रूस के दबदबे को चुनौती देने की कीमत क्या होती है ये विक्टर युश्चेंको से बेहतर शायद ही कोई जानता होगा। यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति को साल 2004 में उस समय ज़हरीला रसायन दे दिया गया था, जब वो रूस की पंसद वाले उम्मीदवार के ख़िलाफ़ चुनाव प्रचार कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया और फिर उसी साल राष्ट्रपति बने।
कीव के बाहरी इलाके में लकड़ी से बने घर में बैठे युश्चेंको यूक्रेन की आज़ादी के लिए 'राष्ट्र के जज़्बे' की सराहना करते हैं।
"आज मैं पूरे विश्वास के साथ ये कह सकता हूं कि 4.2 करोड़ यूक्रेनी एक ही आवाज़ में बोलते हैं और इससे हमें किसी भी दुश्मन का सामना करने की ताक़त मिलती है, फिर वो रूस ही क्यों न हो।" ये कहते हुए अभी भी पूर्व राष्ट्रपति के चेहरे पर वो डर देखा जा सकता है, जब उन्हें ज़हर दिया गया था।
यूक्रेन की आज़ादी की सालगिरह 24 अगस्त को थी। इस दिन व्लादिमीर पुतिन की सेना के यूक्रेन पर चौतरफ़ा हमले को भी आधा बरस हो गया। इन छह महीनों का हिसाब-क़िताब बताते हुए यूक्रेन की सेना ने अपने 9,000 सदस्यों के मारे जाने का दावा किया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने कुछ साढ़े पांच हज़ार जवानों के मारे जाने की पुष्टि की है।
दुनिया में बदली यूक्रेन की छवि
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होगा, इसका पूर्वानुमान बहुत कम ही लोगों ने लगाया था। युश्चेंको इस युद्ध के लिए रूस के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए पश्चिमी देशों की ऐतिहासिक अक्षमता को ज़िम्मेदार ठहराते हैं।
उन्होंने अपने तर्क को साबित करने के लिए साल 2008 में जॉर्जिया के साथ हुए संघर्ष और इसके छह साल बाद क्राइमिया पर रूस के कब्ज़े का ज़िक्र किया। हालांकि, उनका मानना है कि यूक्रेन के मौजूदा इम्तेहान ने दुनिया में उसकी स्थिति को बदल दिया है।
"आज, 50 से अधिक देश हमारे संघर्ष में साथ आए हैं। वो हमें सैन्य, वित्तीय और मानवीय समेत हर तरह की मदद दे रहे हैं।"
पूर्व राष्ट्रपति युश्चेंको का अधिकांश समय अब लकड़ी के सामान बनाने में बीतता है। हम उनकी बनाई दर्जनों प्रतिमाओं से घिरे हुए थे। पूर्व राष्ट्रपति ने मुझे बताया कि वो इस जंग में यूक्रेन की जीत को लेकर आश्वस्त हैं। युद्ध के शुरुआती दौर में यूक्रेन के हज़ारों नागरिक रूस से जंग के लिए सेना में भर्ती हुए।
यूक्रेन को अपना क्षेत्र बनाने के लिए रूस जितनी ताक़त झोंकेगा, यूक्रेन के नागरिकों में राष्ट्रीय पहचान की भावना भी उतनी ही प्रबल होती जाएगी।
कीव की नाइपर नदी के किनारे एक छोटी सी फ़ैक्ट्री में नतालिया पहले होटल की वर्दियां बनाने का काम करती थीं। लेकिन अब वो यूक्रेन के झंडे बनाने लगी हैं।
यूक्रेन की कड़वी हक़ीक़त
शुरुआत में जब हमला हुआ तो उन्हें सेना के नाकों से झंडे बनाने के निवेदन मिले, मगर अब वो हर महीने करीब ढाई हज़ार झंडे बना रही हैं। ये ऑर्डर सेना ही नहीं बल्कि निजी व्यवसायों की ओर से भी आ रहे हैं। सिलाई मशीन की घरघराती आवाज़ के बीच वो मुझसे कहती हैं, "ये रंग हमें बहुत प्यारे हैं।"
