राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी चुनाव में ज़्यादा पोस्टल वोटिंग (डाक वोट) की यह कहते हुए आलोचना की कि 'इससे मतदान में बड़े स्तर की धांधली हो सकती है' - पर क्या इसके कुछ सबूत हैं?
राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि अमेरिका इस समय एक अभूतपूर्व स्थिति में है। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार के अमेरिकी चुनाव में रिकॉर्ड संख्या में मतदाताओं ने पोस्टल वोटिंग का विकल्प चुना।
ट्रंप ने कई बार चुनाव में फ़्रॉड की बात कही है, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की ओर से किसी धोखाखड़ी, धांधली या हेराफेरी की बात नहीं कही गई है। मगर डोनाल्ड ट्रंप पोस्टल वोटिंग को ख़तरनाक मानते हैं और उन्हें लगता है कि इसके ज़रिये 'धांधली संभव है।'
इस वजह से अमेरिकी चुनाव अधिकारी और डाक सेवा से जुड़े लोग भारी दबाव में हैं, क्योंकि उन्हें डाक से मिले लाखों अतिरिक्त मत-पत्रों को मतगणना की प्रक्रिया में शामिल करना पड़ रहा है। इस वजह से यह दावा किया जा रहा है कि ये प्रक्रिया असुरक्षित है और इसमें छेड़छाड़ किये जाने की संभावनाएं हैं।
पिछले चुनाव में हुई समस्याएं?
कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक अध्ययनों में यह बात सामने आई कि कुछ मामलों को छोड़ दिया जाये तो इलेक्टोरल फ़्रॉड यानी चुनावी धांधली की संभावना न के बराबर है। कुछ ऐसे मामले हुए हैं जिनपर मीडिया में काफ़ी रिपोर्टिंग हुई।
इनमें साल 2018 में हुए उत्तर कैरोलाइना प्राइमरी का मामला आया था जिसमें रिपब्लिकन उम्मीदवार के एक कंसल्टेंट ने मत-पत्रों के साथ छेड़छाड़ की थी। इसके बाद इस चुनाव को एक बार फिर आयोजित किया गया।
लेकिन साल 2017 में ब्रेनन सेंटर फ़ॉर जस्टिस की ओर से किये गए एक अध्ययन में सामने आया है कि अमरीका में वोटिंग फ़्रॉड की दर 0.0009% है।
संघीय चुनाव आयोग के प्रमुख एलन वेइनट्रॉब कहते हैं कि 'इस कॉन्सपिरेसी (षड्यंत्र खोजने वाली) थ्योरी का कोई आधार नहीं है कि पोस्टल वोटिंग की वजह से फ़्रॉड होता है।' लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ मामले हैं जिनमें इलेक्टोरल फ़्रॉड होने का दावा किया गया है।
वर्जीनिया
अक्टूबर महीने के मध्य में डोनाल्ड ट्रंप ने एक रैली में कहा, 'वर्जीनिया में, 5 लाख आवेदन किए गए जो झूठे थे।'
ये सभी आवेदन एक एबसेंटी बैलट फ़ॉर्म के लिए भेजे गए थे लेकिन इनमें वापसी का पता ग़लत था। लेकिन वर्जीनिया में चुनाव अधिकारियों ने कहा कि इसमें धोखाधड़ी की मंशा नहीं थी और ग़लतियों को सुधार लिया गया था।
वर्जीनिया सेंटर फ़ॉर वोटर इन्फ़ॉर्मेशन बताता है, 'हमने हफ़्तों तक काम किया ताकि प्रिटिंग में हुई ग़लती की वजह से वर्जीनिया के किसी मतदाता को दिक़्क़त ना हो।'
19 अक्टूबर तक 3 लाख पंजीकृत मतदाताओं ने अबसेंटी बैलट का आवेदन लौटा दिया था।
ओहायो
राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट किया: 'ओहायो में पचास हज़ार वोट ग़लत थे, फ़र्ज़ी थे।'
ओहायो में अक्टूबर की शुरुआत में फ़्रैंकलिन काउंटी में लगभग पचास हज़ार मतदाताओं को डाक से ग़लत मत-पत्र मिले। लेकिन ऐसे सबूत नहीं हैं कि इस मामले में धोखाधड़ी की गई हो।
