हर तरफ राम नाम के लहराते झंडे और सड़कों पर जय श्रीराम के नारे, धनुष पकड़े प्रभु श्री राम की एलईडी तस्वीरें, मुख्य रास्तों पर बड़ी-बड़ी मूर्तियां, जगमग घाटों पर बजती रामधुन और सड़कों पर बिछता तारकोल। इस वक्त अयोध्या में हर तरफ राम और उनके नाम पर हो रहा निर्माण दिखाई देता है। राम मंदिर की तरफ जाने वाले हर रास्ते पर काम चल रहा है। कई किलोमीटर लंबे रामपथ को एक रंग में रंग दिया गया है।
22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसके लिए अयोध्या को सजाया संवारा जा रहा है। इस तैयारी में उत्तर प्रदेश सरकार के 26 विभाग दिन-रात लगे हुए हैं।
नवंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट से बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद समाप्त हुआ और राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ।
इस फैसले के बाद ये अनुमान तो था कि अयोध्या में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ेंगे लेकिन इतने बेतहाशा बढ़ेंगे ये किसी ने नहीं सोचा था।
संपत्ति के दाम में कितना उछाल
नवंबर 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने फैज़ाबाद ज़िले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया था। यहां सरकार ने साल 2017 के बाद से सर्किल रेट यानी सरकारी रेट नहीं बढ़ाया है।
यह एक स्टैंडर्ड रेट होता है, जिसे ज़िला प्रशासन तय करता है। इसी आधार पर खरीद-बिक्री होती है और व्यक्ति इस रेट के आधार पर सरकार को स्टांप ड्यूटी देता है। लेकिन पिछले चार सालों में अयोध्या में संपत्ति के दामों में दस गुणा से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है।
अयोध्या के कारोबारी और प्रॉपर्टी डीलर राजीव कुमार गुप्ता कहते हैं, “अयोध्या में अब संपत्ति के रेट का कोई पैमाना नहीं रह गया है, क्योंकि ज्वार भाटा जब आता है तो नदी की कोई गति नहीं नाप सकता। इस वक्त प्रॉपर्टी में ज्वार भाटा चल रहा है। कोई भी संपत्ति किस रेट बिक जाए, कोई आश्चर्य नहीं होता।”
वे कहते हैं, “लखनऊ-गोरखपुर हाईवे से एक रास्ता नए घाट की तरफ जाता है, जहां से राम मंदिर पास में है। यहां पर 5 हज़ार वर्ग फीट की एक कमर्शियल प्रॉपर्टी की कीमत 2019 में 4500 रुपये वर्ग फीट यानी 2 करोड़ 25 लाख आंकी जा रही थी, 2020 में यह बढ़कर 3 करोड़ और आज वह व्यक्ति उसे पांच करोड़ रुपये में भी बेचने को तैयार नहीं है।”
अयोध्या में रियल एस्टेट कंसल्टेंट अमित सिंह कहते हैं, “राम मंदिर के आसपास के इलाके को प्राधिकरण ने धार्मिक क्षेत्र घोषित किया है। यहां चार साल पहले जो जगह 2 हज़ार रुपये वर्ग फीट थी अब वह 15 हज़ार वर्ग फीट में भी नहीं मिल रही है।”
न सिर्फ राम मंदिर के आस पास बल्कि पूरे अयोध्या और उसके आस-पास के ज़िलों में भी संपत्ति के दाम तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
अमित सिंह कहते हैं, “मंदिर के 15-20 किलोमीटर की रेडियस में जो किसान खेती करते हैं, पहले वो बीघे में बात करते थे, कि हमारे पास इतना बीघा खेत है, फिर उन्होंने बोलना शुरू किया कि हमारे पास इतना बिस्वा (1361 वर्ग फीट) खेत है, फिर कहा कि हमारे पास इतनी वर्ग फीट जगह है। उन्होंने पिछले तीन-चार सालों में मानक ही बदल दिए हैं।”
