कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उनकी पार्टी ही सरकार बना रही है और 17 मई को जब चुनाव के नतीजे आ जाएंगे तो वे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। पार्टी के मार्गदर्शक दल के मानदंडों के बावजूद उन्हें इस बात का यक़ीन है कि आने वाले पांच सालों के लिए वही मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार ख़त्म होने के दो दिन पहले बीएस येदियुरप्पा ने बीबीसी से एक ख़ास बातचीत में कहा, "जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मुझे राज्य में पार्टी का अध्यक्ष चुना था उसी दिन उन्होंने ये घोषणा कर दी थी कि मुझे ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदार होना चाहिए। वे मुझे इज़्ज़त देते हैं। मैं चुने जाने के बाद आने वाले पांच सालों तक मुख्यमंत्री बना रहूंगा।"
लिंगायतों की आशंका
येदियुरप्पा ने बीते फरवरी महीने में ही अपना 75वां जन्मदिन मनाया है। कर्नाटक के दावणगेरे में एक जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने येदियुरप्पा को 'राइथा बंधु' (किसान बंधु) कहकर संबोधित किया था। मोदी ने अब तक कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर जितनी भी सभाएं या रैलियां की हैं सभी में येदियुरप्पा को बतौर मुख्यमंत्री ही पेश किया है और लोगों से उन्हें वोट देने की अपील की है।
बावजूद इसके एक आशंका बनी हुई है। लिंगायत समुदाय में 30 से 45 साल के लोगों को डर है कि येदियुरप्पा का इस्तेमाल विधानसभा चुनावों में सिर्फ़ और सिर्फ़ समुदाय के वोट पाने के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा अगले साल लोकसभा के चुनाव भी हैं, उन्हें डर है कि इसके तुरंत बाद उन्हें पद से हटा दिया जाएगा और उनकी जगह किसी और को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा।
भाजपा का मार्गदर्शक मंडल
इस गतिरोध के पीछे एक बड़ी वजह भी है। दरअसल, साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 75 साल की उम्र से अधिक के तमाम नेताओं मसलन लालकृष्ण आडवाणी, डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को पार्टी ने मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया।
जब येदियुरप्पा से इस आशंका के बाबत सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "कोई भी इस तरह की बकवास को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि मोदी जी और अमित शाह शुरू से कहते आ रहे हैं कि मैं ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार हूं।"
येदियुरप्पा ने कहा, "इस बात में कोई शक़ है ही नहीं कि 17 मई को मैं ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा हूं। जो उत्तर प्रदेश में हुआ वो यहां भी होगा।" वो इस बात को लेकर आश्वस्त नज़र आए कि अहिंदा (अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित) जिसे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बनाया था, वो अब उस रूप में कायम नहीं है।
जीत का भरोसा
येदियुरप्पा कहते हैं, "सभी पिछड़े और दलित उनके ख़िलाफ़ हैं। हमें दाएं सेक्टर का कम से कम 40 फ़ीसदी दलित वोट मिलेगा और लेफ्ट सेक्टर तो पहले से ही हमारे साथ है।" अगर वो अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त हैं तो आख़िर क्या वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी रैलियां इस तरह ताबड़तोड़ बढ़ा दीं।
येदुरप्पा जवाब देते हैं, "बिल्कुल, अगर वो राज्य का दौरा करते हैं तो हमें 150 सीटें मिल सकती हैं। यही वजह है कि वो बार-बार राज्य का दौरा कर रहे हैं और इतना ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं।"
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक आए थे क्योंकि "80 फ़ीसदी हिंदू उनसे सहमत हैं। हमें इससे फ़ायदा मिलेगा।" येदियुरप्पा ने कहा कि सत्ता संभालने के तुरंत बाद वह भ्रष्टाचार निरोध ब्यूरो (एसीबी) को ख़त्म कर देंगे और लोकायुक्त को मजबूत करेंगे। साथ ही सिद्धारमैया और उनके मंत्रियों के ख़िलाफ जितने भी मामले हैं, जिस पर एसीबी ने कोई जांच नहीं की वे उस पर जांच के आदेश देंगे।
वोट किसके नाम पर पड़ेगा
बी श्रीमुलु को उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने के सवाल पर येदियुरप्पा ने कहा कि "ये सवाल तो पैदा ही नहीं होता। हमनें ऐसा कोई वादा नहीं किया है।" एक सवाल के जवाब में येदियुरप्पा ने कहा कि हम सभी एक हैं। सभी सांसद और विधायक। हमारे विचारों में कोई मतभेद नहीं है। हमारी लड़ाई कांग्रेस पार्टी से हैं और हमें पूर्ण बहुमत मिलेगा।
तो लोग किसके नाम पर वोट देने आएंगे? क्या उनके नाम पर क्योंकि वो मुख्यमंत्री बनने वाले हैं या फिर मोदी के नाम पर क्योंकि वो प्रधानमंत्री हैं?
"दो चीजें हैं। लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार साल के कार्यकाल से खुश है। लोग उनके शासन में रेलवे और हाई-वे की बेहतरी को देखा है। ठीक इसी तरह आने वाले पांच साल हम किसानों की बेहतरी के लिए काम करेंगे और समाज के दूसरे तबकों की उन्नति के लिए भी।"