उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ पूरी तरह एक्शन में आ चुके हैं। उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक से क़ानून व्यवस्था में सुधार लाने का रोड मैप मांगा है। योगी आदित्यनाथ की पहचान हिंदुत्व के फ़ायर ब्रांड वाले नेता की रही है, अल्पसंख्यक तबके का आक्रामक विरोध करने के लिए वे जाने जाते रहे हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये है कि क्या मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ को किसी इमेज मेकओवर की जरूरत है?
'बदलाव की जरूरत ना पड़े'
इस सवाल पर देश के जाने माने विज्ञापन गुरू पीयूष पांडे ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा, "किसी आदमी के नाम में जब योगी जुड़ जाता है, तो हम लोग उसको लेकर बहुत संवेदनशील हो जाते हैं। हो सकता है कि योगी आदित्यनाथ को अपनी छवि में किसी तरह के बदलाव की ज़रूरत ही नहीं हो।"
वे आगे बताते हैं, "भारतीय जनता पार्टी ने या फिर नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ को अगर उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है तो सोचकर समझकर सौंपी होगा। हो सकता है कि योगी आदित्यनाथ की छवि कुछ लोगों को पसंद नहीं हो। लेकिन पार्टी ने उन्हें ज़िम्मेदारी दी है।"
योगी आदित्यनाथ की छवि महंत और संन्यासी की रही है। हालांकि अपनी अलग वेशभूषा और जीवनशैली के साथ योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी गोरखपुर से पांच बार लोकसभा के सांसद चुने जा चुके हैं। लेकिन एक क्षेत्र का प्रतिनिधि होना और मुख्यमंत्री होने में बहुत बड़ा अंतर है। एक सवाल ये भी है कि क्या योगी की ये जीवनशैली युवा मतदाताओं को आकर्षित करेगी?
लुक नहीं काम ज़रूरी : इस सवाल के जवाब में पीयूष कहते हैं, "वे गेरुआ वस्त्र पहनते हैं, बाल नहीं रखते हैं, ऐसे दिखते हैं, वैसे दिखते हैं, से ज़्यादा महत्वपूर्ण बात ये होगी कि वे करते क्या हैं, किस तरह से विकास लाते हैं। जहां तक युवाओं की बात है तो अगर योगी उनके हितों की बात नहीं करेंगे, उनके जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश नहीं करेंगे तो वो क्यों आकर्षित होंगे।"
पर योगी आदित्यनाथ को क्या किसी तरह से अपनी छवि में बदलाव की जरूरत है?
इस पर पीयूष पांडे कहते हैं कि विकास की बात करके योगी आदित्यनाथ अपनी मौजूदा छवि को पीछे छोड़ सकते हैं। दरअसल 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी की इमेज बिल्डिंग में पीयूष पांडे की अहम भूमिका रही है। अबकी बार मोदी सरकार और अच्छे दिन आने वाले हैं, जैसे नारों के ज़रिए उन्होंने नरेंद्र मोदी की पहचान हिंदुत्व की राजनीति करने वाले नेता के बदले विकास पुरुष जैसी बनाने में मदद की। नरेंद्र मोदी के इमेज मेकओवर पर वे कहते हैं, "बीते तीन सालों से पूरा देश उनको देख रहा है, मुझे नहीं लगता है कि उन्होंने कट्टर हिंदुत्व की राजनीति की है।"
बात करने का तरीका बदलें : कई टीकाकारों के मुताबिक ये इमेज बिल्डिंग का भी कमाल है कि नरेंद्र मोदी की छवि 2002 के गुजरात दंगे के साए से कुछ हद तक निकलती दिखाई दे रही है और योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व की राजनीति करने वाले ज़्यादा आक्रामक नेता दिखाई दे रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ को पीयूष पांडे क्या सलाह देंगे?
इस सवाल के जवाब में पीयूष पांडे कहते हैं, "योगी आदित्यनाथ को अगर सलाह देनी पड़े तो मैं उन्हें कहूंगा- जनता ने आपको चुना है, तो आप ऐसी बातें कीजिएगा जो आज समाज के लोगों को पसंद आए। पुरानी बातें करेंगे तो लोगों को पसंद नहीं होगी।" साथ ही वो कहते हैं, "योगी आदित्यनाथ को मौका मिला है, तो उन्हें वक़्त देना चाहिए। अगर वे काम करेंगे तभी टिकेंगे, नहीं तो कोई दूसरा उनकी जगह ले लेगा।"