चुराचांदपुर में सैकड़ों की तादाद में लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया।
 
इस बीच चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मणिपुर के मुख्यमंत्री के बयान की भी हो रही है। हमने चुराचांदपुर में रहने वाले कुकी समुदाय के लोगों से बात की और जानना चाहा की वो इन बयानों को कैसे देखते हैं।
 
'दुनिया की कोई न्याय व्यवस्था नहीं कर सकती भरपाई'
मणिपुर के कुकी समुदाय के एक संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ़ोरम की संयोजक मेरी जोन ने बीबीसी से फ़ोन पर कहा, “ सीएम एक बयान में कह रहे थे कि उन्हें वीडियो के ज़रिए इस घटना के बारे में पता चला। वो राज्य के मुख्यमंत्री होने के साथ साथ राज्य के गृहमंत्री भी हैं और वो कह रहे हैं कि उन्हें ये नहीं पता कि उनके राज्य में हो क्या रहा है।"
 
वो कहती हैं, "मैंने वीडियो देखा है, मैं उस महिला की मां से भी मिली हूं जिसके साथ ये सब कुछ हुआ। जब से मैंने वो वीडियो देखा है मैं सो नहीं पा रही, मैं रात को नींद से उठ कर ये देखने लगती हूं कि मेरे बदन पर कपड़े तो हैं। मुझे इस वीडियो ने जितने भीतर तक झकझोरा है वो मैं शब्दों में बता नहीं सकती।”
 
उन्होंने कहा, “ लेकिन मुझे इस बात की राहत है कि इस वीडियो के सामने आने से उस नरैटिव की सच्चाई सामने आ गई जिसमें लोग कह रहे थे कि कुकी हिंसा कर रहे हैं। अब सच्चाई दुनिया देख रही है और अंतरराष्ट्रीय मीडिया सच दिखा रहा है।”
 
मेरी जोन कहती हैं, "पीएम का बयान आने से एक कड़ा संदेश तो जाता है, वो भी तब जब पहली बार पीएम ने ये माना हो कि मणिपुर में कुछ भी ठीक नहीं है लेकिन बयानों के आगे कार्रवाई कितनी मज़बूत होगी ये तय करेगा कि सरकार हमारे लिए कितनी संजीदा है।"
 
किस तरह की कार्रवाई को मेरी न्याय मानेंगी, इस सवाल पर मेरी फ़ोन पर भावुक हो जाती है।
 
मेरे सवाल के बाद फ़ोन की लाइन के दोनों ओर सन्नाटा छा जाता है, कुछ सकेंड के बाद वो अपनी रुंधी हुई आवाज में कहती हैं, “ जो मानसिक प्रड़ातना उन महिलाओं ने झेली, जो हॉरर उन्होंने देखा, जिस तरह से वो अपनी इज़्ज़त के लिए गिड़गिड़ाईं। दुनिया की कोई न्याय व्यवस्था उसकी भरपाई नहीं कर सकती। लेकिन जो भी कड़ी से कड़ी सज़ा हो वो उन्हें ज़रूर मिलनी चाहिए।”
 
कुकी समुदाय इस संघर्ष में अपने लिए नए प्रशासन की मांग कर रहा है वो अपना इलाका और प्रशासन दोनों ही मैतेई से अलग चाहते हैं।
 
मेरी जोन अपनी इस मांग के समर्थन में कहती हैं, "हम कैसे उन लोगों के साथ रह सकते हैं जिन लोगों ने हमें इंसान तक नहीं समझा, हमारे साथ वो किया जो कोई इंसानी दिमाग किसी के साथ नहीं कर सकता।"
 
'...तो हालात इतने ख़राब न होते'
द टेलीग्राफ़ ने शुक्रवार छपे 'टू लेट' शीर्षक के साथ छपे संपादकीय लेख में लिखा, “अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर के हालात की पहले निंदा करते और हिंसा भड़काने वालों को चेतावनी देते तो आज मणिपुर में हालात शायद इतने खराब ना होते और क्या पता भारत वैश्विक मंच पर 'बेइज़्ज़त' होने से बच जाता। पीएम ने अब तक मणिपुर की हिंसा पर एक शब्द भी नहीं बोला है और इसकी कीमत मणिपुर और भारत दोनों चुका रहे हैं।”
 
अखबार ने लिखा है, “मणिपुर और केंद्र में बीजेपी की सरकार है लेकिन जो मणिपुर में हो रहा है वो ‘डबल इंजन की सरकार’ के दावे को झुठला रहा है। सच ये है कि मणिपुर के लोग लंबे समय से पीड़ा में है पहले नोटबंदी की पीड़ा, फिर कोरोना महामारी की पीड़ा और अब हिंसा की पीड़ा और प्रधानमंत्री का सुशासन उन्हें राहत देने में फेल साबित हुआ है, या ये कहें कि लोगों की पीड़ा को बढ़ाने का ही काम किया है। ”
 
चुराचांदपुर ज़िले में रहने वाले कुकी समुदाय के मुआन तोंबिंग कहते हैं, "हमें राज्य सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से हमें उम्मीद जगी है। हम अब केंद्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि हमें बचा लीजिए।"
 
लेकिन तोंबिंग कहते हैं, “ केंद्र में बीजेपी की सरकार है और राज्य में भी वही सत्ता में हैं इसलिए प्रधानमंत्री अब तक खुल कर ये नहीं कह रहे कि उनकी सरकार हमारी रक्षा करने में फेल हो रही है। लेकिन हम भारत के लोग हैं और इसलिए भारत की सरकार हमारी आखिरी उम्मीद है। उन्हें अब एक्शन लेना होगा, हमने इस हिंसा में बहुत कुछ खो दिया है, अब हम अपनी महिलाओं का रेप होते और भाईयों का कत्ल होते नहीं देख सकते।”
 
