चुनावी रण में उतरे दिग्गजों के रिश्तेदार

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015 (16:20 IST)
पटना। बिहार विधानसभा के इस बार के चुनाव में भी कई दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार चुनावी समर के अभेद्य दुर्ग तोड़कर सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होना चाहते हैं।
 
बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है. नेताओं ने भी तैयारी पूरी कर ली है। जनता बिहार और यहां के नेताओं की तकदीर तय करने की घड़ी का इंतजार कर रही है। 243 सीटों की जंग में यूं तो हर पार्टी बहुमत की ख्वाहिश रखती है, लेकिन अपनों-अपनों को बांटी गई सीटों के समीकरण से तो यही लगता है कि इन नेताओं की कोशिश है कि पार्टी की जीत से पहले परिवार जीते, रिश्तेदार जीतें, भाई-भतीजे जीतें।
 
परिजनों को टिकट बांटने में कोई पार्टी किसी से पीछे नहीं है। बिहार के चुनावी रण में रिश्तेदारों को तरजीह देने का सिलसिला खूब चला है। पार्टियां अपने-अपने मोहरे सजा रही हैं। नेता दूसरे उम्मीदवारों के लिए भले ही भिन्न-भिन्न मानदंड तय करें, लेकिन रिश्तेदारों के लिए बस रिश्ता ही सबसे बड़ी योग्यता है।
 
रिश्तेदारों को ‌टिकट बांटने में सबसे ज्यादा दरियादिली इस बार केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने दिखाई है। पासवान ने अपने लगभग सभी प्रमुख रिश्तेदारों को टिकटों से नवाज दिया है जिसमें उनके भाई-भतीजे तक शामिल हैं। पासवान के भाई बिहार लोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस अलौली और राजापाकड़ से पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पारस गत विधानसभा चुनाव में अलौली से चुनाव हार गए थे। अलौली सीट पर उनका मुकाबला राजद के चंदन कुमार जबकि राजापाकड़ से राजद के ही शिवचंद्र राम से है। दोनों सीट पर पिछली बार जदयू का कब्जा था।
 
अलौली से रामचंद्र सदा और राजापाकड़ से संजय कुमार निर्वाचित हुए थे। राजद इस बार जद (यू) से गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। पिछली बार राजद ने लोजपा से गठबंधन किया था। इसी पार्टी से पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के भाई कन्हैया सिंह को मोकामा जबकि बहनोई रमेश सिंह को विभूतिपुर से टिकट मिला है। रमेश सिंह का मुकाबला जद(यू) के निवर्तमान विधायक रामबालक सिंह से है। 
 
मोकामा से सिंह का मुकाबला जद(यू) के नीरज कुमार से है। रामविलास पासवान की भानजे की पत्नी सरिता पासवान सोनवर्षा विधानसभा क्षेत्र से लोजपा के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रही हैं। श्रीमती पासवान ने पिछली बार इसी सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। श्रीमती पासवान का मुकाबला जद(यू) के निवर्तमान विधायक रत्नेश सदा से है।
 
पूर्व विधायक और बाहुबली नेता राजन तिवारी के बड़े भाई राजू तिवारी गोविन्दगंज से लोजपा के टिकट पर ही चुनावी अखाड़े में है। तिवारी पिछली बार भी इसी सीट से लोजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में कूदे थे, लेकिन उन्हें पराजय का स्वाद चखना पड़ा था। तिवारी का मुकाबला कांग्रेस के ब्रजेश कुमार पांडेय से है। 
 
सियासी रहनुमाओं के पास जनता के लिए तमाम मुद्दे हैं। सैकड़ों वादे हैं, ढेरों ज्वलंत मसले हैं, लेकिन, एजेंडा सेट है- परिवार के ज्यादा से ज्यादा लोगों को विधानसभा तक पहुंचाना, परिवारवाद की सियासत के लिए एक-दूसरे पर हमला करने वाले कई नेताओं के बीच असेम्बली इलेक्शन जैसे 'फैमिली इलेक्शन' बन गया है। इनमें राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी पीछे नहीं हैं।
 
राजद के टिकट पर पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के भाई निवर्तमान विधायक केदारनाथ सिंह बनियापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के तारकेश्वर सिंह से है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री जय प्रकाश यादव के भाई विजय प्रकाश यादव जमुई से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पिछली बार विजय प्रकाश यादव इस सीट से चुनाव हार गए थे। इस बार उनका मुकाबला पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह के पुत्र और निवर्तमान विधायक अजय प्रताप सिंह से है। अजय प्रताप सिंह ने पिछली बार जद(यू्) के टिकट पर चुनाव जीता था। इस बार वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
 
सांसद बुलो मंडल की पत्नी वर्षा रानी राजद के टिकट पर बिहपुर से चुनाव लड़ रही हैं। श्रीमती रानी का मुकाबला भाजपा के निवर्तमान विधायक कुमार शैलेन्द से है। पिछली बार बुलो मंडल कुमार शैलेन्द्र से महज 465 वोट से चुनाव हार गए थे। पूर्व विधायक रामदास राय के भाई मुन्द्रिका प्रसाद राय तरैया से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। राय का मुकाबला भाजपा के निवर्तमान विधायक जनक सिंह से है। इसी तरह मोहिउद्दीनगर से पूर्व विधायक राजेन्द्र राय की बहू इजया यादव राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। श्रीमती यादव का मुकाबला भाजपा के सत्येंद्र सिंह से है।
 