"यूक्रेन का हर नागरिक इन रंगों को महसूस करता है और हम इन्हें हर चीज़ में देखते हैं, फिर आसमान हो या गेहूँ। ये हमें संतुष्टि, ख़ुशी देता है, हमारे अंदर सकारात्मक भावनाएं भरता है क्योंकि हमारा काम सार्थक है।"
युद्ध में छह महीने बिताने के बाद आज यूक्रेन के सामने कुछ कड़वी हक़ीक़त भी हैं। कई सप्ताह तक इस बारे में चर्चा करने के बाद यूक्रेन ने दक्षिणी क्षेत्र में स्थित खेरेसोन में आक्रामक जवाबी कार्रवाई करने की योजना बनाई, लेकिन ये अभी तक हक़ीक़त में तब्दील नहीं हो सकी।
हां, इस बीच यूक्रेन ने रूस के इलाकों में दूर तक मिसाइल हमले ज़रूर किए हैं, लेकिन इस युद्ध में अब तोपों का ही दबदबा बचा है, जबकि मोर्चे पर हालात एकदम स्थिर हैं।
यूक्रेन की चुनौतियां
अब तक पश्चिमी हथियारों के बलबूते यूक्रेन ने रूस को जड़े नहीं जमाने दी है लेकिन अगर वो रूस को पूरी तरह खदेड़ना चाहता है तो कुछ 'बड़ा' करना होगा।
इसलिए, हज़ारों परिवारों की अकल्पनीय कीमत पर ये सैन्य यथास्थिति जारी रहने की उम्मीद है। साथ ही, अभी तक यूक्रेन के अधिकांश नागरिक राष्ट्रपति वोलोदोमिर ज़ेलेंस्की को युद्ध का हीरो मान रहे हैं लेकिन उन्हें रूसी हमले की तैयारियों के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ रही है।
ख़ासतौर पर अमेरिका की ओर से बार-बार चेतावनी के बावजूद ज़ेलेंस्की ने एक्शन लेने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि इससे भय पैदा होगा और यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुँचेगा।
यूक्रेन के सामने मौजूद चुनौतियों का एक अन्य उदाहरण 'कीव इंडिपेंडेंट' के न्यूज़रूम में दिखता है। अंग्रेज़ी भाषा की ये न्यूज़ वेबसाइट ने हमले से कुछ सप्ताह पहले ही काम शुरू किया था। चंद दिनों में ही इस वेबसाइट को पढ़ने वालों की संख्या हज़ारों-लाखों में पहुँच गई।
वेबसाइट की एडिटर-इन चीफ़ ओलगा रुदेंको ने कहा, "आज स्वतंत्रता दिवस है और हमें नहीं पता क्या होने वाला है।" वे अपनी वेबसाइट को यूक्रेन की आवाज़ और दुनिया के लिए यूक्रेन के बारे में जानकारी पाने का ज़रिया बताती हैं।
वे कहती हैं, "फ़रवरी में जब चीज़े बहुत अनिश्चित थीं, हमें नहीं पता था कि पूरे देश पर आक्रमण होगा या क्या हम ज़िंदा बचेंगे। आज भी यहाँ रहना, आज़ादी मनाने का मौका मिलने से सब सार्थक लग रहा है।"
हाल ही में हुए एक सौदे से यूक्रेन को एक बार फिर काला सागर के रास्ते अनाज का निर्यात करने की मंज़ूरी मिल गई है। युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक सिर्फ़ यही एक कूटनीतिक सफलता हाथ लग सकी है।
कुछ लोग इसे शांति संधि की शुरुआत के तौर पर देखते हैं। हालांकि, अभी इस संधि तक पहुँचने के लिए लंबा रास्ता तय किया जाना है और यूक्रेन अभी ही अपना पांचवां शहर भी खो चुका है। ख़ुद को आज़ाद बनाए रखने के लिए, ये देश कुछ समय के लिए दूसरे देशों की मदद के भरोसे रहेगा।