यूक्रेन पर हमले के बाद से दुनियाभर के कला और खेल जगत में रूस का बहिष्कार जारी है। पश्चिमी देशों ने रूस के लिए अपना हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिया है। रूस की मुद्रा गिर रही है और प्रेस की आज़ादी ख़त्म हो रही है। लेकिन क्या इसका रूस के लोगों पर कोई असर हुआ है, जो अपना अलग भविष्य देखने लगे हैं।
बीजिंग में विंटर पैरालंपिक खेल शुरू होने के एक दिन पहले रूस के एथलीटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। रूस की फ़ुटबॉल टीम इसी महीने पोलैंड के साथ अपना मैच भी नहीं खेल सकेगी। यही नहीं दुनिया भर के संगीतकार रूस में पहले से तय अपने कार्यक्रमों को रद्द कर रहे हैं।
मॉस्को में काम करने वाली एक युवती लेना (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से कहा, "ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि रूस को वैश्विक कला का हिस्सा फिर कब माना जाएगा।"
लेना ने अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर बात की थी। इस लेख के लिए अपनी राय ज़ाहिर करने वाले अन्य लोगों के नाम भी बदल दिए गए हैं।
'सबकुछ बदल जाएगा'
लेना कहती हैं, "यूक्रेन में मानवीय त्रासदी घटित हो रही है, ऐसे में हालात को सामान्य माने रखने का भ्रम पाले रखना मुश्किल है।"
वो कहती हैं, "अलग-थलग किए जाने और अर्थव्यवस्था के टूटने की शिकायत करना यूक्रेन के लोगों की पीड़ा की तुलना में कुछ भी नहीं है। हम इस बात को लेकर बेहद उदास हैं कि यूक्रेन के लोगों की मदद करना रूस में राजद्रोह है।"
रूस में खुलकर बात करना भी ख़तरनाक़ है। युद्ध के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। इसी बीच रूस का नेतृत्व हमले को और तीव्र कर रहा है।
यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर रूस की अर्थव्यवस्था पर सख़्त प्रतिबंध लगाए गए हैं। हालांकि रूस के नेताओं ने अभी तक इन प्रतिबंधों को नज़रअंदाज़ ही किया है।
लेकिन कला और खेल जगत से संबंध तोड़ना रूस की पीड़ा को और ग़हरा कर रहा है। इसने शीत युद्ध के दौरान की कड़वी यादों को फिर से ताज़ा कर दिया है।
'बड़ी तस्वीर को देखें तो ये सब मायने नहीं रखता'
खेल जगत में रूस पर वैश्विक प्रतिबंध लग रहे हैं। बीजिंग विंटर गेम्स में रूस की ग़ैरमौजूदगी ने लोगों की पीड़ा को बढ़ा दिया है।
इस साल होने वाली विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिताओं से भी रूसी एथलीटों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
रूस के एथलीट फीगर स्केटिंग में अपनी महारत के लिए जाने जाते हैं। इस साल इस खेल की प्रतियोगिताओं में भी वो हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
इंटरनेशनल जूडो फ़ेडरेशन ने भी रूस के राष्ट्रपति पुतिन को प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें दी गई अध्यक्ष की सम्मानित उपाधि को रद्द कर दिया है।
रूस ने चार साल पहले ही फ़ुटबॉल विश्व कप की मेजबानी की थी लेकिन अब उसके फ़ुटबॉल क्लबों और राष्ट्रीय टीम को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
मॉस्को के सबसे प्रमुख फ़ुटबॉल क्लब स्पार्टक मॉस्को को भी यूरोपा लीग से बाहर कर दिया गया है।
हालांकि जिन लोगों से बीबीसी ने बात की उनका कहना था कि ये सब ध्यान हटाने जैसा है।
आंद्रे जिनके पास क्लब सीज़न के टिकट थे, कहते हैं कि "यदि हम बड़ी तस्वीर को देखें तो ये सब मायने नहीं रखता है।"
वो कहते हैं, "बाकी दूसरी चीज़ों की तरह ही फ़ुटबॉल भी अब अलग होने जा रहा है। ये हमारी नई ज़िंदगी का हिस्सा होगा जिसकी हम अभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।"
'ये सब बहुत डराने वाला है'
वे कहते हैं, "सबसे बड़ी बात ये है कि किसी ने हमसे पूछा भी नहीं कि हम ये नई ज़िंदगी चाहते हैं या नहीं। ये कैसी होगी? ये सब बहुत डराने वाला है। हालांकि यूक्रेन के लोग जो महसूस कर रहे हैं उसकी तुलना में ये कुछ भी नहीं है।"
वो कहते हैं, "बहिष्कार जैसी छोटी समस्याएं हमारी चिंताओं का हिस्सा नहीं है।"
"हमारी पूरी ज़िंदगी बदलने जा रही है। टीवी शो से लेकर टेलिफ़ोन और कार तक, सबकुछ। ये कयास लगाना कि कैसे ये सब बदलेगा, मुझे इसमें कोई तर्क नज़र नहीं आता है।"
हाल के सालों में रूस के लोगों ने पश्चिमी कलाकारों को अपने देश में प्रस्तुति देते हुए देखा है। ये सोवियत काल से बिल्कुल अलग है जब देश से आना जाना बहुत मुश्किल था। लेकिन अब बहुत से विदेशी कलाकारों ने या तो अपने शो रद्द कर दिए हैं या टाल दिए हैं।
एरिक क्लैपटन, इगी पॉप या लुइस टॉमलिंसन के शो देखने की उम्मीद कर रहे लोगों को अब निराश होना पड़ेगा।
युद्ध के विरोध में बहुत से चर्चित कलाकारों ने रूस में अपने शो रद्द कर दिए हैं। इनमें द किलर्स, इमेजिन ड्रैगंस, ग्रीन डे, फ्रांस फ़र्दीनांद और दूसरे कलाकार शामिल हैं।
'हमें इस बात पर शर्म है कि...'
