शनिवार, सात फरवरी 2009 : बड़ी दाढ़ियां, लंबे बाल और तोप के गोले। दोपहर को मैं और मेरा छोटा भाई अब्बू के साथ मिंगोरा के लिए रवाना हो गए। अम्मी और बाकी लोग पहले ही जा चुके थे। बीस दिन के बाद मिंगोरा जाते हुए खुशी भी हो रही थी और साथ में डर भी लग रहा था।
मिंगोरा में दाखिल होने से पहले जब हम कम्बर के इलाके से गुजर रहे थे तो वहां पर अजीब किस्म की खामोशी पसरी हुई थी। बड़ी-बड़ी दाढ़ियां और लंबे लंबे बालों वाले कुछ लोगों के सिवा वहां पर कोई और नजर नहीं आया। शक्ल व सूरत से ये लोग तालिबान लग रहे थे।
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(ये मलाला की डायरी का पांचवा हिस्सा है) यूनिफॉर्म, बस्ते और जियोमेट्री बॉक्स देख कर दुख हुआ : मैंने कुछ मकानों को भी देखा जिन पर गोलों के निशान थे। मिंगोरा में दा़खिल हुए तो वहां पर भी पहले की तरह भीड़-भाड़ नहीं थी। हम अम्मी के लिए तोहफा खरीदने शाह सुपर मार्केट गए तो वह बंद हो गया था हालांकि पहले मार्केट देर तक खुली रहती थी।
बाकी दुकानें भी बंद हो गई थीं। हमने अम्मी को मिंगोरा आने के बारे में नहीं बताया था क्योंकि हम उन्हें सरप्राइज देने चाहते थे। जब हम घर में दाखिल हुए तो अम्मी हैरान रह गईं।
रविवार, आठ फरवरी 2009 : मैंने जब अपनी अलमारी खोली तो वहां पर पड़ी स्कूल की यूनिफॉर्म, बस्ते और जियोमेट्री बॉक्स को देख कर मुझे बहुत दुख हुआ। कल तमाम प्राइवेट स्कूलों के लड़कों के सेक्शन खुल रहे हैं। हम लड़कियों की तालीम पर तो तालिबान ने पाबंदी लगा रखी है।
स्कूल की बहुत सी बातें याद आईं : मैंने जियोमेट्री बॉक्स खोला तो उसमें दो सौ रुपए पड़े थे। ये स्कूल के जुर्माने के पैसे हैं। जब कोई लड़की स्कूल न आती या कभी लेट आती तो उनसे जुर्माने के पैसे लेने की जिम्मेदारी टीचर ने मेरी लगाई थी।
अलमारी में हमारे क्लास के बोर्ड का मार्कर भी पड़ा था जिसे भी मैं अपने साथ रखा करती थी। स्कूल की बहुत सी बातें याद आईं। सबसे ज्यादा लड़कियों के आपस के झगड़े।
मेरे छोटे भाई का स्कूल भी कल ही खुल रहा है। उसने बिल्कुल होमवर्क नहीं किया है। वह बहुत परेशान है और स्कूल जाना नहीं चाह रहा। अम्मी ने वैसे कल कर्फ्यू लगने की बात की तो मेरे भाई ने पूछा क्या कल सचमुच कर्फ्यू लग रहा है। अम्मी ने जब ‘हां’ कहा तो उसने खुशी से नाचना शुरू कर दिया।
सिर्फ छह बच्चे हाजिर थे जिसमें से महज एक लड़की थी : मंगलवार, 10 फरवरी 2009: महबूब या गरीबी वतन छोड़ने पर मजबूर करती है। स्वात में लड़कों के स्कूल खुल चुके हैं और तालिबान की तरफ से प्राइमरी तक लड़कियों के स्कूल जाने से पाबंदी उठाए जाने के बाद लड़कियों ने भी स्कूल जाना शुरू कर दिया है।
हमारे स्कूल में पांचवीं तक लड़के और लड़कियां एक साथ पढ़ते हैं। मेरे छोटे भाई ने बताया कि आज उसके क्लास के उनचास में से सिर्फ छह बच्चे हाजिर थे जिसमें से महज एक लड़की थी। बच्चों की सभा में भी सत्तर के करीब बच्चे थे। हमारे स्कूल में कुल सात सौ बच्चे पढ़ते हैं।
हालात बहुत खराब हैं : आज हमारी एक नौकरानी आई थी जो हफ्ते में एक बार हमारे कपड़े धोने आती है। उनके साथ एक और खातून भी थी। नौकरानी का ताल्लु़क जिला अटक से है, लेकिन वह बरसों से यहीं रह रही है।
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उन्होंने बताया, 'हालात बहुत खराब हैं और मेरे पति ने कहा है कि तुम वापस अटक चली जाओ।' उन्होंने कहा कि इतने बरसों तक यहां रह कर स्वात अब मुझे अपना घर जैसा लगने लगा है। अपने शहर अटक जाते हुए मुझे लगता है कि मैं अपना शहर छोड़ कर एक अनजान शहर जा रही हूं।
खुदकुश हमले को प्रेशर कुकर का धमाका समझ लो : उनके साथ जो औरत आई थी वह स्वात की है और उसने अम्मी को एक पश्तो टप्पा सुनाया- “आलम पे चार लह मुलक: न जी...या डेर गरीब शी या दयार लह गम...जी ना...”