पूर्व सांसद महेश्वर हजारी के भाई शशिभूषण हजारी कुश्वेश्वर स्थान से जद(यू) के टिकट पर चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं। पिछली बार उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था। इसी तरह कौशल यादव जहां जद(यू) के टिकट पर हिसुआ से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव कांग्रेस के टिकट पर गोविन्दपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरी हैं। कौशल यादव का मुकाबला भाजपा के निवर्तमान विधायक अनिल सिंह से है। श्रीमती यादव का मुकाबला भाजपा की फूला देवी यादव से है। पिछली बार कौशल यादव ने गोविन्दपुर से जद(यू) के टिकट पर जबकि पूणिमा यादव ने नवादा से जद(यू) के टिकट पर चुनाव जीता था।
 
दरौधा से जद(यू)के टिकट पर जगमातो देवी की बहू कविता सिंह चुनाव लड़ रही हैं। वर्ष 2010 में जममातो देवी ने इस सीट से चुनाव जीता था। हालांकि बाद में हुए उपचुनाव में कविता सिंह इस सीट पर विजयी हुई थीं। इस सीट पर उनका मुकाबला भाजपा के पूर्व सांसद उमा शंकर सिंह के पुत्र जीतेन्द्र स्वामी से है। त्रिवेणीगंज से पूर्व विधायक विश्वमोहन कुमार की पत्नी वीणा भारती जद(यू) के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। श्रीमती भारती का मुकाबला लोजपा के विजय पासवान से है। पूर्व विधायक देवनाथ यादव की पत्नी निवर्तमान विधायक गुलजार देवी फुलपरास से जद(यू) के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं और उनका मुकाबला भाजपा के रामसुंदर यादव से है।
 
खुद को पार्टी विद डिफरेंस कहने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी अपने रिश्तेदारों को टिकट बांटने के मामले में खूब दरियादिली दिखाई है। भाजपा नेता सोनेलाल हेमब्रम की पुत्रवधू निक्की हेमब्रम भाजपा के टिकट पर कटोरिया से चुनाव लड़ रही हैं। सोनेलाल हेमब्रम ने पिछली बार कटोरिया से चुनाव जीता था। निक्की हेमब्रम का मुकाबला राजद की स्वीटी सीमा हेमब्रम से है। पूर्व सांसद रामसेवक हजारी की बहू मंजू हजारी रोसड़ा से चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला पूर्व केन्द्रीय मंत्री बालेश्वर राम के पुत्र अशोक राम से है जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
 
पूर्व मुख्यमंत्री सरदार हरिहर सिंह के पौत्र और निवर्तमान विधायक अमरेन्द्र प्रताप सिंह आरा से जबकि पूर्व मंत्री गुणेश्वर सिंह के पौत्र मृणाल शेखर अमरपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। सिंह का मुकाबला राजद के मोहम्मद नवाज आलम से, जबकि मृणाल शेखर का मुकाबला जद(यू) के निवर्तमान विधायक जनार्दन मांझी से है। शाहपुर से पूर्व विधायक मुन्नी देवी के जेठ विश्वेशर ओझा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं ।पिछले चुनाव में मु्न्नी देवी इस सीट से निर्वाचित हुयी थीं। इस सीट पर उनका मुकाबला पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी से है।
 
इसी तरह पूर्व सांसद राजो सिंह के पौत्र और पूर्व ग्रामीण विकास राज्य मंत्री संजय कुमार सिंह के पुत्र सुदर्शन कुमार कांग्रेस के टिकट पर बरबीघा से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार वे लोजपा के टिकट पर चुनाव हार गए थे। इस सीट पर उनका मुकाबला बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के परपौत्र अनिल शंकर सिन्हा से है जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी सीट से श्रीकृष्ण सिंह के नाती अमृतांश आनंद भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के शिव कुमार चुनावी मैदान में उतरे हैं।
 
सीवान से सांसद ओम प्रकाश यादव के समधी अवध बिहारी चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, पिछली बार राजद के टिकट पर चुनाव हार गये थे। चौधरी का मुकाबला भाजपा के व्यासदेव प्रसाद और जद(यू) के बबलू प्रसाद से है। प्रभुनाथ सिंह के बहनोई के भाई और निवर्तमान विधायक गौतम सिंह मांझी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार गौतम सिंह ने जद(यू) के टिकट पर चुनाव जीता था। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के विजय शंकर दुबे और लोजपा के केशव कुमार सिंह से है।
 
बिहार विधानसभा चुनाव में अन्य मुद्दों के साथ-साथ दिग्गज नेताओं के समक्ष एक बड़ा मुद्दा अपने रिश्तेदारों को चुनाव जिताना भी हैं, लेकिन देखना होगा कि चुनावों में जनता को बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाने वाले इन नेताओं के कितने रिश्तेदार अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में कामयाबी हासिल करते हैं। (वार्ता)

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