लोकल इलेक्शन बोर्ड कहता है कि प्रभावित मतदाताओं को सही वोटर स्लिप भेजी जा चुकी है और वे सभी उपाए किये गए हैं ताकि कोई भी दो बार मतदान ना करे।
इलेक्शन बोर्ड का कहना है कि मत-पत्रों में त्रुटि एक 'गंभीर ग़लती थी।' लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट के जवाब में बोर्ड ने प्रतिक्रिया दी कि 'हमारा बोर्ड द्वि-दलीय है और चुनाव निष्पक्ष हैं। सभी मतों की गिनती की जाएगी।'
न्यूयॉर्क में लगभग एक लाख मतदाताओं को उनके मत-पत्र दोबारा भेजे गए थे क्योंकि कुछ नाम और पतों की प्रिटिंग में कमी रह गई थी।
मिशिगन में चार सौ पोस्टल बैलट पर प्रेसीडेंट ट्रंप के साथ उप-राष्ट्रपति पद के लिए लड़ रहे व्यक्ति माइक पेंस की जगह लिबर्टेरियन पार्टी के जेरेमी कोहेन का नाम छपा था। राष्ट्रपति ट्रंप ने सितंबर के महीने में दावा किया था कि ये जानबूझकर किया गया। लेकिन मिशिगन प्रांत के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट ने कहा कि ये एक त्रुटि थी और 'प्रभावित मतदाताओं को तत्काल सही मत-पत्र और दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए गए ताकि उनके मतों की गिनती की जा सके।'
विस्कॉनसिन में ग्रीनविले क़स्बे के पास एक गढ्ढे में कुछ अबसेंटी मत-पत्र मिले। इस मामले की जाँच होने के बाद भी अब तक ये साफ़ नहीं हुआ है कि ये सब कैसे हुआ। व्हाइट हाउस ने आरोप लगाते हुए दावा किया कि इस मामले में फ़्रॉड हुआ है।
पेंसिलवेनिया में नौ फेंके गए सैन्य मत-पत्र मिले। अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक़, इनमें से सात 'राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को दिये गए थे।'
न्यू जर्सी में डाक पहुंचाने वाली एक एजेंसी के ख़िलाफ़ सैकड़ों डाक पोस्ट कचरे में डालने का अभियोग लगाया गया। इनमें से 100 इलेक्शन बैलट थे। इसके बाद ये मत-पत्र इनके आधिकारिक मतदाताओं को भेज दिये गए।
ये बस कुछ मामले हैं। और इस बात के भी पक्के सबतू हैं कि डाक से मतदान एक सुरक्षित तरीक़ा है।
मत-पत्रों को चुराने से लेकर फ़र्ज़ी वोटिंग रोकने के लिए ज़रूरी क़दम उठाये जाते हैं।
उदाहरण के लिए, अधिकारी इस बात की जाँच करते हैं कि मत-पत्र मतदाताओं के पंजीकृत पते से आये हैं और लिफ़ाफ़ों पर उनके हस्ताक्षर हैं।
बैलट हार्वेस्टिंग क्या है?
अमेरिका के 26 राज्यों में एक नियम ये है कि एक व्यक्ति किसी समूह में बीमार या अशक्त लोगों के होने जैसे कारणों के चलते उनके मत एकत्रित करके जमा कर सकता है। लेकिन एक व्यक्ति समूह की ओर से कितने मत जमा करवा सकता है, इसे लेकर सीमाएं हैं।
उदाहरण के लिए, मिनेसोटा में एक व्यक्ति सिर्फ़ तीन मत-पत्र हासिल कर सकता है।
जब यही काम व्यापक स्तर पर, लगभग अवैध ढंग से किया जाये तो इसे बैलट हार्वेस्टिंग कहते हैं। टेक्सस और मिनेसोटा में बैलट-हार्वेस्टिंग फ़्रॉड के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उन्हें सिद्ध नहीं किया जा सका है।
हालांकि, वोटिंग प्रक्रिया में फ़्रॉड के सबूत काफ़ी कम हैं, लेकिन इस चुनाव में पोस्टल वोटिंग में अभूतपूर्व वृद्धि बताती है कि आने वाले समय में मत-गणना से जुड़ी क्षमताओं पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।