काउंसिल इन पक्षियों की ओर से मचाए जाने वाले शोर की जांच मानक ध्वनि मापदंडों के अनुसार कर रही है। स्थानीय निवासी ग्राहम ब्रिज के मुताबिक़ ये पक्षी दिनभर तो चीखते रहते ही हैं, रात में भी ये हमारी छतों पर बैठकर परेशान करते हैं।
इन पक्षियों की तादाद और उनके आने को लेकर कुछ मतभेद हैं। कुछ का मानना है कि इनकी संख्या 30 है, तो कुछ के मुताबिक़ यह संख्या 13 हो सकती है। गांव के बाशिदों के बीच इस पर भी एकराय नहीं कि ये मोर-मोरनी आख़िर आए कहां से हैं।
स्वंसेवी संस्था 'द रॉयल सोसाइटी फ़ॉर द प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्ड़स (आरएसपीबी) के क्रिस कौलैट कहते हैं, 'जहां तक क़ानून का सवाल है, तो इन पक्षियों को लेकर कोई साफ़ या एकमत नहीं है।
मोरों को जंगली पक्षी के वर्ग में नहीं रखा गया है। इन्हें पालूत पक्षी माना गया है लेकिन ये ऐसे पालतू पक्षी हैं, जिनका कोई मालिक नहीं है। इन्हें क़ानूनन जंगली पक्षियों को मिलने वाली सुरक्षा भी हासिल नहीं है।'