उत्तर प्रदेश में अमेठी के मोहम्मद आरिफ के पास एक साल से रह रहे सारस पक्षी को वन विभाग ले कर चला गया है। आरिफ ने घायल सारस का इलाज किया था उसके बाद से वो पक्षी उनके पास ही रहने लगा। वो आरिफ के साथ ही खाना खाता और घूमता था।
आरिफ का कहना है कि उन्होंने उस सारस को कभी क़ैद में नहीं रखा वो एक आज़ाद पंछी था। उनका ये भी कहना है कि इससे पहले वन विभाग का कोई अधिकारी इस बारे में उससे जानकारी लेने नहीं आया।
सारस और आरिफ की कहानी मीडिया में देखने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी आरिफ और उस सारस से मिलने अमेठी गए और उनके साथ ली गई तस्वीर भी साझा की।
वन विभाग की कार्रवाई के बाद अखिलेश यादव ने एक प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वन सारस को इसलिए ले जाया गया क्योंकि उन्होंने आरिफ और सारस से मुलाक़ात की थी। जिसके बाद इस मामले पर राज्य में सियासत तेज हो गई है।
अखिलेश यादव ने क्या कहा?
बुधवार को लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मोहम्मद आरिफ भी मौजूद थे। अखिलेश यादव ने आरिफ के बारे में कहा, "उन्होंने सारस के साथ दोस्ती दिखाई और उसकी सेवा की जिससे ये इनका मित्र बन गया। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई सारस किसी इंसान के साथ रहे और उसका व्यवहार बदल जाए। यह तो शोध का विषय है कि सारस इनके पास कैसे रुक गया।"
इस दौरान अखिलेश ने आरोप लगाया कि, "इनसे सारस इसलिए छीन लिया गया क्योंकि मैं मिलने चला गया था। क्या यही लोकतंत्र है? अगर सरकार सारस को छीन रही है, तो सरकार को उनसे भी मोर छीन लेना चाहिए जो मोर को दाना खिला रहे थे। क्या सरकार की हिम्मत है वहां पहुँच जाने की। किसी अधिकारी की हिम्मत है कि वहां जाए और मोर को ले आए वहां से? यह सिर्फ़ इसलिए किया सरकार ने क्योंकि सारस से और सारस को पालने वाले आरिफ से मैं मिल कर आ गया।"
उसे छोड़ दें, वो मेरे पास वापस आ जाएगा: आरिफ
अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के ठीक बाद बीबीसी हिंदी ने मोहम्मद आरिफ से सपा कार्यालय के बाहर बात की। आरिफ ने बताया कि वन विभाग की टीम मंगलवार को सारस को लेकर लेकर चली गई थी।
आरिफ ने एक वीडियो भी बीबीसी हिंदी को दिया जिसमें सारस को एक टेंपो में रखकर ले जाया जा रहा है। मौके से जुड़े कुछ वायरल वीडियो में आरिफ निराशा से भरे नज़र आ रहे हैं। आरिफ ने बीबीसी को बताया कि वन अधिकारियों ने उनसे कहा कि, "ऊपर से आदेश आ गया है, ये समसपुर (पक्षी विहार) जाएगा।"
बीबीसी ने आरिफ से पूछा कि क्या उन्होंने कभी वन विभाग से संपर्क कर सारस के बारे में जानकारी दी थी, तो उन्होंने ने कहा, "मुझे वाइल्ड लाइफ़ के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। मैं खेती किसानी करता हूँ। तो उस विषय में मुझे ज़्यादा जानकारी नहीं है। पर इतना जानता हूं कि जब हम इसको क़ैद करेंगे, बाँध के रखेंगे, जकड़ कर रखेंगे, तब तो वन विभाग का वो सवाल उठता है। वो अपने स्वयं इच्छा से आता था।"
आरिफ ने माना कि सारस एक संरक्षित पक्षी है और उसे पक्षी विहार ले जाकर वन विभाग अपना काम ही कर रही हैं। तो फिर आरिफ को क्या आपत्ति है? इस बारे में वो कहते हैं, "हमें कोई समस्या नहीं है। हमने उसे किसी तरह से बाँध के तो रखा नहीं था। कैद करके नहीं रखा था। वो खेतों में घूम रहा था, जहाँ जी करता था उड़ जाता था। वापस आ जाता था। ना कभी पकड़ कर रखे थे, ना बांध कर रखे थे। वन विभाग का वाइल्ड लाइफ का क्या नियम है, हमें ज़्यादा मालूम नहीं है। बस वो लोग ले गए।"
आरिफ कहते हैं कि सारस को पास के समसपुर पक्षी विहार ले गए हैं। आरिफ का दावा है कि वन विभाग के अधिकारियों ने उनसे कहा कि वो समसपुर पक्षी विहार के पास 20 से 25 दिन दिखाई न दें। अंत में आरिफ ये भी कहते हैं कि, "आगे उसको छोड़ दें, वो वापस आ जाएगा मेरे पास।"
प्रियंका गांधी ने भी किया आरिफ का समर्थन
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी वन विभाग की इस कार्रवाई के बारे में फ़ेसबुक पोस्ट किया है।
उन्होंने लिखा, "अमेठी के रहने वाले आरिफ और एक सारस पक्षी की दोस्ती, जय-वीरू की तरह थी। साथ-साथ रहना, साथ खाना, साथ आना-जाना। उनकी दोस्ती इंसान की जीवों से दोस्ती की मिसाल है। आरिफ ने उनके प्रिय सारस को घर के सदस्य की तरह पाला, उसकी देखभाल की, उससे प्यार किया। ऐसा करके उन्होंने पशु-पक्षियों के प्रति इंसानी फ़र्ज़ की नज़ीर पेश की है जो कि काबिल-ए-तारीफ़ है।"
उन्होंने ऑस्कर अवार्ड पाने वाली भारत की डॉक्यूमेंट्री एलिफैंट व्हिस्पर्स का हवाला देते हुए लिखा, "द एलिफैंट व्हिस्पर्स को ऑस्कर मिला जो एक हाथी और इंसान की संवेदनशील कहानी पर आधारित है। ये कहानियां हमें इसलिए भावुक करती हैं क्योंकि मनुष्य का जीवन और पर्यावरण में पाए जाने वाले जितने भी सहजीवन हैं दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।"
"सरकारों का भी यही काम है कि ऐसी कहानियों से प्रेरणा लें और वन्य जीवों व इंसानों के बीच मोहब्बत भरे रिश्ते से संवेदना के मोती चुनें।"
क्या है सरकार का कहना?
