आया रूखी त्‍वचा का मौसम

- वीणा शर्मा

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सर्दियों का मौसम आते ही स्किन इचिंग यानी रूखेपन ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। सभी आयु वर्ग के लोग इसकी चपेट में हैं। लेकिन बच्चों और वृद्धों को यह कुछ ज्यादा परेशान कर रही है। चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों और खासकर वृद्धों को इस मौसम में अपनी त्वचा का खास ध्यान रखना होगा। रूखेपन से बेचैनी बढ़ जाती है, साथ ही खान-पान व दूसरे क्रिया-कलापों में भी रुचि कम हो जाती है।

सर्दियों के मौसम में त्वचा का रूखापन लोगों को परेशान करने लगा है। इसी समस्या से हर कोई परेशान है लेकिन बच्चे और बजुर्ग इससे ज्यादा दिक्कत महसूस कर रहे हैं। ठंड का मौसम शुरू रहने के कारण त्वचा का ऊपरी आवरण नमी खो देता है जिसके कारण रूखेपन की परेशानी सामने आती है। इसका प्रभाव पुरुष व महिलाओं में सभी आयु वर्गों पर पड़ता है।

सर्दी में होने वाली यह समस्या सबसे अधिक बुजुर्गों के लिए परेशानी पैदा करती है। बुजुर्गों की स्किन जहाँ अपना ग्लो खो चुकी होती है, वहीं त्वचा का लचीलापन यानि इलास्टिसिटी भी कम हो जाती है। इसी कारण से ऊपरी हिस्सा कई बार रूखा और पपड़ीयुक्त बन जाता है।

ऐसे में स्किन इचिंग यानी त्वचा में रूखेपन के कारण हल्की खारिश जैसी परेशानी पैदा हो जाती है। ऐसे मौसम में जरूरी है कि नमी की मात्रा को बरकरार रखा जाए। इसके लिए जहां खान-पान संतुलित रखना होगा, वहीं स्किन के लिए भी क्रीम अथवा तेल का प्रयोग करना जरूरी है। हालाँकि यह मौसमी परेशानी है लेकिन इसकी ओर से लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

बुजुर्ग हवना राम बतरा बताते हैं कि सर्दियों में त्वचा में पैदा हुआ रूखापन बेचैनी बढ़ा देता है। बेचैनी बढ़ने से किसी काम में मन नहीं लगता। साथ ही भूख ठीक से नहीं लगती। न काम करने की इच्छा होती है और न ही कुछ खाने-पीने की।

कैसे रखें खयाल
त्वचा-रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधा मैठानी का कहना है कि सर्दियों में त्वचा ज्यादा रूखी हो जाती है। इसकी वजह से त्वचा की ऊपरी सतह प्रभावित होती है। इससे बचने के लिए कई क्रीमें होती हैं लेकिन यदि ऐलोवेरा युक्त क्रीम का इस्तेमाल किया जाए तो ज्यादा फायदेमंद रहता है। इसके अलावा सरसों या फिर नारियल तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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