अधूरी रह गई प्रेम कहानी

BBC
पाकिस्तान से भारत में कथित रूप से हिंसा फैलाने आए मुराद को इश्क हुआ, लेकिन अब उन्हें अपनी महबूबा के बिना ही पाकिस्तान लौटना पड़ रहा है।

ये कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, लेकिन बस फर्क इतना है कि इसका अंत अभी दुखद है सुखद नहीं। कहानी की शुरुआत कुछ साल पहले होती है जब मुराद 1997 में चरमपंथी के रूप में कश्मीर आया था। लेकिन नसीमा के प्यार में पड़कर उसने हथियार छोड़ दिए।

मुराद और नसीमा ने साझा जिंदगी जीने के कसमे वादे किए और पाकिस्तान में एक पुरसूकुन जिंदगी जीने का प्रण किया। इसी मुराद में वो थार के बियाबान रेगिस्तान पहुँचे, लेकिन 13 अप्रैल 2005 को मुनाबाओ में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया जब वो पाकिस्तान जाने की योजना में थे।

मुराद ने पुलिस को बताया कि पाकिस्तान जाकर नसीमा के साथ अपना घर बसाना चाहता है। लिहाजा उसे अदालत ने वर्ष 2008 में विदेशी नागरिक कानून के तहत तीन साल की सजा दी गई जबकि नसीमा को एक साल जेल में गुजारना पड़ा।

नसीमा तो सजा पूरी होने के बाद कश्मीर लौट गई, लेकिन मुराद जेल के भीतर ही रहा। नसीमा को फिर कभी मुराद की सुध लेते नहीं देखा गया। अब तीन साल बाद मुराद रिहा हुआ है और उसे पाकिस्तान भेजा जा रहा है।

राजस्थान पुलिस मुराद को लेकर पंजाब के अटारी गई है। उसे वहाँ पाकिस्तान के अधिकारियों के हवाले कर दिया जाएगा।

जब सोमवार को पुलिस उसे लेकर पंजाब के लिए रवाना हुई तो वो तनहा था और उसकी आँखों में उदासी का समंदर था।

बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक नवज्योति गोगई कहते हैं, 'मुराद की भारतीय जेल में सजा पूरी हो गई थी। उसकी पाकिस्तानी नागरिकता की पुष्टि होने के बाद कानून के मुताबिक मुराद को उसके मुल्क भेजा जा रहा है।’

मुराद और नसीमा को जब 2005 में गिरफ्तार किया गया था तो मानव अधिकार कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने सरकार से इन दोनों का घर बसाने का मौका देने का आग्रह भी किया। मगर सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया।

मुराद और नसीमा ने तब पुलिस को बताया था कि वादी-ए-कश्मीर में बारूद के धमाको और गंध के बीच उनका प्यार परवान चढ़ा। वो साथ जीना मरना चाहते है किन्तु कहानी तब तक कुछ और मोड़ ले चुकी थी।

थार के इस खूबसूरत रेगिस्तान में मुहब्बत के अफसानों पर बनी कई कामयाब फिल्मों की शूटिंग हुई है। उन फिल्मों में दर्शक विदाई के बाद प्रेमी जोड़ों के मिलाप का सुखांत देखकर लौटते थे। मगर मुराद की इस कहानी में कदाचित सिर्फ विरह और विदाई ही है।

वेबदुनिया पर पढ़ें