वे कहते हैं, “दस साल में जो प्रॉपर्टी तीन सौ रुपये वर्ग फीट थी, आज उसी जगह की कीमत कम से कम पांच हज़ार रुपये वर्ग फीट है। दस गुणा से भी ज्यादा रेट बढ़ गए हैं।”
अब बदल गई है अयोध्या
प्रदेश की धार्मिक नगरी अयोध्या में विकास के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण ने जुलाई 2022 में एक मास्टर प्लान बनाया- अयोध्या महायोजना 2031।
इस मास्टर प्लान में अयोध्या विकास प्राधिकरण ने ज़िले की फिलहाल 133 वर्ग किलोमीटर ज़मीन को शामिल किया है। इसके मुताबिक ही अब ज़मीन की खरीद बिक्री हो सकती है।
रियल एस्टेट कंसल्टेंट अमित सिंह कहते हैं, “अगर हम रियल एस्टेट के तौर पर बात करें तो अयोध्या पहले दूसरे शहरों की तरह बहुत अनऑर्गेनाइज़ थी, लोग कहीं भी बिना नक्शा पास करवाकर घर बना लेते थे, लेकिन अब अयोध्या विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता। अब सब उसके हिसाब से करना होगा।”
अयोध्या के मास्टर प्लान को समझाते हुए अमित सिंह कहते हैं, “मास्टर प्लान में प्राधिकरण ने अलग-अलग रंगों से ज़मीन को चिन्हित किया है। राम मंदिर और उसके आस-पास के इलाके को धार्मिक स्थल के रूप में रखा गया है, इसके अलावा अब साफ कर दिया गया है कि अयोध्या का कौन सा हिस्सा आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक होगा।”
वे कहते हैं, “ज़मीन के नज़रिए से अयोध्या एक तरफ तो नदी से बंधा हुआ है और दूसरी तरफ एक बड़ा हिस्सा केंट का है। इसके अलावा सरकार ने मंदिर के पास करीब तीन हज़ार एकड़ ज़मीन को ग्रीन बेल्ट घोषित किया है, जहां बिना इजाज़त के ज़मीन में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।”
अगर कोई व्यक्ति अयोध्या में ज़मीन खरीदना चाहता है, तो उसे इसी मास्टर प्लान के हिसाब से ही खरीद-बिक्री करनी होगी।
क्यों बढ़ रहे हैं संपत्ति के दाम
अयोध्या में जैसे ही राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ, वैसे ही बड़ी-बड़ी सरकारी योजनाएं अयोध्या में आने लगीं।
शहर के कारोबारी और व्यापार अधिकार मंच के संयोजक सुशील जायसवाल कहते हैं, “मंदिर का निर्माण शुरू होते ही सरकार ने रोड, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, अस्पताल, चौड़ी सड़कों से लेकर सीवर लाइन तक तेज़ी से काम करना शुरू कर दिया।"
"जिसके बाद लोगों का ध्यान एकदम से अयोध्या की तरफ गया और यहां ज़मीनों के दामों में अप्रत्याशित उछाल आया।”
शहर में होते तेज़ विकास ने ज़मीनों के दाम बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इस वक्त अयोध्या में उत्तर प्रदेश सरकार के 26 विभाग करीब 30 हजार करोड़ के 187 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में लगे हुए हैं।
डिपार्टमेंट ऑफ अर्बन डेवलपमेंट फिलहाल सबसे ज्यादा 54, पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट 35 और टूरिज्म विभाग के 24 प्रोजेक्ट्स अयोध्या में चल रहे हैं। इसके अलावा अयोध्या में बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां भी निवेश कर रही हैं।