लेना कहती हैं कि इस भयावह समय में बहुत से रूसी लोग भी मनोरंजन नहीं चाहते हैं। रूस के आक्रमण के एक दिन बाद ही गायिका वेलेरी मेलाद्ज़े, कामेडियन डेनिला पोपर्चनी और कई अन्य सेलिब्रिटी कलाकारों ने वीडियो जारी कर युद्ध रोकने की अपील की थी।
बीते एक सप्ताह में रूस में मनोरंजन की दुनिया पूरी तरह बदल गई है। मॉस्को का बोल फेस्टिवल अब नहीं होगा। जून में होने वाले इस आयोजन में निक केव को भी शामिल होना था।
फ़ेस्टिवल के सह-संस्थापक स्टेपान काज़रयान ने फ़ेसबुक पर लिखा, "हम दुनियाभर के कलाकारों को साथ लेकर कांफ्रेस और शोकेस फ़ेस्टिवल आयोजित करते हैं। हमने कई नए बैंड की खोज की। महामारी के दौरान भी हमने ख़ुश रहने की कोशिश की। लेकिन हमारे पास इकतरफ़ा टिकट है और कुछ नहीं। हमें इस बात पर शर्म है कि हमारे ही देश के कुछ लोगों ने हमारे पड़ोसी के साथ कैसा व्यवहार किया है। हमें लगता है कि हम कभी भी अपना पहले जैसा जीवन नहीं पा सकेंगे।"
आक्रमण को लेकर विरोध की वजह से सिनेमा प्रशंसकों और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग देखने वाले भी प्रभावित हुए हैं। डिज़नी, वार्नर ब्रदर्स, सोनी और पैरामाउंट जैसी दुनिया की बड़ी मनोरंजन कंपनियों ने रूस में अपनी फ़िल्मों और शो की रिलीज़ रोक दी है।
रूस के लोग कितने प्रभावित?
मॉस्को में रहने वाली 60 साल की मरीना कहती हैं कि हम अभी ऑनलाइन फ़िल्में तो देख पा रहे हैं लेकिन हमें लगता है कि आगे फ़िल्मों की रिलीज़ सीमित रहेगी। हमें बहुत बुरा लग रहा है। हम ये युद्ध नहीं चाहते थे।
लेकिन खेल, संस्कृति और कला जगत से अलग-थलग किए जाने से रूस के लोग कितने प्रभावित होंगे?
पश्चिमी देशों को लग रहा है कि रूस के लोग यात्रा करने की आज़ादी, संगीत और संस्कृति से अलग-थलग होकर पीड़ा महसूस करेंगे।
लेकिन क्या सोचना बचकाना है कि रूस के लोगों को इन चीज़ों से वंचित करने से उनके विचार बदल जाएंगे?
लेना कहती हैं, "ऐसा नहीं है, लेकिन ये असंभव है क्योंकि अब रूस की सड़कों पर नागरिकों से अधिक पुलिसकर्मी हैं।"
'लोगों को जानने में वक़्त लग सकता है'
"पिछले वीकेंड युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने वाले 6 हज़ार से अधिक लोग गिरफ़्तार किए गए थे। ये सिर्फ़ सामान्य नागरिक नहीं थे बल्कि बच्चों और दूसरे विश्व युद्ध में हिस्सा लेने वाले बुज़ुर्गों तक को गिरफ़्तार किया गया।"
राजनीतिक टिप्पणीकार इकैटरीना शूलमैन कहती हैं कि "अब ये सामान्य धारणा है कि आम जीवन ध्वस्त हो रहा है।" एकैटरीना इको मॉस्को रेडियो स्टेशन पर कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहीं थीं जब इस स्टेशन को बंद कर दिया गया।
उन पर यूक्रेन में सैन्य अभियान के बारे में ग़लत जानकारियां देने का आरोप लगाया गया।
वे कहती हैं कि रूस के लोगों के विचारों पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का कितना असर पड़ेगा इसका आकलन करना अभी मुश्किल है।
"अभी लोग परेशान हैं या जो हो रहा है उसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसिलए वो समझ ही नहीं पा रहे कि हो क्या रहा है। बहुत से लोग न्यूज़ देखते ही नहीं है। वो टीवी कभी-कभार ही देखते हैं। ऐसे में लोगों को इसके बारे में जानने में समय लग सकता है।"
वे कहती हैं कि रूस के लोग अभी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सीमाएं बंद हो जाएंगी और वो देश के बाहर नहीं जा सकेंगे।
"पिछले कुछ दिनों से बहुत से लोग रूस छोड़कर जा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं उन्हें दबाया ना जाए या सेना में भर्ती होने के लिए ना कहा जाए। वो इस्तांबुल, येरेवान और तिब्लीसी जैसे शहरों की तरफ़ जा रहे हैं।"
लेना कहती हैं कि संगीत, मनोरंजन, फ़िल्में या प्रदर्शनी जैसी चीज़ें लोगों की प्राथमिकता में नहीं हैं। ये शीर्ष दस प्राथमिकताओं तक में शामिल नहीं हैं।
"ऐसा महसूस हो रहा है कि ये कोविड के बाद का अवसाद नहीं है। ये सिर्फ़ अवसाद है और मजबूर होने का बहुत ही बुरा अहसास भी है।"