उन्होंने कहा, "हमें पीएम के बयान के बाद थोड़ी उमीद जगी है कि अब मणिपुर की बात होगी, हम जो झेल रहे हैं उसकी बात होगी। जिस तरह की हरकत दो दिनों में आई है, वो पहले होता तो कितनी महिलाएं, बेटियां और हमारे लोगों के साथ ये सब होते नहीं देखना पड़ाता। वीडियो केवल तीन महिलाओं का सामने आया है लेकिन कई महिलाएं हैं जो यौन शोषण झेल कर राहत शिविरों में पहुंची हैं।"
 
फ़ेक न्यूज़ और वायरल वीडियो को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश
शुक्रवार को सोशल मीडिया पर कई लोग ये दावा करने लगे कि वायरल वीडियो में कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने और उनका कथित गैंगरेप करने के मामले में मुख्य अभियुक्त मोहम्मद इबुंगो उर्फ़ अब्दुल हलीम है जिसे पुलिस ने गिरफ़्तार किया है ।
 
दक्षिणपंथी विचारधारा वाले कई ट्विटर अकाउंट ने इसे ट्वीट किया। शेफ़ाली वैद्य ने लिखा, 'ये मणिपुर पुलिस का हालिया प्रेस नोट है, क्या सलेक्टिव हो कर गुस्सा ज़ाहिर करने वाले अब कुछ नहीं बोलेंगे क्योंकि उस भयानक घटना का मुख्य आरोपी अब्दुल हलीम है?'
 
हालांकि शेफ़ाली वैद्य ने लगभग आठ घंटे बाद ट्वीट डिलीट कर दिया। बीजेपी दिल्ली के नेता तेजिंदर सिंह बग्गा ने भी इसे लेकर ट्वीट किया और लिखा, 'मणिपुर केस का मुख्य अभियुक्त अब्दुल खान गिरफ़्तार हुआ है।'
 
दरअसल, ये सबकुछ शुरू हुआ एक गलत और भ्रामक ट्वीट से जिसे समाचार एजेंसी एनआई ने किया। 20 जुलाई को 9.47 पर एएनआई ने मणिपुर पुलिस के हवाले से ट्वीट किया, “ मणिपुर वायरल केस- पीपल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ़ कांगलेइपाक के एक सदस्य को पूर्वी इंफ़ाल ज़िले से पकड़ा गया है जिसका नाम मोहम्मद इबुंगो उर्फ़ अब्दुल हलीम (38) है।
 
एएनआई ने इस ट्वीट को थोड़ी देर बाद ही डिलीट कर दिया लेकिन तब तक एनडीटीवी सहित कुछ मीडिया संस्थानों ने इस जानकारी को ट्वीट कर दिया था। हालांकि ये ट्वीट तो हटा लिए गए लेकिन कई लोग इस गलत ट्वीट को जानकारी की तरह सोशल मीडिया पर फैलाने लगे।
 
इस गलत ट्वीट पर एनएनआई ने माफ़ी मांगते हुए 12 घंटे बाद 21 जुलाई को 10.29 बजे ट्वीट किया, “कल शाम एएनआई ने मणिपुर पुलिस की गिरफ्तारी को लेकर एक गलत ट्वीट कर दिया था। हमने मणिपुर पुलिस का ट्वीट पढ़ने में गलती की थी और इसे पुलिस की ओर से किए गए पहले ट्वीट से जोड़ दिया था। गलती का पता चलते ही ट्वीट तुरंत डिलीट कर दिया गया था।”
 
मणिपुर पुलिस की ओर से जारी किए गए प्रेस नोट में साफ़ लिखा है कि वायरल वीडियो के मामले में चार लोगों की गिरफ़्तारी अब तक हो चुकी है और पुलिस बाकी के अभियुक्तों को भी गिरफ़्तार करने की कोशिश कर रही है।
 
अपने प्रेस नोट में ही मणिपुर पुलिस ने एक बिल्कुल अलग मामले का ज़िक्र करते हुए बताया कि 20 जुलाई को पीआरईपीएके प्रो के एक काडर मोहम्मद इबुंगो उर्फ़ अब्दुल हलीम को गिरफ़्तार किया गया है। ये गिरफ्तारी बिलकुल भी वायरल वीडियो से जुड़ी नहीं थी।
 
मणिपुर पुलिस ने वायरल वीडियो के मामले में जिन चार लोगों को गिफ़्तार किया है उसमें से सिर्फ़ शख़्स की पहचान बताई है और बाकी अभियुक्तों की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है।
 
फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस ने इस मामले पर सरकार के ढीले रवैये पर सवाल उठाते हुए संपादयकीय में लिखा है, “ केंद्र और राज्य सरकार को ये बताना चाहिए कि इतने दिनों तक राज्य की पुलिस ने क्यों मामले पर कोई कार्रावाई नहीं की, क्यों 70 दिनों तक इसे ठंडे बस्ते में रखा गया। जबकि ये कोई साधारण अपराध नहीं था। साफ़ ज़ाहिर है कि राज्य सरकार अपने नागरिकों की रक्षा करने में पूरी तरह फेल साबित हुई है।”
 
वीडियो आने से नेताओं के बयान भले आए हो लेकिन अब भी ये महिलाएं शेल्टर होम में न्याय का इंतज़ार कर रही हैं और ये इंतज़ार कितना लंबा होगा इसका जवाब अब तक किसी के पास नहीं है।

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