रियल एस्टेट कंसल्टेंट अमित कहते हैं, “आवास विकास ने अयोध्या में करीब 1900 एकड़ ज़मीन मुआवज़ा देकर किसानों से ली है। इसके अलावा मुंबई से लोढ़ा ग्रुप, ताज ग्रुप, हैदराबाद ग्रुप, तिरुपति बालाजी ग्रुप होटलों और टाउनशिप में निवेश कर रहा है।”
मंदिर से करीब सात किलोमीटर मुंबई के लोढ़ा ग्रुप ने 25 एकड़ ज़मीन खरीदी है, जहां वह प्लॉटिंग कर रहा है। इस टाउनशिप में एक वर्ग फीट की कीमत 15700 रुपये है। कंपनी शुरुआती प्लाट 1270 वर्ग फीट का ऑफर कर रही है, जिसकी कीमत करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपये है।
न सिर्फ बड़े-बड़े रियल एस्टेट कारोबारी बल्कि धर्माचार्य भी अयोध्या में अपनी मौजूदगी चाहते हैं। पिछले कुछ समय में कई मठों ने यहां जगह ली है। इन्हीं में से एक है दक्षिण भारत का उत्तराधी मठ।
उत्तराधी मठ माधवा संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। राम मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर उत्तराधी मठ ने कुछ समय पहले करीब 13 हज़ार वर्ग फीट जगह खरीदी है, जहां दिसंबर 2023 में काम शुरू हुआ।
मठ के लिए इस ज़मीन पर कंस्ट्रक्शन का काम करने मुंबई के डेवलपर चिंतन ठक्कर का कहना है कि चार मंजिल का श्रद्धालुओं के लिए यात्री निवास बनाया जा रहा है, जिसमें मंदिर भी होगा और यहां यात्री निशुल्क रुक पाएंगे।
अयोध्या में कितनी रजिस्ट्री हुई
अयोध्या तहसील में पिछले तीस सालों से काम करने वाले दस्तावेज़ लेखक कृष्ण कुमार गुप्ता बताते हैं कि साल 2017 से सर्किल रेट नहीं बढ़े हैं।
वे कहते हैं कि राम मंदिर के आसपास के इलाके में संपत्ति का सर्किल रेट 1000 रुपये वर्ग फीट से लेकर 3 हज़ार रुपये वर्ग फीट तक है। लेकिन इस संपत्ति की मार्केट वैल्यू, सर्किल रेट से पांच से दस गुणा ज्यादा है।
अयोध्या ज़िले के स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के मुताबिक राम मंदिर पर फैसला आने से पहले यानी 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 के बीच ज़िले में 13 हज़ार 542 रजिस्ट्री हुईं। यह संख्या साल 2021 में बढ़कर 22 हज़ार 478, साल 2022 में 29 हज़ार हो गई है।
स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग का यह डेटा बताता है कि कैसे पिछले पांच साल में अयोध्या ज़िले में संपत्ति की रजिस्ट्री में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा का उछाल आया है।
स्थानीय लोग नहीं खरीद पा रहे हैं प्रॉपर्टी
अयोध्या में काम करने वाले प्रॉपर्टी डीलर्स की मानें, तो शहर में 100 से ज्यादा बड़ी कंपनियों ने डेरा डाला हुआ है, जो खासकर होटल उद्योग और रियल एस्टेट से जुड़ी हुई हैं।
स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता कहते हैं कि ये बड़ी कंपनियां किसी भी दाम में संपत्ति खरीद रही हैं और हर रोज़ नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं, जिसके चलते उनके हाथ में भी लैंड बैंक नहीं बचा है।
हाल ही में राम मंदिर निर्माण के चलते राज्य सरकार ने अयोध्या में सड़क चौड़ीकरण का काम किया है, जिसके चलते सैकड़ों लोगों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है।
