भागलपुर : भाजपा को भारी पड़ रहा है परिवारवाद

अनिल जैन

शनिवार, 10 अक्टूबर 2015 (16:14 IST)
भागलपुर। पूर्वी बिहार में भागलपुर वह जिला है, जहां चुनावी राजनीति बेहद दिलचस्प बनी हुई। इस जिले की सभी सातों सीटों पर चुनाव के पहले चरण में 12 अक्टूबर को मतदान होना है। 
'सिल्क सिटी' के नाम से मशहूर भागलपुर को 70 के दशक में हुए कैदियों के आंख फोड़ कांड और 80 के दशक में हुए भीषण सांप्रदायिक दंगे के लिए भी जाना जाता है। भागलपुर सीट पर वैसे तो हर चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदलते रहे हैं, लेकिन लगातार पिछले 6 में से 5 चुनाव भाजपा के जीतने के कारण इसे भाजपा के प्रभाव वाली सीट माना जाता है। 
 
यह सीट 1990 से भाजपा के पास रही है। अश्विनी चौबे यहां 1995 से 2010 तक लगातार जीतते रहे हैं, लेकिन 2014 में उनके सांसद बन जाने के बाद यहां हुए उपचुनाव में यह सीट भाजपा के कब्जे से निकलकर कांग्रेस की झोली में चली गई।
 
भाजपा ने इस बार इस सीट से अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला सत्तारूढ़ महागठबंधन (जदयू, राजद और कांग्रेस) के उम्मीदवार कांग्रेस नेता अजीत शर्मा से है। 1 साल पहले हुए उपचुनाव में अजीत ने यह सीट भाजपा से छीन ली थी। अब चौबे के बेटे अपने पिता की विरासत को हासिल करने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं, लेकिन पार्टी में आमतौर पर उनकी उम्मीदवारी को सहज रूप से स्वीकार नहीं किया गया है। 
 
पार्टी की नगर इकाई के उपाध्यक्ष विजय साह और उनके समर्थकों ने तो इस परिवारवाद के खिलाफ स्पष्ट तौर पर बगावत कर दी है। साह निर्दलीय तौर पर चुनाव मैदान में हैं और उन्होंने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। उनके साथ कार्यकर्ताओं की लंबी फौज है और पार्टी के भी कई लोग उन्हें अंदरुनी तौर पर समर्थन दे रहे हैं। 
 
भाजपा में पड़ी इस फूट का सीधा फायदा कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा को मिलता दिख रहा है। क्षेत्र में उनकी छवि निर्विवाद और आमतौर पर सक्रिय विधायक की है। भाजपा और कांग्रेस के लिए इस सीट की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी यहां आकर रैली को संबोधित किया और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपने चुनाव अभियान का आगाज इसी क्षेत्र से किया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी यहां 2 बार आ चुके हैं। उन्होंने बागी उम्मीदवार विजय साह को चुनाव मैदान से हटने के लिए मनाने का प्रयास भी किया, लेकिन नाकाम रहे।
 
यहां से 4 बार चुनाव जीत चुके मौजूदा सांसद अश्विनी चौबे और उनके बेटे की उम्मीदवारी को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में तो असंतोष है ही, क्षेत्र के आम मतदाता भी चौबे से नाराज हैं। 
 
कपड़ा व्यवसायी रामअवतार जायसवाल कहते हैं कि चौबेजी शहरी विकास मंत्री रहे लेकिन उन्होंने भागलपुर के विकास के लिए कुछ नहीं किया।
 
वे बताते हैं कि ड्रेनेज सिस्टम के लिए 7 साल पहले 46 करोड़ रुपए मंजूर होने के बाद भी आज तक कुछ नहीं हुआ जिसका नतीजा यह है कि घंटेभर की बारिश में ही बाजार से लेकर कॉलोनियों की गलियां तक तालाब बन जाती हैं।
 
भागलपुर विधानसभा क्षेत्र का पूरा इलाका शहरी है। भागलपुर शहर प्रमंडल और जिला मुख्यालय भी है, लेकिन विकास के लिहाज से इस क्षेत्र की तस्वीर धुंधली नजर आती है। पिछले 10 वर्षों के दौरान योजनाएं तो कई बनी हैं लेकिन ऐसी कोई योजना नहीं है, जो धरातल पर उतरी हो।

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