27 दिसंबर 2017 को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के उपनाम की स्पेलिंग ग़लत लिखी थी। इसे अपमानजनक और जानबूझकर की गई ग़लती बताते हुए भाजपा के सांसद भूपेंद्र यादव राज्यसभा में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ले कर आए थे।
शनिवार को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस नोटिस को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के पास भेज दिया। अब यह उम्मीद की जा रही है कि इसे विशेषाधिकार समिति को भेजा जायेगा।
क्या है पूरा मामला?
2017 के दिसंबर में गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर भारत के चुनाव में दखल देने का आरोप लगाया था। उन्होंने तब कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई उस दावत को पाकिस्तान की कथित दखल से जोड़ा था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी समेत कई कांग्रेस नेता शामिल हुए थे।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी से माफी की मांग करते हुए संसद का शीतकालीन सत्र शुरुआती चार दिनों तक चलने नहीं दिया था। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की ओर से अरुण जेटली ने संसद में सफाई दी थी और उसके बाद यह गतिरोध खत्म हुआ। अरुण जेटली के इसी स्पष्टीकरण पर राहुल गांधी ने ट्वीट किया जिसमें उन्होंने जेटली की स्पेलिंग को जेट"लाइ" लिखा था।
गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश
इस पूरे मसले पर कांग्रेस का कहना है कि भाजपा गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद कहते हैं, "यह स्पेलिंग मिस्टेक भी हो सकती है लेकिन भाजपा गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। अगर राहुल ने यह कहा भी है कि वो झूठ बोल रहे हैं तो इसमें ग़लत क्या है? प्रधानमंत्री ने चुनाव के समय लोगों से कहा था कि 15 लाख रुपये खाते में आयेंगे, नौजवानों को कहा था कि नौकरी मिलेगी, अर्थव्यवस्था सुधरेगी लेकिन जीडीपी घट गया।''
उन्होंने आगे कहा, ''अभी सऊदी अरब ने महिलाओं को वीज़ा देने के क़ानून में बदलाव किया है लेकिन प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि हमने नियम में बदलाव किया है।"
अहमद कहते हैं, "ऐसी बातें वो कई बार बोलते रहे हैं। अगर इस तरह की बातों पर मामले होने लगेंगे तो आने वाले दिनों में हर छोटी बात पर विशेषाधिकार लाया जायेगा। गुजरात में प्रधानमंत्री ने जो ग़लत बयान दिया था उस पर विशेषाधिकार की बात हो रही थी तो उन्होंने कहा कि यह सदन के बाहर का मामला है तो क्या राहुल का ट्वीट सदन के भीतर का मामला है?"
उन्होंने कहा, "लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति अपने विवेक से इस पर फ़ैसला करते हैं। कांग्रेस अपनी बात रखेगी। देखते हैं क्या फ़ैसला होता है? वैसे इसे विशेषाधिकार समिति के पास जाना तो नहीं चाहिए।"
"मामला आया तो जल्द होगा फ़ैसला"
भाजपा नेता और विशेषाधिकार समिति की अध्यक्ष मीनाक्षी लेखी का कहना है कि प्रधानमंत्री और राहुल गांधी दोनों ही लोकसभा सदस्य हैं इसलिए इसे लोकसभा भेजा गया है।
लेखी ने कहा, "विशेषाधिकार समिति के अधिकारों की विशेषता है कि वो अदालत की अवमानना की तरह काम करती हैं। अपनी और संसद सदस्यों की रक्षा के लिए यह समिति अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकती है।"
हालांकि, इस पर फ़ैसला कब तक आ सकता है यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "इसके लिए टाइमलाइन देना मुश्किल काम है। पहले मामला आयेगा और फिर कोशिश होगी जल्दी फ़ैसला देने की। वैसे यह समिति कार्रवाई करके अब तक नौ रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है।"
क्या है विशेषाधिकार हनन?
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने बताया, "जब संसद के कायदे क़ानून या उसकी गरिमा का हनन होता है या संसद को लगता है कि उसके सदस्य के इस अधिकार का हनन हुआ है तो उसे विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का अधिकार है।"
इंदिरा भी पाई गई थीं विशेषाधिकार हनन की दोषी
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ख़िलाफ़ भी 1978 में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया गया था। शाह कमीशन के सामने यह तय किया गया था कि उन्होंने किस तरह से आपातकाल का दुरुपयोग किया है। लोकसभा ने उन्हें निष्कासित करते हुए उनकी गिरफ़्तारी के आदेश दिये थे। इंदिरा को गिरफ़्तार भी किया गया था। हालांकि, एक साल बाद उन्हें वापस भी ले लिया गया था।
क्या नतीजा होगा इस मामले का?
नीरजा चौधरी कहती हैं, "लोकसभा अध्यक्ष इस पर क्या रुख लेती हैं यह देखने वाली बात होगी। गुजरात में पाकिस्तान से जुड़े प्रधानमंत्री के बयान के बाद शीतकालीन सत्र के दौरान हुए हंगामे और अरुण जेटली के बयान देने के बाद जब मामला खत्म हो चुका था तो राहुल गांधी को उस पर ट्वीट करने का क्या मतलब था? उस तर्क में कुछ दम भी है।"
उन्होंने बताया, "अगर लोकसभा अध्यक्ष यह फ़ैसला लेती हैं कि राहुल गांधी ने विशेषाधिकार हनन किया है और उन्हें निष्कासित किया जाता है तो इसका राजनीतिक फायदा राहुल गांधी को होगा।"
चौधरी ने कहा, "इस पर सरकार की मंशा क्या है यह देखना जरूरी है। मुझे नहीं लगता कि सरकार यह कदम उठायेगी। कई राज्यों में विधानसभा चुनाव आ रहे हैं। जहां भाजपा और कांग्रेस आमने सामने होगी। जैसे-जैसे भाजपा आक्रामक हो रही है यह मोदी बनाम राहुल की लड़ाई बनती जा रही है। पहले इस नज़रिये से नहीं देखा जाता था।"
अब चूंकि संसद का शीतकालीन सत्र खत्म हो चुका है और मसला लोकसभा के पास पहुंच गया है और अगला सत्र इसी महीने के आखिर में शुरू होने वाला है तो आने वाले बजट सत्र के दौरान ही इसका हल निकलने की उम्मीद की जा सकती है।