बीबीसी को अमेठी के स्थानीय रिपोर्टर्स से 20 मार्च की एक सरकारी चिट्ठी मिली है जिसमें उत्तर प्रदेश के अपर प्रधान मुख्य संरक्षक सुनील चौधरी ने अमेठी के वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी को उनके 14 मार्च के पत्र का जवाब देते हुए लिखा है कि, "मोहम्मद आरिफ के घर के आस-पास व खेतों में सारस पक्षी को देखा गया है। आपसे उस सारस पक्षी को उसके प्राकृतिकवास समसपुर पक्षी विहार में छोड़ने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया गया है। आपको यह भी अवगत कराया गया है कि सारस पक्षी को उक्त स्थल पर छोड़ने के लिए जनपद अमेठी से एक राजकीय पशु चिकित्सक साथ में सहयोग के लिए जाएंगे।"
पत्र में अतएव वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा -48 A में मौजूद अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अमेठी में आरिफ के घर के आस-पास व खेतों में पाए गए सारस पक्षी को समसपुर पक्षी विहार में उसके प्राकृतिकवास (habitat) में छोड़ने का आदेश दिया गया है।
बीबीसी ने उत्तर प्रदेश के अपर प्रधान मुख्य संरक्षक सुनील चौधरी और अमेठी के वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी डीएन सिंह दोनों से फ़ोन पर इसकी पुष्टि करने की कोशिश की और साथ ही समसपुर पक्षी विहार के रेंजर से सारस की मौजूदा हालत के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन किसी से भी फ़ोन पर संपर्क नहीं हो पाया।
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार विवेक कुमार मौर्या ने रायबरेली के क्षेत्रीय वन अधिकारी, रुपेश श्रीवास्तव से सारस को समसपुर पक्षी विहार में रखने के बारे में बात की।
उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सरस पक्षी को समसपुर के पक्षी विहार में 21 मार्च को छोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि पक्षी को खुला छोड़ दिया गया है और किसी कमरे में नहीं रखा गया है।
ये भी जानकारी दी कि सारस को पक्षी विहार एसडीओ लेकर आए थे। रुपेश श्रीवास्तव ने बताया कि, "सारस फिलहाल पक्षी विहार परिक्षेत्र में है।"
अगर पक्षी यहां से उड़ जाता है तो क्या उसे वापस विहार में लाया जाएगा? इस पर रूपेश श्रीवास्तव ने कहा, "अगर कहीं गाँव में चला जाता है या घर में चला जाता है तो उसे वापस लाया जाएगा।"
अधिकारीयों के मुताबिक़ सारस अपने आप खा रहा है लेकिन फिर भी उसे अलग से गेहूं, पानी और रोटी दी जा रही है।
तो क्या मोहम्मद आरिफ समसपुर में सारस को देखने आ सकते हैं?
इस पर क्षेत्रीय वन अधिकारी रुपेश श्रीवास्तव ने कहा कि, "वो आ सकते हैं और टिकट लेकर देख सकते हैं। पहचान पाएंगे तो पहचान भी लेंगे।"
सारस संरक्षण के बारे में क्या कहते हैं जानकार?
बीबीसी संवाददाता गीता पांडेय ने सारस के संरक्षण के बारे में और जानने के लिए वाइल्ड लाइफ़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के समीर कुमार सिन्हा से बात की। समीनर सिन्हा के मुताबिक़, "किसी भी संरक्षित पक्षी या जानवर को रखना ग़ैरक़ानूनी है। उन्हें खिलाना पिलाना भी ग़ैरक़ानूनी है।"
समीर सिन्हा के मुताबिक़ संरक्षण और करुणा दोनों अलग अलग चीज़ें हैं। वो कहते हैं, "आप किसी पक्षी को बचा सकते हैं, लेकिन उसके बाद आपको उसे क़ानूनी तौर पर सुपुर्द करना होगा। अगर ऐसा नहीं होगा तो दूसरे भी ऐसे पक्षी पाल सकते हैं।"
समीर सिन्हा का यह भी कहना है कि, "जंगली जानवरों की जंगली प्रवृत्ति होती है। तब क्या होता अगर वो पक्षी किसी पर हमला करता?"
सारस के बारे में और जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि, "सारस एक राजकीय पक्षी है। सही यह होगा की हम वेटलैंड्स को बचाने की कोशिश करें और पक्षी के हैबिटैट को बचने की कोशिश करें। फिर प्रकृति अपना काम ख़ुद करेगी।"