अयोध्या के रहने वाले अनुज सागर भी उन्हीं में से एक हैं। वे कहते हैं, “मेरी दुकान पहले काफी आगे तक थी, ओवर ब्रिज के कारण सरकार ने दुकान तोड़ दी और अब यह काफी छोटी हो गई है, जिसमें काम चलाना हमारे लिए बहुत मुश्किल था। हमने दूसरी जगह दुकान लेने की कोशिश की लेकिन नहीं मिली।”
वे कहते हैं, “बाहर से लोगों ने आकर यहां दाम बढ़ा दिए हैं। जिस दुकान का दाम 50 लाख रुपये था, अब वह दो करोड़ रुपये में भी नहीं मिल रही है। आखिर में हमने अपनी छोटी दुकान में संतुष्टि कर ली।”
ऐसी ही परेशानी का जिक्र व्यापार अधिकार मंच के संयोजक सुशील जायसवाल करते हैं। अपने दोस्त का जिक्र करते हुए वे कहते हैं, “शहरी क्षेत्र में पहले से जो छोटी बड़ी इंडस्ट्री चल रही हैं, उन्हें अब शिफ्ट करना पड़ रहा है। मेरे एक दोस्त की यहां सबसे पुरानी बिस्किट फैक्ट्री है। उन्हें सवा लाख वर्ग फीट जगह चाहिए। वो चार पांच महीने से तलाश कर रहे हैं, लेकिन नहीं मिल रही।”
वे कहते हैं, “बाहरी क्षेत्र में पहले एक बिस्वा (1361 वर्ग फीट) की कीमत एक लाख रुपये थी, अब वह बढ़कर चार से आठ लाख रुपये बिस्वा हो गई है।”
संपत्ति बेचने का दुख
अयोध्या में ज़मीनों के बढ़ते दाम के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें अपनी संपत्ति बेचने का अब अफसोस है।
अयोध्या की रहने वाली काजल गुप्ता के पास राम मंदिर से छह किलोमीटर दूर 2 हज़ार वर्ग फीट की एक कमर्शियल प्रॉपर्टी थी, जिसे उन्होंने साल 2021 में 65 लाख में बेच दिया था।
वे बताती हैं, “हम लोगों ने सोचा नहीं था कि राम मंदिर बनने के बाद प्रॉपर्टी के दामों में इतना उछाल आएगा। हमने उस समय अपनी ज़मीन मार्केट रेट पर बेची थी, लेकिन 2 सालों में ही उसकी कीमत डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गई है। आज हमें उस बात का पछतावा होता है कि हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए था।”
ये कहानी अयोध्या में सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है। रियल एस्टेट कंसल्टेंट अमित सिंह बताते हैं, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से छह महीने पहले हमारे एक जानकार व्यक्ति ने अपना प्लाट बेचकर लखनऊ में घर लिया। उस समय उन्हें उस प्लाट की कीमत करीब 80 लाख रुपये मिली।"
"आज उसकी कीमत तीन करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। उन्होंने मुझे फोन कर कहा कि मुझसे बड़ी गलती हो गई, अब वो उस संपत्ति को खरीदने की स्थिति में नहीं हैं।”
फैसला आने के बाद संपत्ति के दामों में इतना उछाल आएगा, इसका अंदाजा प्रॉपर्टी का काम करने वाले लोगों ने भी नहीं लगाया था।
प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता कहते हैं, “राम मंदिर पर फैसला आने से दस दिन पहले हमने एक छोटी सी कमर्शियल प्रॉपर्टी की डील 34 लाख में करवाई थी। यह प्रॉपर्टी राम मंदिर से 150 मीटर आगे है। उसी प्रॉपर्टी को हाल ही में फिर से 2 करोड़ 19 लाख रुपये में बेचा गया है।”
फिलहाल अयोध्या में स्थानीय प्रशासन के मुताबिक हर रोज़ करीब सात हज़ार लोग अस्थाई राम मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, जो आने वाले समय में कई लाख हो सकते हैं। ऐसे में धार्मिक नगरी अयोध्या में संपत्ति के दाम कहां तक पहुंच सकते हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।