इसका मतलब हुआ कि जब लोग अपनी मर्जी से अपना वतन नहीं छोड़ते, या बहुत ज्यादा गुरबत या फिर महबूब उन्हें तर्क ए वतन पर मजबूर करती है।
बुधवार, 11 फरवरी 2009 : खुदकुश हमले को प्रेशर कुकर का धमाका समझ लो। आज भी सारा दिन खौफ में गुजरा। बोरियत भी बहुत थी। घर में अब टेलीविजन भी नहीं है।
मेरे ब्रेसलेट और पायल भी गायब थे : जब हम सर्दियों की छुट्टियों में बीस दिन के लिए मिंगोरा से बाहर गए थे तो उस वक्त घर में चोरी हो गई थी। पहले इस किस्म की चोरियां नहीं होती थीं, लेकिन जब से हालात खराब हुए हैं, ऐसे घटनाएं भी बढ़ गई हैं।
शुक्र है हमारे घर में न नकदी थी और न ही सोना, मेरे ब्रेसलेट और पायल भी गायब थे, लेकिन बाद में मुझे कहीं और नजर आए। शायद चोर सोना समझकर चुराना चाह रहे थे मगर बाद में उन्हें समझ आ गई होगी कि ये तो नकली हैं।
मौलाना फजलुल्लाह ने पिछली रात एफएम चैनल पर अपनी तकरीर में कहा कि मिंगोरा में पुलिस स्टेशन पर जो खुदकुश हमला हुआ था इसे प्रेशर कुकर का धमाका समझ लो, इसके बाद बड़ा देग फटेगा और फिर टैंकर का धमाका होगा।
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शुक्रवार को आत्मघाती हमले से पुण्य ज्यादा होता है? : रात को अब्बू ने स्वात में होने वाले तमाम वाकयात सुनाए। आजकल बातों में हमारी जबान पर फौजी, तालिबान, रॉकेट, गोला-बारी, शेलिंग, मौलाना फजलुल्लाह, मुस्लिम खां, पुलिस, हेलीकॉप्टर, हलाक, जख्मी जैसे शब्द ज्यादा होते हैं।
गुरुवार, 12 फरवरी 2009 : शुक्रवार को आत्मघाती हमले से पुण्य ज्यादा होता है? कल सारी रात गोला बारी होती रही। इस हाल में भी मेरे दोनों भाई सोए हुए थे मगर मुझे बिल्कुल नीद नहीं आ रही थी। मैं एक दफा अब्बू के पास गई वहां आराम नहीं आया फिर जाकर अम्मी के साथ लेट गई।
हम स्टार प्लस के ड्रामे देखा करती थी : इसके बावजूद थोड़ी देर के लिए आंख लग जाती लेकिन फिर दोबारा जाग उठती। इसलिए सुबह देर से जागी। तीसरे पहर को ट्यूशन पढ़ाने वाला टीचर आया। इसके बाद काजी साहब ने आकर दीनी सबक पढ़ाया।
शाम तक भाइयों के साथ कभी लड़कर कभी सुलह कर के खेलती रही। टीवी न होने से कुछ देर तक कम्प्यूटर पर गेम भी खेलती रही। जब तालिबान ने केबल पर पाबंदी नहीं लगाई थी उस वक्त हम स्टार प्लस के ड्रामे देखा करती थी।
इसमें ‘राजा की आएगी बारात’ वाला ड्रामा मुझे बेहद पसंद था। मुझे कॉमेडी भी बहुत पसंद है।
मुझे डर भी बहुत लग रहा है : पाकिस्तानी चैनल जियो का मजाकिया प्रोग्राम ‘हम सब उम्मीद से हैं’ को भी मैं बहुत शौ़क से देखा करती थी।
आज गुरुवार है यानी शब ए जुमा है। इसलिए मुझे डर भी बहुत लग रहा है। क्योंकि लोग कहते हैं कि अक्सर देखा गया है शब ए जुमा या शुक्रवार के दिन खुदकुश हमले ज्यादा होते हैं। वह कहते हैं कि खुदकुश हमलावर समझता है कि इस्लामी तौर पर ये एक पवित्र दिन है और इस रोज हमला करने से उसे पुण्य ज्यादा मिलेगा।